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मित्र हर सूरत में मित्र 

एक सुबह मंगोल योद्धा चंगेज खान कुछ दरबारियों के साथ शिकार पर निकला। दरबारियों के पास तीर-धनुष थे, लेकिन चंगेज खान ने अपनी बांह पर अपना पसंदीदा बाज ले रखा था, जो किसी भी तीर से अधिक अचूक...

मित्र हर सूरत में मित्र 
Pankaj Tomarहिन्दुस्तानWed, 17 May 2023 10:40 PM
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एक सुबह मंगोल योद्धा चंगेज खान कुछ दरबारियों के साथ शिकार पर निकला। दरबारियों के पास तीर-धनुष थे, लेकिन चंगेज खान ने अपनी बांह पर अपना पसंदीदा बाज ले रखा था, जो किसी भी तीर से अधिक अचूक था, क्योंकि वह आसमान में उड़ सकता था व दूर-दूर तक सब कुछ देख सकता था। शिकारी टोली ने काफी कोशिश की, मगर जब कोई शिकार हाथ न आया, तो निराश सब शिविर में लौट आए। मगर दरबारियों पर उसकी हताशा जाहिर न हो, इससे बचने के लिए चंगेज उन सबको शिविर में छोड़़ अकेले ही आगे बढ़ गया। 
काफी वक्त तक जंगल में भटकते रहने के कारण वह बुरी तरह थका चुका था और प्यास भी लगी थी। प्रचंड गरमी के दिन थे, जंगल की सभी धाराएं सूख गई थीं, चंगेज को पीने के लिए कुछ भी नहीं मिल रहा था। अचानक उसकी निगाह सामने की एक चट्टान पर पड़ी, जिससे पानी की एक अत्यंत पतली धारा बह रही थी। वह खुशी से उछल पड़ा। उसने बाज को बांह से उतारा, और चांदी के उस प्याले को निकाल लिया, जिसे वह हमेशा अपने साथ रखा करता था। धारा क्षीण थी, प्याला बहुत देर में भरा। मगर जैसे ही चंगेज उसे अपने होठों से लगाने वाला था, बाज उड़ा और खान के हाथों पर झपट्टा मारते हुए उसे जमीन पर गिरा दिया। चंगेज को गुस्सा तो बहुत आया, लेकिन चूंकि वह बाज उसे प्रिय था, और शायद वह भी प्यासा हो, यह सोचकर चंगेज ने प्याले की गंदगी साफ की और उसे फिर से भरना शुरू किया। इस बार जब प्याला आधा ही भरा था, बाज ने फिर उसे गिरा दिया।
चंगेज अब क्रोध से आग-बबूला हो चुका था। उसने कमर से तलवार खींच ली और प्याले को फिर से भरना शुरू किया। उसकी एक आंख प्याले पर और दूसरी बाज पर थी। काफी देेर बाद जब प्याला भरने को हुआ, बाज ने उसकी ओर फिर उड़ान भरी, लेकिन चौकस चंगेज ने इस बार तलवार बाज के सीने में उतार दी। इस कोशिश में पानी भी गिर गया और उधर पानी की वह पतली धारा भी बंद हो चुकी थी। बेचैन चंगेज जलधारा के स्रोत को तलाशते हुए चट्टानों के ऊपर चढ़ा, तो देखा कि वहां वाकई पानी की एक तलैया है। मगर उसके बीचोबीच उस इलाके की सबसे जहरीली नस्ल का एक सर्प मरा पड़ा था। यानी वह जल विषाक्त हो चुका था और उसे पीने के बाद चंगेज की मौत तय थी। 
मृत बाज को बाहों में समेटे चंगेज शिविर में लौट आया। उसने उसकी सोने की मूर्ति बनाने का आदेश दिया, जिसके एक पंख पर यह पैगाम खुदवाया कि ‘मित्र कुछ ऐसा करे, जो आपको पसंद न हो, तब भी वह आपका मित्र ही होता है’ और दूसरे डैने के शब्द थे, ‘क्रोध में किए गए कार्य का नाकाम होना तय है।’ 
पाउलो कोएल्हो 

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