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गणपति और बुद्धि-बल

आज विनायक चतुर्थी है। मान्यता है, आज के ही दिन भगवान गणेश का अवतरण हुआ। श्रीगणेश बुद्धि बल के प्रतीक हैं। इस संदर्भ में प्रचलित धार्मिक कथा का निहितार्थ महत्वपूर्ण है। जब देवताओं में बहस छिड़ी कि पहली...

गणपति और बुद्धि-बल
विवेक शुक्लाThu, 09 Sep 2021 10:51 PM

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आज विनायक चतुर्थी है। मान्यता है, आज के ही दिन भगवान गणेश का अवतरण हुआ। श्रीगणेश बुद्धि बल के प्रतीक हैं। इस संदर्भ में प्रचलित धार्मिक कथा का निहितार्थ महत्वपूर्ण है। जब देवताओं में बहस छिड़ी कि पहली पूजा किसकी होनी चाहिए, तो वे भगवान विष्णु के पास गए। विष्णु जी सभी देवों को लेकर भगवान शिव के पास पहुंचे। भगवान शिव ने रास्ता सुझाया, जो भी देवता अपने वाहन से समूची पृथ्वी की परिक्रमा करके सबसे पहले यहां उपस्थित होगा, उसी की पूजा सबसे पहले होगी। कथा क्रम में आगे गणेश जी ने अपने पिता भगवान शिव और मां देवी पार्वती से कहा, आप दोनों साथ बैठें और उन्होंने अपने पिता और मां की परिक्रमा कर ली। भगवान शिव ब्रह्मांड और मां पार्वती पृथ्वी की प्रतीक हैं। यही कारण है कि हिंदू धर्म में किसी भी पूजा-अनुष्ठान या शुभ कार्य में सर्वप्रथम गणेश जी की पूजा की जाती है। इस कथा का निहितार्थ यही है कि समाज में अपना स्थान पाने के लिए अपने बुद्धि-बल का प्रयोग करें।
गणेश जी अद्वितीय रचयिता हैं। बिना रुके उन्होंने महाभारत  का लेखन किया, इसलिए उन्हें लेखन कार्य का देव भी मान सकते हैं। आधुनिक संदर्भों में भी इनकी प्रासंगिकता बहुत है। मौजूदा दौर में हर व्यक्ति के दिमाग में एक महाभारत चल रहा है, जिसका अंत तनाव में होता है। मानसिक अशांति की स्थिति में कोई सकारात्मक कैसे सोच सकता है, पर भगवान गणेश शुभता के प्रतीक हैं। उनका अंतर्मन से स्मरण मन में उत्पन्न होने वाले समस्त नकारात्मक भावों को दूर करने में सहायक है। जब गणेश जी का ध्यान कर शुभता के विचार से आप परिपूर्ण हैं, तब अशुभ विचारों का जन्म भी कैसे हो सकता है? 
 

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