यह इंसानी फितरत है कि बीता हुआ कल हमेशा सुनहरा लगता है। भविष्य की अनिश्चितताएं परेशान करती हैं। कभी-कभी इस अनिश्चितता के बारे में सोचकर इंसान कांप जाता है, तो कभी-कभी रोमांचित हो उठता हैै। पिछले नववर्ष के मौके पर लोग बहुत उत्साहित थे, लेकिन कुछ महीने बाद ही एक अनिश्चितता भरी जिंदगी और कई सवालों ने उन्हें परेशान कर दिया।
वैसे तो जिंदगी का लुत्फ अनिश्चितता में ही है। शिशु के जन्म से लेकर वृद्ध का निश्चित समय तक कोई नहीं जानता। जिंदगी का हर लम्हा बदलता रहता है। आमतौर पर तो हम बदलावों को सहज स्वीकार कर लेते हैं। जब हमारी सोच और काम में अंतर नहीं होता, तब हम खुश होते हैं, क्योंकि तब हम अपने मूल्यों को समझ रहे होते हैं। ऐसा लेखक बार्टन गोल्ड स्मिथ मानते हैं। इमोशनल फिटनेस ऐट वर्क लिखने वाले बार्टन गोल्ड का मानना है कि जो हमें सच लगता है, जिसे हम सही समझते हैं और जिस पर हमारा विश्वास होता है, वे सब हमारे मूल्य हैं। दया, करुणा, आत्मनिर्भरता, उदारता, सरलता, प्यार, रिश्ते कुछ ऐसे ही मूल्य हैं, जो हमारी इच्छा और विश्वास से जुड़े हैं। यदि हम ईमानदारी व मेहनत से अपनी मंजिल हासिल करते हैं, तो यह उपलब्धि हमें खुशी देती है।
लेकिन इसका उल्टा भी उतना ही सही है। जब हम खुद को नहीं अपनाते, तब अपनी ही समस्याओं से भागने की कोशिश करते हैं। पर डर को अपने भीतर से भगाना जरूरी है, ताकि आप खुश रह सकें। इसके लिए हमें अपने अंदर बदलाव लाने पड़ेंगे। हम दूसरों को बदलने की अपेक्षा खुद में बदलाव लाते हैं, तो जिंदगी आसान हो जाती है और हम खुश रहने लगते हैं।
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