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Hindi News ओपिनियन जीना इसी का नाम हैहिकारत से शोहरत के बीच की दुनिया

हिकारत से शोहरत के बीच की दुनिया

अभी वह महज 28 के हैं, और उनके लफ्जों, आवाज का जादू कुछ यूं छाया है कि प्रसिद्ध अमेरिकी पत्रिका टाइम  ने उन्हें इस साल दुनिया की सौ सबसे असरदार शख्सियतों में शुमार किया है। आज वह करोड़ों लोगों के...

हिकारत से शोहरत के बीच की दुनिया
केन ब्राउन, अमेरिकी गायक व गीतकारSat, 18 Dec 2021 10:03 PM
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अभी वह महज 28 के हैं, और उनके लफ्जों, आवाज का जादू कुछ यूं छाया है कि प्रसिद्ध अमेरिकी पत्रिका टाइम  ने उन्हें इस साल दुनिया की सौ सबसे असरदार शख्सियतों में शुमार किया है। आज वह करोड़ों लोगों के चहेते हैं, मगर अक्तूबर 1993 में टेनेसी में पैदा हुए केन एलेन ब्राउन को एक वक्त हिकारत झेलनी पड़ी थी। उपेक्षा के उस दंश से वह कुंठित तो नहीं हुए, मगर उसे कभी भूले भी नहीं।
केन की मां ताबथा ब्राउन श्वेत यूरोपीय-अमेरिकी हैं, जबकि पिता अफ्रीकी-अमेरिकी मूल के। केन जब तीन साल के थे और उन्हें पिता की नजरों से दुनिया को जानना-समझना था, तब वह एक मुकदमे में सलाखों के पीछे भेज दिए गए और उनके लालन-पालन की पूरी जिम्मेदारी अकेली मां के कंधों पर आ पड़ी। वे बहुत मुश्किल भरे साल थे। ताबथा ब्राउन के पास अपना कोई स्थायी ठिकाना न था। कुछ दिन दोस्तों-रिश्तेदारों के यहां गुजरे, फिर ऐसा भी हुआ कि कहीं जाने की हिम्मत नहीं पड़ी और कई रातें मां-बेटे को कार में ही बितानी पड़ीं।
बेटे को एक बेहतर जिंदगी दे सकें, उसकी अच्छी परवरिश हो सके, इसके लिए खुद्दार ताबथा को जिस भी शहर में नौकरी का अवसर मिलता, वह वहीं जा पहुंचतीं। इस वजह से केन के स्कूल बदलते रहे। वह करीब आठ साल के रहे होंगे। एक दिन किसी बात पर नाराज सहपाठी ने उन्हें एक ऐसा शब्द बोला, जो अश्वेतों के खिलाफ नस्लवादी गाली के तौर पर इस्तेमाल होता था। नन्हे केन ने इस शब्द का मतलब पता किया और जब इसके पीछे छिपी नफरत और हिकारत के बारे में उन्हें पता चला, तो वह बुरी तरह आहत हुए।
बालक मन उस गाली को कुबूल करने को तैयार न था। इसलिए केन अक्सर हर उस बच्चे से उलझ पड़ते थे, जो इस शब्द का इस्तेमाल करता था। एक बार सहपाठियों ने स्कूल में केन को गाते हुए सुना, वे सब चौंक गए। केन की आवाज में बसे अथाह दर्द ने उन दोस्तों का भी दिल जीत लिया, जिन्होंने कभी उन पर नस्ली फब्तियां कसी थीं। वे केन से और गाने का अनुरोध करने लगे। किशोर केन को उसी क्षण अपनी मंजिल दिख गई थी।   
केन की आवाज में यह गहराई और तड़प उनकी निजी जिंदगी की दुश्वारियों से आई थी। नस्लवादी उपेक्षा की टीस, जैविक पिता के जेल में होने के एहसास और सौतेले पिता की प्रताड़ना के साथ-साथ कई दोस्तों को ड्रग्स व बंदूक-हिंसा का शिकार बनते देख केन उम्र के किशोर कालखंड में ही काफी परिपक्व हो गए थे। स्कूल के एक टैलेंट शो में मिले प्रोत्साहन से प्रेरित होकर वह म्यूजिक में करियर को लेकर बेहद संजीदा हो गए।
पढ़ाई के साथ ‘पार्ट टाइम जॉब’ तो पश्चिमी जीवन शैली का एक सहज हिस्सा रही है, मगर केन की परेशानी सिर पर छत की थी। वह इतना नहीं कमा पाते थे कि कोई मकान किराये पर ले सकें। आखिरकार उन्हें अपनी नानी के यहां ही फिर पनाह मिली। नानी ने ही पहले भी उन्हें सौतेले पिता के कोप से बचाया था।
साल 2013 में केन ने अमेरिकन आइडल और एक्स फैक्टर,  दोनों के लिए ऑडिशन दिए थे। एक्स फैक्टर  में उनका चयन हो भी गया, लेकिन शो के प्रोड्यूसर चाहते थे कि केन उनके ‘ब्वॉय बैंड’ का हिस्सा बनें, जबकि केन एकल गायक के तौर पर अपना भविष्य बनाना चाहते थे। लिहाजा, उन्होंने शो छोड़ यू-ट्यूब का सहारा लिया। अपना वीडियो बनाकर वह यू-ट्यूब पर अपलोड करने लगे। शुरू-शुरू में तो दर्शकों से कोई खास तवज्जो नहीं मिली, लेकिन जब उन्होंने ब्रैंटली गिल्बर्ट, बिली करिंगटन, एलन जैक्शन और ली ब्राइस के गीतों का सहारा लेना शुरू किया, तब उनकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ी। केन की आवाज में जॉर्ज स्ट्रेट के गीत चेक यस और नो  के वीडियो ने तो उन्हें ऑनलाइन लोकप्रियता के शिखर         पर पहुंचा दिया। 
अब उनके मौलिक गीतों की बारी थी। मार्च 2016 में केन ब्राउन ने अपना पहला मौलिक म्यूजिक वीडियो यूज्ड टु लव यू सोबर  अपनी फेसबुक वॉल पर जारी किया। इस एल्बम की लोकप्रियता का आलम यह है कि अब तक नौ करोड़ से अधिक लोग इसे सुन चुके हैं। उसी साल आए चैप्टर-1 एल्बम ने भी कमाल की लोकप्रियता बटोरी। इसने अमेरिकी संगीत की दुनिया में केन को स्थापित कर दिया। बाद में आए व्हाट इफ्स गीत ने तो कई रिकॉर्ड बना डाले। करोड़ों उनके मुरीद हो गए।
फोर्ब्स   पत्रिका ने साल 2019 में केन को 30 साल से कम आयु वर्ग में सर्वाधिक कमाई करने वाले गायकों में पांचवें नंबर पर रखा था। लोकप्रियता और समृद्धि के शिखर पर पहुंचने के बाद भी केन ब्राउन अपनी जड़ों को कभी नहीं भूले। वह न सिर्फ अपने गीतों के जरिये रंगभेद, नस्लवाद का मुखर विरोध करते हैं, बल्कि बेघर लोगों की मदद में जुटे संगठन ‘मेक रूम’ को भी अपनी जेब से भरपूर आर्थिक मदद करते हैं। केन की जिंदगी का अब एक ही फलसफा है- माफ करो, मदद करो! 
प्रस्तुति : चंद्रकांत सिंह  

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