पेट्रोल की कीमत
अपनी कार, मोटरसाइकिल या स्कूटर के लिए पेट्रोल व डीजल खरीदने का हमारा अनुभव आज से बदल जाएगा। अब किसी को नहीं पता होगा कि वह सुबह ईंधन भरवाने के लिए पेट्रोल पंप जाएगा, तो उसे अपनी जेब कितनी ढीली करनी...
अपनी कार, मोटरसाइकिल या स्कूटर के लिए पेट्रोल व डीजल खरीदने का हमारा अनुभव आज से बदल जाएगा। अब किसी को नहीं पता होगा कि वह सुबह ईंधन भरवाने के लिए पेट्रोल पंप जाएगा, तो उसे अपनी जेब कितनी ढीली करनी होगी? ठीक वैसे ही, जैसे आप मंडी में जाने के लिए जब झोला उठाते हैं, तब आपको पता नहीं होता कि आज वहां आपको प्याज किस भाव मिलेंगे? बाजार भाव की यह अनिश्चितता न जाने कब से हमारे जीवन में है, इसलिए हम उस पर ज्यादा ध्यान नहीं देते। यही अनिश्चितता अब पेट्रोल पंपों पर भी होगी। पेट्रोल पंप की यह अनिश्चितता हमारे लिए नई चीज है, इसलिए इसे लेकर कई उलझनें भी हैं और कई आशंकाएं भी। सार्वजनिक वाहन चलाने वाले कह रहे हैं कि क्या उन्हें अपनी सेवा दरें भी रोज बढ़ानी-घटानी पड़ेंगी? यह सच है कि हमारे यहां पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें बढ़ने के साथ ही महंगाई बढ़ने का सिलसिला भी शुरू हो जाता है, तो क्या अब ऐसा दैनिक रूप से होगा? ऐसा नहीं है कि ये उलझनें सिर्फ उपभोक्ताओं के मन में हैं। पेट्रोल पंप वाले भी इसे लेकर काफी उलझन में हैं। इतना कि उन्होंने तो हड़ताल करने की धमकी तक दे दी थी, बाद में वे किसी तरह मान-मनौवल के बाद हड़ताल की जिद से पीछे हटे।
यह हालत तब है, जब पिछले कई हफ्तों से देश के पांच शहरों में हर रोज पेट्रोल के दाम तय करने की कवायद चल रही है। इस समय जो उलझनें और आशंकाएं लोगों के मन में हैं, वे बताती हैं कि यह पूरा प्रयोग सिर्फ सरकारी तैयारियों को जांचने-परखने के लिए ही था, जबकि होना यह चाहिए था कि इन पांच शहरों के अनुभव पूरे देश के साथ साझा किए जाते। पूरे देश के पेट्रोल पंप मालिकों को यह बताया जाता कि इन पांच शहरों के पेट्रोल पंप वालों ने इस योजना से कैसे तालमेल बनाया? इन शहरों के आम उपभोक्ताओं की प्रतिक्रिया भी सार्वजनिक किए जाने की जरूरत थी। यह सब नहीं किया गया, इसलिए लोगों के मन में इसे लेकर कई तरह के डर हैं। इससे एक आभास यह मिला कि जो कुछ किया जा रहा है, वह सरकार और पेट्रोल कंपनियों के फायदे की कोई चीज है, आम उपभोक्ताओं को इससे कुछ नहीं मिलने वाला। अभी हमें ठीक से नहीं पता कि पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें रोज तय करने की योजना भविष्य में क्या रूप लेगी, लेकिन एक बात तो साफ है कि इसके संभावित फायदों की बात लोगों तक नहीं पहुंच सकी।
दुनिया में खनिज तेल के दाम जिस तरह से नीचे आए हैं, उसमें यह आशंका नहीं है कि निकट भविष्य में उपभोक्ताओं को कोई तेज झटका लग सकता है। और अगर किसी कारण से दाम तेजी से बढ़ते भी हैं, तो पाक्षिक रूप से दाम तय करने की पुरानी व्यवस्था भी लोगों को झटके से बहुत ज्यादा नहीं बचा सकती। पिछले कुछ समय में हमने पेट्रोलियम पदार्थों को काफी हद तक तर्कसम्मत बना दिया है। इस पर दी जाने वाली सब्सिडी का युग तो काफी पहले ही खत्म कर दिया गया था। कच्चे तेल की कीमतें विश्व बाजार में हर रोज बदलती हैं, इसके अलावा रुपये का विनिमय मूल्य भी हर रोज बदलता है। नई नीति में इन सबको व्यवस्थित कर दिया जाएगा। और हर रोज सुबह छह बजे उस दिन की कीमतें लागू हो जाएंगी। आप चाहें, तो एसएमएस या मोबाइल एप के जरिये घर बैठे कीमत पता कर सकते हैं। उम्मीद है कि इससे उपभोक्ताओं को कुछ फायदा भी मिलेगा। विश्व बाजार में कीमतें कम हुईं, तो उन्हें उसका फायदा उठाने के लिए 15 दिन का इंतजार नहीं करना होगा। पर असल बात यह है कि पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें अब सरकार के नियंत्रण से हटकर बाजार के हवाले हो जाएंगी।