
जनता को राहत देगा जीएसटी सुधार
संक्षेप: जीएसटी सुधार की नई पहल देश की अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था में एक प्रभावशाली बदलाव है। इसमें दर-संरचना को नए सिरे से व्यवस्थित करके उसे दो श्रेणी में बांटा गया है और दर कम रखे गए हैं, जिससे घरेलू मांग बढ़ेगी और देश तरक्की करेगा…
गौरव वल्लभ, अर्थशास्त्री व भाजपा नेता
जीएसटी सुधार की नई पहल देश की अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था में एक प्रभावशाली बदलाव है। इसमें दर-संरचना को नए सिरे से व्यवस्थित करके उसे दो श्रेणी में बांटा गया है और दर कम रखे गए हैं, जिससे घरेलू मांग बढ़ेगी और देश तरक्की करेगा। यह आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने, अमेरिकी टैरिफ के दुष्प्रभाव को कुंद करने और तमाम क्षेत्रों में व्यापार को सुगम बनाने के लिए उठाया गया एक रणनीतिक कदम है। एसबीआई रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, इससे चालू वित्त वर्ष में खपत में 1.98 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त बढ़ोतरी हो सकेगी, जिससे परिवार, बाजार और पूरी अर्थव्यवस्था के लिए यह सुधार ‘गेमचेंजर’ साबित होगा।
बीते 3 सितंबर को जीएसटी परिषद ने न सिर्फ चार दरों के जटिल कर-ढांचे की इस व्यवस्था को दो सरल दरों (5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत) में श्रेणीबद्ध किया, बल्कि विलासिता और हानिकारक वस्तुओं पर 40 फीसदी की दर को मंजूरी दे दी। रोजमर्रा की जरूरत की चीजों और बुनियादी जरूरी संसाधनों को अब निचली दो कर श्रेणी में रखा किया गया है, जिससे लाखों लोगों को फायदा मिलेगा। ये तमाम बदलाव आगामी 22 सितंबर से त्योहारों के मौसम के साथ लागू होंगे।
नई दरों के मुताबिक, बाल में लगाए जाने वाले तेल, साबुन, मक्खन, घी, नमकीन, चॉकलेट, कॉफी जैसी रोजाना इस्तेमाल होने वाली चीजों पर अब सिर्फ पांच फीसदी जीएसटी लगेगा, जो पहले की दरों (12 से 18 फीसदी) से काफी कम है। अब न सिर्फ जीवन रक्षक दवाओं (33 प्रमुख दवाओं) को कर से बाहर कर दिया गया है, बल्कि दूध, पनीर, खाखरा (चपाती) जैसे खाद्य पदार्थों पर भी जीएसटी शून्य कर दिया गया है, जिसका मतलब है कि हर परिवार के पास ज्यादा खर्च करने लायक आमदनी बचेगी और वे अन्य वस्तुओं व सेवाओं पर अधिक खर्च कर सकेंगे। सीमेंट (इसमें जीएसटी 28 फीसदी से घटाकर 18 फीसदी किया गया है) और गाड़ियों के कल-पुर्जे जैसे क्षेत्रों में लागत अब घटेगी, जिससे निर्माण, गाड़ियों की मांग और लघु व मध्यम उद्योगों के कामकाज में इजाफा होगा।
इन सुधारों से जुड़े प्रमुख अनुमानों के मुताबिक, 0.7 की एमपीसी (उपभोग-प्रवृत्ति) के साथ, प्रत्यक्ष उपभोग में प्रारंभिक वृद्धि 70,000 करोड़ रुपये की होगी, जबकि इससे 85,000 करोड़ रुपये का राजस्व-नुकसान होगा। जैसे-जैसे नए खर्च अर्थव्यवस्था में शामिल होंगे, मांग में 1.98 करोड़ रुपये तक की वृद्धि हो सकेगी। आयकर के हालिया बदलावों को भी यदि इसमें जोड़ दें, तो करीब 5.31 लाख करोड़ रुपये की खपत बढ़ने की उम्मीद है, जो चालू वित्त वर्ष में जीडीपी का करीब 1.6 प्रतिशत हिस्सा होगा। इन दो सुधारों के बाद जीडीपी में 100 से 120 आधार अंकों में वृद्धि की उम्मीद है, जिससे चालू वित्त वर्ष में वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत और अगले वित्त वर्ष में सात प्रतिशत तक पहुंच सकती है।
एफएमसीजी, ऑटो, सीमेंट, रिटेल और स्वास्थ्य सेवा जैसे तमाम क्षेत्रों में अब तेजी आएगी। सरल अनुपालन, इनपुट क्रेडिट में सुधार और कम कागजी कार्रवाइयों से सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योगों के विस्तार में मदद मिलेगी, नकदी प्रवाह में सुधार होगा और रोजगार सृजन में सहायता मिलेगी। जीएसटी 2.0 सुधारों से कर अनुपालन आसान होगा और कर गणना व उसकी फाइलिंग की जटिलताएं कम होंगी। इससे कारोबारियों को लाभ मिलेगा। इस कटौती से दिन-प्रतिदिन के कामों के लिए जरूरी पूंजी का बोझ कम होगा और ‘प्रोविजनल रिफंड’ व स्वत: पंजीकरण जैसी सुविधाओं के कारण तरलता बढ़ेगी, जिससे जल्द पैसे पाए जा सकेंगे। दरों में कटौती के अलावा, इन सुधारों द्वारा स्वत: ऑनलाइन पंजीकरण, त्वरित रिफंड और उल्टे शुल्क ढांचे (आउटपुट की तुलना में इनपुट पर अधिक कर) से जुड़े मसलों के समाधान जैसे ढांचागत सुधार किए गए हैं, जिससे कपड़ा, उर्वरक और अक्षय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों को विशेष रूप से फायदा मिलेगा।
इन बदलावों से वर्गीकरण संबंधी विवादों का भी निपटारा होगा और आत्मनिर्भर भारत के नजरिये के अनुरूप एक अधिक प्रतिस्पर्द्धी, बेहतर व्यावसायिक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण हो सकेगा, जिससे अंतत: व्यापार में सुगमता बढ़ेगी, उपभोक्ता मांग में वृद्धि होगी और त्योहारी व सालाना खरीदारी में भी इजाफा होगा। इन तमाम उपायों से नकदी के प्रवाह में सुधार होगा, अनुपालन संबंधी चुनौतियां कम होंगी और जीएसटी के तहत आर्थिक विकास व व्यावसायिक क्षमता के लिए अधिक अनुकूल माहौल बन सकेगा।
यह जीएसटी सुधार रोजमर्रा की जिंदगी में बड़ी राहत लेकर आया है। बर्तन, दूध की बोतलें, दुग्ध उत्पाद, सिलाई मशीन व उसके पुर्जों जैसी जरूरी वस्तुओं पर जीएसटी घटाकर पांच प्रतिशत किया गया है, जिससे परिवारों को किराने के मासिक खर्च में 10 से 15 प्रतिशत की बचत हो सकेगी। मुख्य भोजन और पदार्थ जैसे दूध व पनीर पर अब जीएसटी नहीं लगेगा, जिससे पोषण सुरक्षा में मदद मिलेगी। स्वास्थ्य सेवाओं को भी लाभ मिला है और 33 से अधिक जीवनरक्षक दवाएं अब जीएसटी-मुक्त कर दी गई हैं। इतना ही नहीं, स्वास्थ्य और जीवन बीमा पॉलिसी, थर्मामीटर और ग्लूकोमीटर पर कर घटाए गए हैं, जिससे स्वास्थ्य सेवा सुलभ व सस्ती हो जाएगी। कॉपी, पेंसिल, रबड़ और क्रेयॉन पर जीएसटी छूट से शिक्षा क्षेत्र को राहत मिली है और इससे छात्रों व परिवारों का खर्च कम हो सकेगा।
कृषि उपकरणों व मशीनरी पर दरों में कमी (12 फीसदी से घटाकर पांच फीसदी) करके किसानों को भी लाभ दिया गया है, जिससे ग्रामीण आय बढ़ सकेगी। छोटी कारों (1200 सीसी पेट्रोल व 1500 सीसी डीजल गाड़ियों तक) और मोटरसाइकिलों (350 सीसी तक) पर लगने वाले जीएसटी को 28 फीसदी से घटाकर 18 फीसदी करने से ऑटोमोबाइल क्षेत्र में मांग बढ़ सकेगी। उपभोक्ताओं को इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में भी लाभ मिला है, क्योंकि एसी, टीवी और रेफ्रिजरेटर पर अब 28 के बजाय 18 फीसदी जीएसटी लगेगा। इससे लोगों के जीवन स्तर में सुधार आएगा।
जाहिर है, ‘जीएसटी 2.0’ देश में सरल, अधिक न्यायसंगत और विकासोन्मुखी अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था बनाने की दिशा में ऐतिहासिक कदम है। कर-दरों को न्यायसंगत बनाकर और व्यापक ढांचागत व प्रक्रिया संबंधी सुधारों के जरिये घरेलू क्रय शक्ति बढ़ाकर जीएसटी 2.0 अर्थव्यवस्था को मजबूती से आगे बढ़ाएगा। यहआत्मनिर्भर भारत के लिए प्रेरक के रूप में काम करेगा और मौजूदा भू-राजनीतिक माहौल में जीवन को सुगम बनाने व सभी क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों को आगे बढ़ाने में मददगार साबित होगा।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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