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Hindi News ओपिनियन जीना इसी का नाम हैजिंदगी में सबको दूसरा मौका मिलना चाहिए

जिंदगी में सबको दूसरा मौका मिलना चाहिए

कोविड-19 के कारण मरने वालों की संख्या ने पूरे न्यूयॉर्क को थर्रा दिया था। दुनिया भर के विशेषज्ञ चिकित्सकों और सरकारी इंतजामिया के आला ओहदेदारों ने इस बसंत में यह मुनादी कर दी थी कि अपने-अपने घर की...

जिंदगी में सबको दूसरा मौका मिलना चाहिए
हेक्टर ग्वाडलुपे, फिजिकल ट्रेनरSat, 19 Sep 2020 11:23 PM
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कोविड-19 के कारण मरने वालों की संख्या ने पूरे न्यूयॉर्क को थर्रा दिया था। दुनिया भर के विशेषज्ञ चिकित्सकों और सरकारी इंतजामिया के आला ओहदेदारों ने इस बसंत में यह मुनादी कर दी थी कि अपने-अपने घर की चारदीवारी के भीतर रहें। पूरा न्यूयॉर्क एक दायरे में सिमट आया था। लोगों को अपनी इम्युनिटी, यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता दुरुस्त करने की चौतरफा हिदायतें बांटी जा रही थीं। दिक्कत यह थी कि सारे फिटनेस क्लब बंद थे, पार्कों और सड़कों पर यूं भी निकलना मना था, तब एक 42 वर्षीय शख्स ने अपने शहर के लोगों को पूरे भरोसे से कहा- मैं हूं न!
फिजिकल टे्रनर हेक्टर ग्वाडलुपे को उस समय अपने पेशे के चुनाव पर फख्र भी हुआ। वह ऑनलाइन सत्र की तैयारी पहले ही कर चुके थे। दरअसल, उन्होंने शुरू में ही महसूस कर लिया था कि उनके क्लाइंट शहर के हालात व महामारी को लेकर बेहद तनाव में हैं और सामाजिक गतिविधियों से अलग-थलग पड़ने की चिंता में घुले जा रहे हैं। इस एहसास को हेक्टर से बेहतर भला कौन समझ सकता था?
हेक्टर न्यूयॉर्क के ओल्ड ब्रूकलीन में पैदा हुए। जिंदगी की ऊंच-नीच समझ पाते, इसके पहले ही मां-बाप का साया सिर से उठ गया। महज 12 साल की उम्र में वह सड़क पर आ गए थे। दुनिया के तमाम महानगरों की सड़कें गरीब यतीम बच्चों की मां बन जाया करती हैं। हेक्टर को भी ब्रूकलीन की सड़कों ने पाला। तब यह इलाका आज जैसा खूबसूरत नहीं था। 1980-90 के दशक में तो यह अजीब ब्रूकलीन था। पुलिस वाले बंदूकें बेचा करते और ड्रग्स की तस्करी सरेआम बात थी।
कहते हैं, गुरबत, भूख और हिकारत लावारिस बच्चों को अक्सर किसी अंधेरी दुनिया का पता देती हैं। हेक्टर भी वहीं गए। वह पूरे ईस्ट कोस्ट में कोकीन पहुंचाने का काम करने लगे। साल भर में ही वह एक बडे़ तस्कर समूह का हिस्सा बन चुके थे। हेक्टर जिन लड़कों के लिए काम करते, वे एक दिन में 60 से 70 हजार डॉलर बना लेते थे। हेक्टर के काम की पाली शाम 4 बजे से आधी रात तक चलती। मगर वह ज्यादा पैसे कमाना चाहते थे, इसलिए उन्होंने आधी रात से सुबह 8 बजे तक की पाली भी ले ली थी। 
पैसे तो काफी आने लगे थे, मगर उस उम्र में उनको खर्च कहां करें, यह समझ में ही नहीं आता था। खैर, जिंदगी खुद ही सबसे बड़ी पाठशाला होती है। कुछ ही वर्षों में हेक्टर ने अपना काम शुरू करने का फैसला किया। उनका संपर्क एक कोलंबियाई समूह से हुआ और फिर कुछ दोस्तों के साथ मिलकर उन्होंने काम शुरू भी कर दिया। अब न्यूयॉर्क क्या, केप कोड से मियामी, इलिनोइस तक उनका नेटवर्क बन गया था। उस वक्त हेक्टर की उम्र महज 18 साल थी, मगर कभी-कभी उन्हें ऐसा लगता, जैसे वह 30 साल के हों।
हेक्टर के पास पैसे की तो कोई कमी नहीं थी, मगर उस जिंदगी में सुकून कहीं नहीं था। हमेशा एक अंदेशा साये सा चिपका रहता और वह सच भी हुआ। 23 साल की उम्र में हेक्टर सलाखों के पीछे थे। अदालत ने उन्हें 10 साल के लिए जेल भेज दिया था। करीब ढाई वर्ष उन्हें एकाकीपन में गुजारने पडे़। इसी दौरान उन्हें एहसास हुआ कि जीने के लिए अब तक वह जो कुछ करते आए हैं, आगे नहीं करेंगे। उन्होंने खुद पर काम करना शुरू कर दिया।
हेक्टर एक मजबूत कद-काठी के युवा थे। अब कसरत उनके लिए आजादी व अकेलेपन के इलाज का पर्याय बन गई थी। सलाखों के पीछे एक नया हेक्टर जन्म ले चुका था। वह कहते हैं, ‘फिटनेश में मुझे पनाह मिली। यह आपका मजबूत किरदार गढ़ती है। आपको अनुशासित रखती है और आप में आत्मविश्वास पैदा करती है।’ जेल में ही हेक्टर ने ‘फिजिकल ट्रेनर’ का प्रशिक्षण लिया। करीब 90 पौंड अपना वजन कम किया। फिर उन्होंने बेडौल साथी कैदियों, बल्कि जेल-स्टाफ की भी अपने शरीर को शेप में लाने में मदद की। रिहाई के बाद इसे ही करियर बनाने के इरादे से उन्होंने जरूरी पढ़ाई की और प्रमाणपत्र हासिल किए। रिहा होने के बाद जब हेक्टर घर आए, तब उनके पास सारी योग्यताएं थीं। मगर आठ महीनों तक उन्हें कहीं से इंटरव्यू के लिए दोबारा बुलावा नहीं आया। बीता हुआ कल उनके आज पर हावी था। 
अंतत: एक क्लब ने उन्हें मौका दिया, और फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। हेक्टर ने साल 2015 में एक गैर-लाभकारी संस्था ‘अ सेकंड यू फाउंडेशन’ की शुरुआत की, जो जेल जा चुके पुरुषों और महिलाओं को पेशेवर निजी प्रशिक्षक का प्रशिक्षण व प्रमाणपत्र देता है और फिर उन्हें फिटनेस उद्योग का हिस्सा बनने में मदद करता है। हेक्टर कहते हैं- जिंदगी में सबको दूसरा मौका मिलना चाहिए। अब तक ऐसे सैकड़ों नौजवान हेक्टर के फाउंडेशन की मदद से अपनी जिंदगी संवार चुके हैं। हेक्टर की अब तक की जीवन-यात्रा ने कई अमेरिकियों को प्रभावित किया है। उन्हें इस साल के प्रतिष्ठित सीएनएन ‘हीरो ऑफ द ईयर’सम्मान के लिए नामित किया गया है।
प्रस्तुति :  चंद्रकांत सिंह

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