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शादी की बात, ओलंपिक के बाद

जब भी मैं कोई मेडल जीतकर आता हूं, तो गांव वाले बहुत खुश होते हैं। पूरे माहौल में एक अलग ही जोश होता है। वे एयरपोर्ट पर मुझे लेने आते हैं। स्वागत करते हैं। ऐसा लगता है कि हां, मैंने कुछ अच्छा किया है,...

शादी की बात, ओलंपिक के बाद
बजरंग पूनिया, गोल्ड मेडलिस्ट पहलवानSat, 13 Oct 2018 11:42 PM
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जब भी मैं कोई मेडल जीतकर आता हूं, तो गांव वाले बहुत खुश होते हैं। पूरे माहौल में एक अलग ही जोश होता है। वे एयरपोर्ट पर मुझे लेने आते हैं। स्वागत करते हैं। ऐसा लगता है कि हां, मैंने कुछ अच्छा किया है, तभी तो इतना सम्मान मिल रहा है। मेरे घरवाले बताते हैं कि जब मैं देश-विदेश में अपनी ‘बाउट’ लड़ रहा होता हूं, तब गांव वाले एक साथ बैठकर मेरा मुकाबला देखा करते हैं। वहीं से मुझे दुआएं दिया करते हैं। मेरे लिए ‘चियर’ करते हैं। कई बार जब मैं मेडल जीतकर गांव आता हूं, तो गांव वालों की खुशी, उनका प्यार और अपने लिए सम्मान देखकर मुझे लगता है कि मैंने वहां दोबारा मेडल जीत लिया है। हर कोई मुझसे मिलने आता है। छोटे-छोटे बच्चे भी अखाड़े में मिलने आते हैं। मुझसे कहते हैं कि हमें आपके जैसा बनना है। मैं उन्हें देखकर अपना बचपन याद करता हूं। बहुत खुशी होती है। मैं अपना सफर याद करता हूं। एक छोटे से गांव और औसत परिवार से निकलकर मैं यहां तक पहुंचा कि अब बच्चे कहते हैं कि उन्हें बजरंग जैसा बनना है। 

मुझे आलू के पराठे, घी, दही बहुत पसंद हैं। मैं चाहे जीतकर आऊं या हारकर, मां हमेशा मेरे लिए यह सब कुछ बनाती हैं। मैं जीतकर आता हूं, तब तो मां का प्यार मिलता ही है, हारकर आता हूं, तो वह ज्यादा प्यार दिखाती हैं। उनका प्यार उनके बनाए आलू के पराठे और चूरमा में मिलता है। पापा मुझे पहलवान बनाना चाहते थे, इसलिए मां ने भी हमेशा अपना पूरा प्यार और आशीर्वाद दिया। कभी यह नहीं कहा कि कहां खेलकूद में समय खराब कर रहे हो? वैसे हरियाणा की मिट्टी में ही कुछ ऐसा है कि वह बच्चों को कुश्ती के लिए खींच लेती है। आप किसी भी घर में चले जाइए, वहां आपको कोई न कोई कुश्ती या कबड्डी का खिलाड़ी मिल ही जाएगा। कुश्ती के खेल में शुरुआत में कोई पैसा नहीं खर्च करना होता है। आसपास के गांवों में दंगल लड़िए, सिर्फ एक लंगोट लेकर जाइए। जीते, तो इनाम मिलता ही है।  

इस बार जब हम एशियन गेम्स में जीतकर आए, तो हमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, खेल मंत्री राज्यवद्र्धन सिंह राठौर और गृह मंत्री राजनाथ सिंह से भी मिलने का मौका मिला। जब इतने बड़े लोगों का आशीर्वाद मिलता है, तो अंदर से और ताकत मिलती है कि हम आगे और भी अच्छा कर सकते हैं। एक खिलाड़ी के खेल मंत्री बनने से भी हमें काफी फायदा हुआ है। राज्यवद्र्धन जी खुद ओलंपिक में मेडल जीत चुके हैं। उन्हें एक खिलाड़ी के करियर में आने वाली सभी चुनौतियों का अंदाजा अच्छी तरह है, इसीलिए हम उनसे ज्यादा उम्मीद करते हैं। उन्हें अच्छी तरह पता है कि एक खिलाड़ी को किस-किस चीज की मदद चाहिए होती है? वह एशियन गेम्स के दौरान वहां आए भी थे। इसका बहुत फायदा भी हुआ। उनके रहने से धीरे-धीरे खेलों की स्थिति और सुधरेगी। 

अभी हाल में मैं उनसे मिला था, जब खेल रत्न को लेकर मैंने आवाज उठाई थी। नियमों के आधार पर मुझे यह सम्मान मिलना चाहिए था। जब मेरा नाम नहीं चुना गया, तो मुझे बुरा लगा। मैंने अदालत का दरवाजा खटखटाने का फैसला कर लिया था। कुछ लोगों से बात भी कर ली थी। लेकिन फिर योगी भाई ने समझाया कि इस मामले को तूल देकर समय खराब करने का कोई फायदा नहीं है। मैंने उनकी बात मान ली।

एशियन गेम्स के मेडल के बाद अब देशवासियों की उम्मीद है कि मैं ओलंपिक में भी मेडल लेकर आऊं। मैं पूरी कोशिश करूंगा कि उनकी उम्मीदों पर खरा उतरूं। मुझे यह बात बहुत अच्छी लगती है कि लोग मुझसे उम्मीद करते हैं, यानी मैं इस लायक हूं कि लोग मुझसे उम्मीद करें। हाल-फिलहाल में मैंने जितने भी टूर्नामेंट में हिस्सा लिया है। मेरा मुकाबला विश्व के चोटी के पहलवानों से हुआ है। सभी के खिलाफ मेरा प्रदर्शन अच्छा रहा है। मुझे अपनी ताकत का अंदाजा लगा है। साथ ही यह भी समझ में आया है कि ओलंपिक में किस तरह के पहलवानों से मेरा सामना होगा। अपनी तैयारियों को जांचने और आंकने के बाद मैं बहुत पॉजिटिव महसूस कर रहा हूं। अभी एक ग्रां प्री में हिस्सा लिया, तुर्की में एक टूर्नामेंट खेला,  हर जगह मेरी बाउट अच्छी गई है। अगर ऊपर वाले का साथ रहा, तो मैं 100 फीसदी ‘कॉन्फिडेंट’ हूं कि ओलंपिक में अच्छी खबर आएगी। इसी महीने वल्र्ड चैंपियनशिप है। उसके साथ-साथ ओलंपिक की तैयारियों में जी-जान से लगे हैं। जो लोग मुझसे अक्सर शादी के बारे में पूछते हैं, उन्हें मैंने बता रखा है कि शादी की बात 2020 के टोकियो ओलंपिक के बाद सोचूंगा।

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