हमारे इम्तहान का वक़्त
हम हिन्दुस्तानियों की कुटैव है कि अपनी बलाएं हुकूमत के सिर मढ़ दो और शांत रह बैठो ।इसबार वक्त इसकी इजाजत नहीं दे रहा। कोरोना नाम का जो वायरस कल तक अदृश्य और अनाम था, उसने समूची धरती को...
हम हिन्दुस्तानियों की कुटैव है कि अपनी बलाएं हुकूमत के सिर मढ़ दो और शांत रह बैठो ।इसबार वक्त इसकी इजाजत नहीं दे रहा। कोरोना नाम का जो वायरस कल तक अदृश्य और अनाम था, उसने समूची धरती को अपनी चपेट में ले लिया है। कोई दावे के साथ यह नहीं कह सकता कि इसका प्रकोप कितना घातक होगा और किस मुकाम पर थमेगा?संसार के तमाम लब्धप्रतिष्ठ वैज्ञानिक और संस्थानों के शोध बता रहे हैं कि खतरा उससे कहीं विकराल है, जितना दिख रहा है। हमारे देश में तो अभी इसका प्रकोप पूरी तरह शुरू तक नहीं हुआ है। ऐसे में यह मानकर चुप हो लेना गलत होगा कि सब ठीक है।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में गुरुवार रात आठ बजे इस विश्व-व्यापी संकट को रेखांकित करते हुए देश के हर नागरिक से अपील की कि वह ‘राष्ट्र-रक्षक’ की भूमिका अदा करे।
इतिहास में ऐसे तमाम अवसर आए हैं, जब हम भारतीयों ने संकट के समय एकजुटता का परिचय दिया है। यह समय वाकई ‘संकल्प और संयम’ का है। संकल्प यह कि हम वैज्ञानिकों द्वारा सुझाए गए दिशा-निदेशों का पालन करें। ‘हिन्दुस्तान’ इस महामारी की शुरुआत के साथ ही आज तक बचाव के तरीके बताता रहा है। आज के इस अंक के साथ भी हमने जैकेट के जरिए आपको बचाव के आधुनिकतम तरीके बताए हैं। यह समय समाज की रक्षा के लिए खुद को समाज से काट लेने का है। प्रधानमंत्री ने भी कहा है कि घर से बाहर तभी निकलें, जब बहुत जरूरी हो। उन्होंने रविवार को जिस ‘जनता कर्फ़्यू’ आह्वान किया है, उसे सफल बनाने के लिए सरकार के कठोर कदम से ज्यादा हमारी जागरूकता जरूरी है। सिर्फ रविवार ही क्यों, आने वाले तीन हफ्ते घर से बाहर निकलने से पहले सौ बार सोचें कि क्या यह वाकई जरूरी है? घर में रहने के नाम पर अक्सर घबराहट फैलती है और लोग जमाखोरी करने में जुट जाते हैं। अमेरिका जैसे परम विकसित देश में देखा गया है कि वहां भी स्टोर के स्टोर खाली हो गए। ऐसी गैर-जिम्मेदाराना हरकतें न सिर्फ दहशत बढ़ाती हैं बल्कि साधनहीनों के हक-हूकूकों पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं। इस देश में बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं, जो रोज कुआं खोद कर पानी पीते हैं। जरूरी है कि उनकी आवश्यकता का हर सामान दुकानों पर मौजूद रहे, न कि हमारे भंडार-गृहों में।जब होटल और रेस्टोरेंट बंद हैं, तो तय जान लीजिए कि आपको खाद्यान्न की कमी नहीं होने वाली। प्रधानमंत्री ने भी आश्वासन दिया है कि इसकी आपूर्ति में कोई बाधा नहीं आने दी जाएगी। राज्य सरकारों ने भी इसके लिए मुकम्मल इंतजामात किये हैं। हमें उनका काम कठिन नहीं बनाना चाहिए। इस दौरान कई ऐसी खबरें पढ़ने को मिलीं कि लोगों ने अस्पतालों में अनावश्यक भीड़ लगा दी। हमें मानना और जानना होगा कि कोई भी चिकित्सकीय व्यवस्था इतनी मुकम्मल नहीं होती है कि वह अनावश्यक बोझ सह सके। ऐसे में जब देश और दुनिया महामारी के शिकार लोगों की तीमारदारी का इंतजार कर रही हो, तो उस पर गैरजरूरी भार डालना अपराध होगा। हमें इससे बचने की जरूरत है।
कुछ शोध बताते हैं कि यह महामारी साल से दो साल तक खिंच सकती है। इसकी वजह यह है कि अभी यह प्रसार की स्थिति में है। चीन, जहां यह थमती नजर आ रही है, वहां भी इस बात की कोई गारंटी नहीं कि इसका दोबारा आक्रमण नहीं होगा। महामारियों का इतिहास बताता है कि वे जा -जाकर लौटती हैं। जहां नहीं पहुंची होती हैं, वहां तब उनका हमला होता है, जब शुरुआती संक्रमण के शिकार देश उससे मुक्त हो रहे होते हैं। हमारे देश में यह कहकर भी कोरोना की गंभीरता को हलका करने के प्रयास किये जा रहे हैं कि गरमी के साथ यह वायरस मर जाएगा। यह ठीक है कि फ्लू के कुछ वायरस गरमी में नहीं पनपते हैं, पर कोरोना के साथ ऐसा ही होगा ये कहना मुश्किल है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के वैज्ञानिकों का मानना है कि भूमंडल के जिन हिस्सों में, 35 डिग्री के आसपास तापमान है, वहां भी इस वायरस ने अपना मारक असर दिखाया है।कुछ शोध पत्रों के अनुसार यह बीमारी अभी और पनपने वाली है।
एक शोध के अनुसार यह महामारी किसी भी विश्व युद्ध या पहले के प्राकृतिक प्रकोपों से ज्यादा व्यक्तियों को लील जाने वाली है। आश्चर्य नहीं कि ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने पिछले दिनों अपनी एक पत्रकार-वार्ता में कहा कि वायरस की यह महामारी बहुत से लोगों का अपने प्रियजनों से विच्छोह करवा देगी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रंप जिस तरह अपनी समूची टीम के साथ पत्रकारों के जवाब देते नजर आए, वह भी अभूतपूर्व था। विश्व नेताओं का यह नया चेहरा अजनबी आशंकाओं को बल देता है। इसीलिए खुद की इच्छाओं पर संयम जरूरी है, क्योंकि इस वायरस के ग्रस्त कोई भी व्यक्ति सिर्फ अपना नहीं बल्कि अपने संपर्क में आए तमाम लोगों को क्षति पहुंचाता है। अब तक आत्मघाती हमलावर ऐसा करते रहे हैं। उम्मीद है, आप उन मानवहन्ताओं की कतार में खुद को नहीं खड़ा करना चाहेंगे।