तत्काल न दें अपमान का उत्तर
जब भी कोई आपको आपकी भूल बताए, तो इस बात को बहुत जल्दी मत मान लेना कि हमारी भूल ही नहीं है, क्योंकि हमारे अहंकार की यह वृत्ति है कि अपनी भूल को मानने को राजी न हों। मन यही कहेगा कि हमारी भूल...
जब भी कोई आपको आपकी भूल बताए, तो इस बात को बहुत जल्दी मत मान लेना कि हमारी भूल ही नहीं है, क्योंकि हमारे अहंकार की यह वृत्ति है कि अपनी भूल को मानने को राजी न हों। मन यही कहेगा कि हमारी भूल नहीं है। मगर यदि यह समझ पैदा करनी हो कि हमारी भी भूल हो सकती है, तो पहले इस बात की खोज करनी चाहिए कि क्या भूल हो सकती है? बहुत निष्पन्न मन से खोजेंगे, तो सौ में से निन्यानबे मौकों पर आपको आपकी भूल मिल जाएगी। मगर उस एक मौके पर, जब आपको आपकी भूल न मिले और लगे कि सामने वाला आपके साथ अपमानजनक व्यवहार कर रहा है, उस क्षण में भी यदि आप उसके साथ वैसा ही व्यवहार करेंगे, तो इससे कोई हल नहीं निकलेगा।
ऐसे वक्त में आप शांति से सुन लें। अपमान करने वाले से बस इतना कहें कि मैं आधे घंटे बाद, जब आप शांत हो जाएंगे, आपसे बात करूंगा, अभी नहीं। अभी जो कुछ आपको कहना है, कहें। मैं आधे घंटे बाद आपके पास आता हूं। इतनी बात कहने से ही वह आदमी शांत हो जाएगा। आधे घंटे बाद जाकर आप अपनी बात कहें कि मुझे तो नहीं लगता कि यह मेरी भूल है। फिर भी, मैं समझने को राजी हूं। अगर मेरी भूल है, तो कृपया मुझे समझा दें, मैैं माफी मांग लूं। अगर मेरी भूल न हो, तब भी स्पष्ट हो जाए, ताकि मैं चिंता से मुक्त हो जाऊं और आप पाएंगे कि वह व्यक्ति भी हल्का हो गया।
याद रखें, हमारे व्यक्तित्व के सारे केंद्र ‘कांशसनेस’ से जगते और सक्रिय होते हैं। जिस हिस्से पर चेतना इकट्ठी होती है, वही सक्रिय हो जाता है। आप चार-छह दिन सिर्फ अपनी आंखें बंद करके हृदय पर ध्यान से जाएं, सिर्फ उस पर ध्यान ले जाएं, और कुछ भी न करें। पांच मिनट रोज करें, आप पाएंगे कि आपके व्यक्तित्व में प्रेम बढ़ना शुरू हो गया है। वह आपको दिखाई पड़ेगा, आपके पड़ोसियों को दिखाई पड़ेगा, आपके घर के लोगों को दिखाई पड़ेगा। कहने की जरूरत नहीं, चुपचाप आप ध्यान करतेे रहें। आप पाएंगे कि लोग आपसे कहने लगे हैं- आपमें बड़ा फर्क हो रहा है। आप इतने प्रेमपूर्ण कभी भी नहीं थे।
जब भी आप किसी के कंधे पर हाथ रखते हैं, तो हृदय में संचित प्रेम को अपने हाथ से उसके पास भेजें। अपने प्राण को, समूचे हृदय को उस हाथ में संकलित हो जाने दें। आप हैरान होंगे, वह हाथ जादू हो जाएगा। जब आप किसी की आंखों में झांकते हैं, तो अपनी आंखों में अपने हृदय को उड़ेल दें, वे जादुई बन जाएंगी। वे किसी के अंतर को हिला देंगी। न केवल आपका प्रेम जगेगा, बल्कि हो सकता है कि दूसरे के प्रेम जगने के भी आप उपाय और व्यवस्था कर दें।
ओशो