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Hindi News ओपिनियन जीना इसी का नाम हैईश्वर ने बड़ी खूबसूरत जिंदगी दी

ईश्वर ने बड़ी खूबसूरत जिंदगी दी

राजलक्ष्मी के मम्मी-पापा डॉक्टर थे। इलाके में बड़ा सम्मान था उनका। बेंगलुरु में मकान के एक हिस्से में उनका क्लिनिक था। सुबह-शाम मरीज की लंबी लाइन लगती थी। घर में किसी चीज की कमी नहीं था। पापा चाहते थे...

ईश्वर ने बड़ी खूबसूरत जिंदगी दी
राजलक्ष्मी, मिस व्हीलचेयर पॉपुलर Sat, 14 Oct 2017 10:42 PM
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राजलक्ष्मी के मम्मी-पापा डॉक्टर थे। इलाके में बड़ा सम्मान था उनका। बेंगलुरु में मकान के एक हिस्से में उनका क्लिनिक था। सुबह-शाम मरीज की लंबी लाइन लगती थी। घर में किसी चीज की कमी नहीं था। पापा चाहते थे कि बेटी भी उनकी तरह डॉक्टर बने। पढ़ाई के मामले में उन्होंने पापा को कभी निराश नहीं किया। हमेशा क्लास में अव्वल रहीं। पर बेटी डॉक्टर बने, इससे पहले ही वह चल बसे। राजलक्ष्मी तब 10वीं में थीं।  पापा का यूं असमय जाना परिवार के लिए बड़ा सदमा था। वह नहीं थे, लेकिन उनका सपना बेटी के साथ था। राजलक्ष्मी शिद्दत से इस सपने को साकार करने में जुट गईं। 12वीं के बाद डेंटल कॉलेज में दाखिला मिल गया। वह डेंटल सर्जन बनना चाहती थीं। 2007 की बात है। बीडीएस की परीक्षा का रिजल्ट आ चुका था। परीक्षा में राजलक्ष्मी को अच्छे अंक आए थे, लिहाजा वह बहुत खुश थीं। उस दिन पापा की कमी बहुत खली।  वर्ह ंजदा होते, तो कितना खुश होते? इसी बीच चेन्नई में नेशनल कॉन्फ्रेंस में उन्हें पेपर जमा करने के लिए बुलाया गया। उन्होंने बेंगलुरु से चेन्नई का सफर सड़क के रास्ते तय करने का फैसला किया। सफर लंबा था। रास्ते में उनकी कार के ड्राइवर को झपकी आ गई। अचानक स्टीर्यंरग से उसका हाथ हट गया। नियंत्रण बिगड़ा और भयानक हादसा हो गया। होश आया, तो खुद को अस्पताल में पाया। तब राजलक्ष्मी 21 साल की थीं। डॉक्टर ने कहा कि तुरंत सर्जरी करनी पड़ेगी। करीब छह महीने वह अस्पताल में रहीं। हर बीतते पल के साथ उम्मीद टूटने लगी। उनकी रीढ़ की हड्डी टूट गई। बेड पर बैठना मुश्किल हो गया था। कई सर्जरी हुई, पर हड्डी जुड़ नहीं सकी। शुरू में तो डॉक्टर कहते रहे कि सब ठीक होगा, फिर उन्होंने हाथ खड़े कर दिए। 

जब भी डॉक्टर सामने आते, मम्मी उनसे एक ही सवाल पूछतीं- मेरी बेटी कब खड़ी हो पाएगी? राजलक्षमी भी हर बार एक ही मिन्नत करतीं- डॉक्टर, मुझे ठीक कर दीजिए। आखिर एक दिन डॉक्टर ने कह ही दिया- अब आप कभी चल-फिर नहीं पाएंगी। यह सुनकर कुछ पलों के लिए सन्नाटा छा गया। फिर डॉक्टर मां को समझाने लगे, धीरज रखिए और बेटी को संभालिए। कुछ दिनों बाद अस्पताल से छुट्टी मिल गई। वे निराशा भरे दिन थे। ढेरों सवाल थे मन में। क्या अब पूर्री ंजदगी व्हीलचेयर पर गुजारनी होगी? आगे की पढ़ाई कैसे होगी? लोग मुझे अपाहिज कहकर बुलाएंगे। राजलक्ष्मी कहती हैं- अचानर्क ंजदगी बदल गई। ऐसा लगा कि मैं वह लड़की नहीं हूं, जो हादसे के पहले थी। पर परिवार ने मेरा हौसला नहीं टूटने दिया। शारीरिक दिक्कत के बावजूद मैंने पढ़ाई पूरी की और डॉक्टर बनी।  शुरुआत में बड़ी दिक्कते आईं। राजलक्ष्मी जहां भी जातीं, लोग उन्हें घूरकर देखते। कई दबी जुबान में सवाल भी करते- क्या हुआ इस लड़की के साथ? पर राजलक्ष्मी इन बातों को नजरअंदाज कर आगे बढ़ती रहीं। डेंटल सर्जरी में गोल्ड मेडल जीता। दिव्यांग होने की वजह से सरकारी अस्पताल में नौकरी नहीं मिल पाई। पर वह निराश नहीं हुईं। उन्होंने अपनी क्लिनिक खोली। प्रैक्टिस में अनके दिक्कतें आईं। राजलक्ष्मी बताती हैं- क्लिनिक में मुझे व्हीलचेयर पर देखकर मरीजों को अक्सर आशंका होती थी। वे यही सोचते थे कि यह दिव्यांग लड़की भला कैसे हमारा इलाज कर पाएगी?  

पढ़ाई के अलावा उन्होंने मनोविज्ञान, फैशन डिजाइन और वैदिक योग के कोर्स किए। फैशन डिजार्इंनग का कोर्स करने के दौरान मन में मॉडलिंग के प्रति दिलचस्पी बढ़ी। इस बीच उन्हें दिव्यांग फैशन प्रतियोगिता के बारे में पता चला। 2014 में उन्होंने मिस व्हीलचेयर इंडिया का खिताब जीता। इस जीत के बाद उनके हौसले और बुलंद हो गए। वह व्हीलचेयर बास्केटबॉल और व्हीलचेयर डांस में हिस्सा लेने लगीं। दुनिया इस दिव्यांग लड़की का आत्मविश्वास देखकर दंग थी। अपने इसी अंदाज की वजह से उन्हें बोल्ड वुमेन इंडिया खिताब से नवाजा गया।  वह आम लोगों की तरह घूमना चाहती थीं। चाहती थीं कि आम लड़कियों की तरह वह भी स्कूटी या कार से घूमें। जल्द ही यह सपना भी पूरा हो गया। उन्होंने दिव्यांगों के मुफीद कार खरीदी। राजलक्ष्मी कहती हैं- मेरे पास ऐसी कार है, जिसे चलाने के लिए पांव की जरूरत नहीं पड़ती। कार चलाने में बड़ा मजा आता है। राजलक्ष्मी व्हीलचेयर पर करीब 11 देशों की यात्रा कर चुकी हैं। 2015 में उन्हें मिस व्हीलचेयर प्रतियोगिता आयोजित करने की जिम्मेदारी मिली। शुरुआत में आयोजन के लिए प्रायोजक नहीं मिल रहे थे। पर उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। समय के साथ हर मुश्किल आसान होती गई। मरीजों को भी यकीन हो गया कि राजलक्ष्मी एक बेहतरीन डॉक्टर हैं। प्रैक्टिस के साथ वह मॉर्डंलग भी करती रहीं। पिछले सप्ताह पोलैंड में आयोजित मिस व्हीलचेयर वल्र्ड में उन्हें मिस पॉपुलर खिताब से नवाजा गया। राजलक्ष्मी कहती हैं- मुझे लगता है ईश्वर ने मुझे एक ही जीवन में दो खूबसूरत जिंदगियां दे दी हैं। एक दुर्घटना से पहले की और दूसरी अब मैं व्हीलचेयर पर जी रही हूं। इस घटना के बाद मैंने खुद में नई ताकत महसूस की। मुझे ईश्वर से कोई गिला नहीं है।
प्रस्तुति: मीना त्रिवेदी
 

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