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Hindi News ओपिनियन जीना इसी का नाम हैफिर भला उनके शब्दों में जादुई असर कैसे न हो

फिर भला उनके शब्दों में जादुई असर कैसे न हो

वह आज दुनिया की नामचीन हस्तियों में शुमार हैं, उनके पास एक कामयाब इंसान के पास पाई जाने वाली तमाम चीजें हैं, उनको सुनने हजारों लोग सभागारों में उमड़ आते हैं, तो करोड़ों ने उनके वीडियो-ऑडियो देखे-सुने...

फिर भला उनके शब्दों में जादुई असर कैसे न हो
Pankaj Tomarटोनी रॉबिन्स, लेखक और प्रेरक वक्ताSat, 04 Feb 2023 08:33 PM
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वह आज दुनिया की नामचीन हस्तियों में शुमार हैं, उनके पास एक कामयाब इंसान के पास पाई जाने वाली तमाम चीजें हैं, उनको सुनने हजारों लोग सभागारों में उमड़ आते हैं, तो करोड़ों ने उनके वीडियो-ऑडियो देखे-सुने हैं। वह हमारे दौर के उन चंद लोगों में से एक हैं, जिन्होंने हताश-निराश जिंदगियों को फिर से जीने और मुस्कराने का जज्बा सौंपा है। मगर इस मुकाम तक पहुंचने से पहले टोनी रॉबिन्स ने खुद दर्द का एक दरिया पार किया। एक बेहद मर्मांतक सफरनामे का सुखद अंजाम है टोनी का आज!
आज से 63 साल पहले कैलिफोर्निया के ग्लेनडोरा में एक मजदूर परिवार में 29 फरवरी को टोनी पैदा हुए। पिता जॉन महावोरिक और मां निक्की ने तब इनका नाम एंथोनी जे महावोरिक रखा था। तीन भाई-बहनों में सबसे बडेे़ टोनी का बचपन कितना डरावना था, इसका अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि जब से उन्होंने होश संभाला, माता-पिता को बुरी तरह लड़ते-झगड़ते देखा। मां अक्सर पिता पर चीखा करतीं कि तुम परिवार की देखभाल नहीं करते और फिर घर में कोहराम सा मच जाता था। टोनी की कोशिश होती कि माता-पिता की लड़ाई के वक्त भाई-बहन को वह कहीं और लेकर चले जाएं, ताकि वे यह सब देखकर भयभीत व दुखी न हों, पर कई बार बच्चे इन झगड़ों के शिकार बन ही जाते।
टोनी तब सात साल के थे, जब माता-पिता ने अलग होने का फैसला किया। उसके बाद उनकी मां ने कई शादियां कीं, मगर कोई भी विवाह लंबा नहीं टिकता, क्योंकि वह एक बदजुबान महिला तो थीं ही, उन्हें ड्रग्स और शराब की बुरी लत भी लग चुकी थी। हर बार उनका घर बिखर जाता और हर बार इसका खामियाजा टोनी व उनके भाई-बहन को भुगतना पड़ता। कई बार ऐसा भी हुआ कि घर में खाने को कुछ न था और वे दिन फाकाकशी में गुजारने पड़े। एक वक्त तो उनके पास छत भी नहीं बची थी, कई रातें उन्हें यहां-वहां गुजारनी पड़ीं।         
उनकी मां ने जिम रॉबिन्स से जब शादी की, तब टोनी 12 साल के थे। बेसबॉल प्लेयर रह चुके जिम ने टोनी को बाकायदा कानूनी रूप से अपना बेटा कबूला था। किशोर टोनी जब ग्लेनडोरा हाईस्कूल में थे, उन्हीं दिनों में उन्हें राल्फ डब्ल्यू इमर्सन और डेल कारनेगी जैसे मशहूर लेखकों को पढ़ने का मौका मिला था। वह प्रखर वक्ता जिम रोन से भी खासा प्रभावित हुए थे, पर घर के हालात ने उन्हें आगे पढ़ने की इजाजत नहीं दी। वह कॉलेज न जा सके। छोटे भाई-बहन को भूखे न रहना पड़े, इसके लिए टोनी ने तरह-तरह के काम किए। इन सबका उनकी सेहत पर असर पड़ रहा था, मगर इस बात की सुध लेने वाला कौन था? टोनी को एक ऐसा ब्रेन ट्यूमर था, जिसका पता नहीं लग पा रहा था और चंद दिनों में ही उनका कद काफी बढ़ गया था। 
वह बेहद तकलीफ में थे। उन्हें देखभाल और तवज्जो की जरूरत थी, पर एक दिन मां से किसी बात पर कहा-सुनी हो गई और उन्होंने चाकू की नोक पर टोनी को घर से निकाल दिया। तब टोनी 17 साल के थे। मां के इस बर्ताव ने ऐसा आहत किया कि वह पलटकर घर नहीं गए। एक इंटरव्यू में टोनी ने कहा भी है, ‘अगर मां वैसी होतीं, जैसा मैं सोचा करता था, तो मुझे भूखे नहीं सोना पड़ता, इतनी तकलीफ नहीं उठानी पड़ती, मगर तब शायद मैं उपेक्षा का गहरा दर्द न समझ पाता और इस पीड़ा से गुजर रहे लोगों की मदद भी नहीं कर पाता।’ 
घर से दर-बदर टोनी ने चौकीदार की नौकरी कर ली। उन्हें हफ्ते के 40 डॉलर मिला करते थे। उन्हीं दिनों की बात है। वह जहां चौकीदारी करते थे, उसके करीब ही उनके प्रिय वक्ता जिम रोन का एक सेमिनार होने वाला था। टोनी का मन उसमें जाने को मचल उठा। लेकिन सेमिनार की फीस 35 डॉलर थी। लगभग एक हफ्ते की मजदूरी! मगर टोनी ने जोखिम उठाया और फिर कुछ ऐसा हुआ कि उन्हें रोन के साथ काम करने का मौका मिल गया। लगा, जैसे कोई पुरानी साध पूरी हो गई हो। अपनी प्रतिबद्धता की बदौलत टोनी जल्द ही रोन के सहायक बन गए और उनके सेमिनारों के आयोजन को संभालने लगे। जिम रोन को बोलते देख-सुनकर और उनके प्रभावशाली अंदाज की बारीकियों पर गौर करते हुए टोनी ने बहुत कुछ सीख लिया। पढ़ने का शौक तो पहले से था ही, अब पेशेवर संवाद अदायगी का गुर भी समझ में आ चुका था। मगर सवाल यह था कि वह भी एक प्रेरणादायी वक्ता बन सकते हैं, इसको परखा कैसे जाए? टोनी ने इसके लिए उसी सड़क की मदद ली, जो संघर्ष के दिनों में उनकी पनाहगाह बनी थी। वह सड़कों पर मजमा लगाने लगे। लोगों को उनकी तकरीरें छू जातीं, उनका अंदाज लुभा जाता।
महज 26 साल की उम्र में टोनी एक ‘बेस्ट सेलिंग ऑथर’ और करोड़पति बन चुके थे। करीब 100 मुल्कों के पांच करोड़ लोग ऑडियो-वीडियो के जरिये या सेमिनारों में आमने-सामने टोनी के व्याख्यानों से लाभ उठा चुके हैं। उनकी कामयाबी के ब्योरे फोर्ब्स  की सौ प्रभावशाली शख्सियतों की सूची से लेकर हॉलीवुड फिल्मों में अतिथि भूमिका निभाने; और दुनिया की अनेक अजीम हस्तियों की कोचिंग से हजारों करोड़ के व्यवसाय तक पसरे हैं। टोनी की कंपनियां सालाना तीस हजार करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार करती हैं। 
मगर टोनी रॉबिन्स के जीवन की सार्थकता इससे आगे दिखती है। पिछले तीन वर्षों में वह ‘फीडिंग अमेरिका’ कार्यक्रम के साथ मिलकर भूखे लोगों मेें 32.5 करोड़ भोजन के पैकेट वितरित कर चुके हैं। वह दुनिया भर के 1,500 स्कूलों, 700 जेलों को मदद दे रहे हैं। यही नहीं, प्रतिदिन ढाई लाख भारतीयों को स्वच्छ पेयजल मुहैया कराने के एक कार्यक्रम के पीछे भी इस दानवीर का हाथ है। फिर भला इनके लफ्जों में जादुई असर कैसे न होगा!
प्रस्तुति :  चंद्रकांत सिंह

 

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