कोई दिक्कत नहीं
यदि आपको जिंदगी में दिक्कतों का सामना न करना पड़े, तो समझिए कि आप गलत गाड़ी में सफर कर रहे हैं, यह कहना है स्वामी विवेकानंद का। इसीलिए जाने-माने अमेरिकी कारोबारी जेम्स सी पेनी कहते हैं कि दिक्कतों से...
यदि आपको जिंदगी में दिक्कतों का सामना न करना पड़े, तो समझिए कि आप गलत गाड़ी में सफर कर रहे हैं, यह कहना है स्वामी विवेकानंद का। इसीलिए जाने-माने अमेरिकी कारोबारी जेम्स सी पेनी कहते हैं कि दिक्कतों से कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। जब-जब आप परेशानियों को पार लगाते हैं, तब-तब आप ज्यादा सक्षम बनकर उभरते हैं।
अपनी किताब पॉवर ऑफ पॉजिटिव थींकिंग में नॉर्मन विन्सेंट पील लिखते हैं, ‘मांसपेशियों के लिए जैसे कसरत जरूरी है, वैसे ही दिमाग के लिए दिक्कतें आवश्यक हैं।’ अपनी दिक्कतों-कठिनाइयों को चुनौती की भांति स्वीकार करें और समयबद्ध तरीके से निपटने में जुट जाएं। समय-सीमा अत्यंत आवश्यक है, ताकि दिक्कतों का पहाड़ न बन जाए। यदि आप दिक्कतों का सामना करने में सक्षम हैं, तो विख्यात कार उत्पादक हेनरी फोर्ड की राय में, ‘आपकी जिंदगी में कोई बड़ी दिक्कत आ ही नहीं सकती। छोटी-छोटी जरूर आती-जाती रहेंगी, जो आप रोजमर्रा के काम की तरह बगैर फिक्रमंद हुए सरलता से निपटाते जाएंगे।’
बस दिमाग ठंडा रखना है, क्योंकि वैज्ञानिक तथ्य है कि पॉजिटिव सोच से दो-तिहाई दिक्कतों के समाधान खुद-ब-खूब निकलते जाते हैं। इसे सद्गुरु जग्गी वासुदेव यूं समझाते हैं, ‘जब दिक्कत होती है, तो उनसे सीधे निपटना चाहिए। ध्यान बंटाने के तरीके मत खोजिए, ध्यान बंटाना समाधान नहीं है।’ फिर तो दिक्कतों का सफाया होता जाएगा। अपनी काबिलियत पर पूरा यकीन रखिए, तभी नामुमकिन को मुमकिन कर सकते हैं। खुद से कहते रहिए- ‘मैं कर सकता हूं, मैं करूंगा।’