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अद्भुत संयोग से जुड़े दो राष्ट्र

इस समय इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू भारत के दौरे पर हैं। भारत और इजरायल संबंधों का विमर्श मीडिया के केंद्रबिंदु में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नेतन्याहू की गले मिलते हुए तस्वीर दोनों देशों...

अद्भुत संयोग से जुड़े दो राष्ट्र
सुधांशु त्रिवेदी राष्ट्रीय प्रवक्ता, भाजपाThu, 18 Jan 2018 10:40 PM
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इस समय इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू भारत के दौरे पर हैं। भारत और इजरायल संबंधों का विमर्श मीडिया के केंद्रबिंदु में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नेतन्याहू की गले मिलते हुए तस्वीर दोनों देशों के प्रगाढ़ होते संबंधों की प्रतीक बनी हुई हैं। इस समय यह चर्चा है कि आधुनिक तकनीक, कृषि, प्रतिरक्षा के हथियार और आधुनिकतम निरागनी उपकरणों जैसे अनेक क्षेत्र हैं, जहां भारत इजरायल से लाभ प्राप्त कर सकता है। इनके अलावा, कूटनीतिक व रणनीतिक स्तर पर संबंधों से परे भारत और इजरायल के मध्य एक अद्भुत संयोग का संबंध भी है। भारत और इजरायल, दोनों विश्व के दो प्रागैतिहासिक राष्ट्र हैं। यानी लिखित क्रमबद्ध इतिहास के काल से अधिक पुराना इनका अस्तित्व और इतिहास है। दोनों में एक और सांस्कृतिक साम्य है। पश्चिम के सभी मत और संप्रदाय ‘सिमेटिक रिलिजन’ अथवा ‘अब्राहमिक रिलिजन’ माने जाते हैं। चाहे वह ईसाई हो अथवा इस्लाम। सबकी आदिकाल की कथाओं में एक साम्य है और इजरायल सिमेटिक रिलिजन्स का मूल केंद्र रहा। तो यह कहा जा सकता है कि इजरायल पश्चिमी संस्कृति के धर्म-संप्रदायों का केंद्र रहा है। इसलिए यरुशलम आज दुनिया का एकमात्र ऐसा शहर है, जहां यहूदी, ईसाई और इस्लाम, तीनों के अत्यंत पवित्र स्थल पाए जाते हैं। इसी प्रकार, पूरब में जितने भी धर्म, मत और संप्रदाय उत्पन्न हुए वैदिक काल की अग्नि पूजा से लेकर विभिन्न देवी-देवताओं की पूजा वाला वर्तमान हिंदू धर्म, जैन, बौद्ध, सिख, यहां तक कि चीन के तमाम मत संप्रदायों का मूल स्थान भारत रहा है। यानी भारत और इजरायल विश्व के दो प्रागैतिहासिक सांस्कृतिक सभ्यता के केंद्र हैं।  

भारत और इजरायल, दोनों की ही सभ्यताओं ने बहुत अत्याचार और दमन सहा। दोनों ही लगभग दो हजार वर्षों तक बाहरी आक्रमणों से अपनी सभ्यता को बचाए रखने का संघर्ष करते रहे। इजरायल तो कई सदियों के लिए दुनिया के नक्शे से ही मिट गया था। सदियों के दमन व अत्याचार के बाद भी दोनों प्रागैतिहासिक राष्ट्र 20वीं सदी में लगभग एक ही समय पुन: उठकर खड़े हो गए।  दोनों लगभग एक साथ स्वतंत्र हुए। स्वतंत्रता से पूर्व या उसके साथ दोनों ने भारी नरसंहार झेले हैं। द्वितीय विश्व युद्ध में यूरोप में यहूदियों का नरसंहार ‘होलोकॉस्ट’ और भारत विभाजन के दौरान सांप्रदायिक हिंसा में लाखों लोगों का नरसंहार और करोड़ों का विस्थापन, ये दोनों घटनाएं मानव इतिहास के सबसे बडे़ नरसंहारों और विस्थापन की प्रतीक हैं। इजरायल ने अपनी आजादी के समय दुनिया के सभी देशों में यहूदी समुदाय पर हुए अत्याचार का इतिहास संकलित करवाया, तो एकमात्र देश भारत निकला, जहां के यहूदियों ने कहा कि अत्याचार तो दूर, उन्हें कभी भारत में अपने धर्म के कारण भेदभाव भी नहीं अनुभव हुआ। 

आजादी के बाद दोनों ही देशों ने पहले ही 25 साल में चार युद्ध झेले। दोनों ही देशों ने अपनी तीसरी लड़ाई में शानदार सफलता हासिल की और चौथी लड़ाई में अपने विरोधियों को निर्णायक रूप से परास्त किया। चौथी लड़ाई के बाद दोनों ही देशों के विरोधियों ने यह मान लिया कि सीधी लड़ाई में विजय संभव नहीं है और दोनों ही देश एक साथ 1970 के दशक से आतंकवाद के शिकार बने। 1972 के म्यूनिख ओलंपिक में ‘ब्लैक सेप्टेंबर’ नामक आतंकवादी संगठन द्वारा इजरायली खिलाड़ियों की हत्या और 1970 के दशक के अंत और 80 के दशक के शुरू में पाकिस्तान द्वारा भारत में आतंकी घटनाओं की शुरुआत। यह भी संयोग है कि जब भारत ने पाकिस्तान को निर्णायक पराजय दी, तब इसका नेतृत्व एक महिला इंदिरा गांधी कर रही थीं। जब इजरायल ने अपने पड़ोसी अरब देशों को निर्णायक पराजय दी, तो उसका नेतृत्व भी एक महिला गोल्डा मायर कर रही थीं। आज 21वीं सदी में भारत और इजरायल, दोनों एक मजबूत लोकतंत्र, अर्थव्यवस्था और सामरिक शक्ति से संपन्न राष्ट्र बनकर उभरे हैं। यह भी एक संयोग है कि आज विश्व की सबसे बड़ी शक्ति अमेरिका में सबसे ताकतवर वर्ग यहूदी समुदाय है। और अमेरिकी व्यवस्था पर उसका भारी प्रभाव है। और अब अमेरिका में दूसरा सबसे शक्तिशाली वर्ग भारतीय समुदाय बनकर उभर रहा है, जिसका हालिया उदाहरण तब दिखा, जब डोनाल्ड ट्रंप अपने चुनाव प्रचार में रिपब्लिकन हिंदू कोलिशन के बैनर तले वोट मांगने आए। आज अमेरिका में सबसे अधिक उच्च शिक्षित समुदाय भारतीय और यहूदी समुदाय हैं। 

संयोग के साथ कुछ यथार्थ भी हैं। आधुनिक विश्व में विज्ञान के क्षेत्र में सर्वाधिक योगदान यदि किसी एक समुदाय का है, तो वह यहूदी समुदाय है, जो प्राचीन इजरायल से निकला है। सापेक्षता का सिद्धांत देने वाले आइंस्टीन, परमाणु सिद्धांत देने वाले नील्स बोर, परमाणु बम बनाने वाले ओपन हाईमर और मनोवैज्ञानिक फ्रायड से लेकर फेसबुक के मार्क जकरबर्ग तक यहूदी समुदाय ने ज्ञान-विज्ञान में बहुत बड़ा योगदान दिया है। और प्राचीन विश्व के विज्ञान में शून्य, दशमलव, जियोमेट्री, ट्रिग्नोमेट्री, बीजगणित, खगोल विज्ञान, वास्तु और आयुर्वेद तक सबसे बड़ा योगदान भारत ने दिया है। आज भी अमेरिका में भारतीयों की पहचान बेहतरीन डॉक्टर, सॉफ्टवेयर इंजीनियर और नासा के वैज्ञानिकों के रूप में होती है।
इजरायल जब दुनिया के नक्शे से मिट गया था, तो एक प्राचीन मंदिर के अवशेष के रूप में ‘वेलिंग वॉल’ ही वह प्रेरणा स्रोत रही, जिसने इस राष्ट्र की चेतना को फिर से जागृत करके एक मजबूत राष्ट्र के रूप में स्थापित किया। भारत में भी ध्वस्त किए गए एक मंदिर (राम जन्मभूमि) की प्रेरणा से उत्पन्न आंदोलन ने स्वतंत्रता के बाद भारत की राजनीति का स्वरूप बदलकर वर्तमान सुदृढ़ और स्वाभिमानी स्वरूप बनाने में सबसे बड़ा योगदान दिया।

भारत और इजरायल विश्व के दो प्राचीनतम प्रागैतिहासिक राष्ट हैं, जो इतिहास के बुरे से बुरे वक्त को एक साथ सहते हुए 20वीं सदी में हिंसा और विभाजन का तांडव सहकर अस्तित्व में आए। शुरुआती दशकों में एक समान ढंग से आक्रमण झेला, बाद में आतंकवाद झेला और प्राचीन विश्व से लेकर आधुनिक विश्व तक ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में विश्व को सबसे ज्यादा योगदान दिया। आज विश्व में सकारात्मक भूमिका का फिर से निर्वहन करने के लिए ये दोनों देश गर्मजोशी के साथ खड़े हैं। समझौतों की इबारत चाहे जो भी हो, वह काल चक्र द्वारा लिखी गई कथा का एक छोटा प्रकटीकरण ही होगा, जो आगे विश्व हित में गौरवशाली यात्रा का पाथेय बनेगा।
      (ये लेखक के अपने विचार हैं)

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