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विश्व कप की जीत ने बदल दी जिंदगी

मैं भारतीय टीम में बतौर गेंदबाज चुना गया था, पर फर्स्ट क्लास क्रिकेट में मेरे इतने रन थे कि टीम को उम्मीद थी कि मैं अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में भी रन बनाऊंगा। इस लिहाज से मेरा शुरुआती दौरा अच्छा नहीं...

विश्व कप की जीत ने बदल दी जिंदगी
मदन लाल, पूर्व क्रिकेटरSat, 15 Jun 2019 10:35 PM
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मैं भारतीय टीम में बतौर गेंदबाज चुना गया था, पर फर्स्ट क्लास क्रिकेट में मेरे इतने रन थे कि टीम को उम्मीद थी कि मैं अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में भी रन बनाऊंगा। इस लिहाज से मेरा शुरुआती दौरा अच्छा नहीं रहा। मैं शॉर्ट पिच गेंदों पर कमजोर पड़ता था। सुनील गावस्कर ने मेरी बहुत मदद की। उन दिनों आज की तरह टीम के साथ कई-कई कोच नहीं होते थे। इसके बाद वह वक्त भी आया, जब मैं टीम से ‘ड्रॉप’ हो गया। दो-तीन साल बाद कपिल देव भी टीम में आ गए। लोगों ने कहना शुरू कर दिया कि कपिल देव आ गए हैं, इसीलिए मदन लाल ‘ड्रॉप’ हो गए। मैंने तब भी कहा था कि मैं भी खेलूंगा और कपिल भी खेलेगा। मैंने कभी कपिल की तरफ नहीं देखा। मैं सिर्फ अपने खेल पर ‘फोकस’ करता था। मेरी परवरिश और ट्रेनिंग ऐसी थी कि मैं किसी से जलन महसूस करने की बजाय सोचता था कि मुझे भी अच्छा करना है, इसीलिए मैं लंबे समय तक खेल पाया।

फिर 1983 आया। इससे पहले दो वर्ल्ड कप हमारे लिए बहुत खराब थे। 1975 में मैं खेला था। 1979 में मैं नहीं खेला था। इतनी वनडे क्रिकेट तब होती भी नहीं थी। 1979 के बाद ही वनडे क्रिकेट में हम लोगों को थोड़ा ‘एक्सपीरिएंस’ भी मिला था। पहले दो वर्ल्ड कप का रिकॉर्ड देखते हुए 1983 में कोई नहीं कहता था कि हम जीत सकते हैं। जब कभी कोई टीम इतने बड़े ‘इवेंट’ में जाती है, तो हर कोई अच्छा करना चाहता है। 1983 में भी यही था। हम सब सोचते थे कि अच्छी परफॉर्मेंस देनी है। 1982 में हमने वेस्ट इंडीज के खिलाफ सीरीज खेली थी। हमें मालूम था कि उनकी टीम में क्या ताकत और कमजोरी है। वेस्ट इंडीज हर हाल में हमसे मजबूत टीम थी, लेकिन हमने उसे हराकर वर्ल्ड कप जीता था। उसे मैं आज भी भारतीय क्रिकेट इतिहास की महानतम जीत में से एक मानता हूं।

टूर्नामेंट के शुरुआती दौर में लोग कहते थे कि ये लोग तो ऐसे ही आए हैं, कीनिया या जिम्बॉब्वे के खिलाफ एकाध मैच जीत लेंगे। हम कुछ बोलते नहीं थे। एक-एक मैच करके हम खेलते चले गए और फिर सेमीफाइनल में पहुंच गए। आत्मविश्वास बढ़ता चला गया। फाइनल में हम लोगों पर कोई ‘प्रेशर’ नहीं था। आज जब हमारी टीम विश्व कप के लिए जाती है, तो उस पर बहुत प्रेशर होता है। मैं हमेशा मानता हूं कि भगवान को जब आपको कुछ देना होता है, तो दे ही देता है। फाइनल में विवियन रिचर्ड्स का विकेट भी ऐसी ही एक बात है। मेरी चाहत थी कि मैं उसका विकेट लूं। तीन ओवर में 21 रन पड़ने के बाद कोई भी कप्तान सोचेगा कि गेंद मुझको सौंपी जाए या नहीं। लेकिन वह मौके की बात थी कि मैंने जाकर कपिल देव से गेंद ले ली।

अगर मैं कुछ सेकंड और रुकता, तो शायद वह ओवर कोई और गेंदबाज फेंक रहा होता। बस वह मेरा आत्मविश्वास था कि मुझे इसका विकेट लेना है। उसके बाद की कहानी इतिहास है। कपिल देव का वह कैच इतिहास में दर्ज है। आज भी लोग हमें उस एक विकेट के लिए याद करते हैं। उसी विकेट के बाद मैच बदला। उसके बाद मैंने लैरी गोम्स का विकेट भी लिया। जब वेस्ट इंडीज के पांच बल्लेबाज आउट हो गए, तो हमारे अंदर उम्मीद जगी कि हम जीत सकते हैं। इसी उम्मीद ने हमारे अंदर जोश भर दिया। वेस्ट इंडीज की टीम वहीं से दबाव में आ गई। वरना पहले वे लोग बहुत आराम से खेल रहे थे। पांच विकेट गिरने के बाद हमारे हाथों में गरमी आनी शुरू हुई। लोगों की दुआएं थीं और भगवान का आशीर्वाद कि हम वर्ल्ड चैंपियन बन गए। आज भी कई बार आंखें मूंदकर सोचता हूं, तो ऐसा लगता है कि लोगों की सच्चे दिल से की गई दुआएं थीं, जो हमें लग गईं।

मुझे लगता है, दुनिया के जितने बड़े खिलाड़ी होते हैं, उनका ‘आत्मविश्वास’ ही उन्हें महान बनाता है। अगर आपको उन्हें चुनौती देनी है, तो पहले उनके ‘आत्मविश्वास’ पर ही हमला करना होगा। विवियन रिचर्ड्स के साथ भी उस दिन ऐसा ही हुआ। वह विश्व के महानतम बल्लेबाजों में से एक हैं, लेकिन उस दिन उन्होंने गेंद को ‘मिसटाइम’ किया और हम लोगों ने इतिहास रच दिया। विवियन रिचर्ड्स अब भी कहीं मिलते हैं, तो कहते हैं- हे मैन, आई डोंट वांट टु सी योर फेस। वह बहुत प्यारे इंसान हैं। अब भी उस मैच को याद करके मजा आता है। इसके बाद हमारी जिंदगी ही बदल गई। गांव में हमारे परिवार का बड़ा रुतबा हो गया। पिताजी कहीं जाते थे, तो लोग उन्हें आगे बढ़कर कुरसी देते थे। इस विश्व कप की जीत से अलग भी मैंने अपनी जिंदगी को बदलने के लिए बहुत मेहनत की है। मैं 22 साल इंग्लैंड में खेला हूं। एक-एक पैसा जोड़ा है। मैंने होटलों में सफाई का काम करके पैसा बचाया था। मैं इंग्लैंड में हर साल औसतन 80-90 विकेट लेता था और हजार के करीब रन बनाता था। आज मैंने जो कुछ हासिल किया है, अपनी मेहनत के बलबूते ही किया है।

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