उत्तर कोरिया की मिसाइल
मध्य एशिया के इस छोटे से देश ने एक बार फिर अमेरिका को मुंह चिढ़ा दिया है। मिसाइल परीक्षण के साथ ही उत्तर कोरिया के इस दावे ने तनाव को एक नया रंग तो दे ही दिया है कि अमेरिका का हर हिस्सा अब उसकी मार की...
मध्य एशिया के इस छोटे से देश ने एक बार फिर अमेरिका को मुंह चिढ़ा दिया है। मिसाइल परीक्षण के साथ ही उत्तर कोरिया के इस दावे ने तनाव को एक नया रंग तो दे ही दिया है कि अमेरिका का हर हिस्सा अब उसकी मार की जद में है। इस मिसाइल परीक्षण का अभी तक जो ब्योरा सामने आया है, उसके हिसाब से उस इंटरकॉन्टीनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल का ज्यादा आधुनिक रूप है, जिसका उत्तर कोरिया ने 75 दिन पहले परीक्षण किया था। ये मिसाइल जिस श्रेणी की है, उससे दुनिया में कहीं भी हमला बोला जा सकता है, हालांकि इसके बारे में किए जा रहे दावे कितने सही हैं, इस पर फिलहाल बहुत कुछ नहीं कहा जा सकता। उत्तर कोरिया ने सिर्फ मिसाइल का परीक्षण ही नहीं किया, बल्कि अपने आप को एक पूर्ण परमाणु शक्ति संपन्न देश भी घोषित कर दिया। हालांकि इसका भी अर्थ बहुत ज्यादा नहीं है, क्योंकि उत्तर कोरिया ने परमाणु शक्ति हासिल कर ली है, यह सभी जानते हैं। इसके बाद परमाणु शक्ति संपन्न देश की मान्यता का मसला एक तकनीकी मुद्दा भर है। फिलहाल असल सवाल यह है कि उत्तर कोरिया इस तनाव को किस तरफ ले जाना चाहता है?
पश्चिम के कुछ विश्लेषक इसे इस तरह देख रहे हैं कि उत्तर कोरिया अमेरिका से सीधे युद्ध को आमंत्रित कर रहा है। एक दूसरी सोच यह है कि वह अपनी ताकत को उस स्तर तक ले जाना चाहता है कि जब अमेरिका से या बाकी दुनिया से उसकी बातचीत या किसी समझौते की संभावना बने, तो उसे हल्के में न लिया जाए। हालांकि हमारी समस्या यह है कि उत्तर कोरिया में इस समय क्या सोच चल रही है, यह हमें ठीक से नहीं पता। दुनिया के ज्यादातर देशों से उसका संवाद नहीं है। हमें नहीं पता कि वहां का सत्ताधारी वर्ग युद्ध के नारों से अलग अपने दीर्घकालिक भविष्य को किस तरह देख रहा है। जब तक चीन से उसके संबंध थे, चीन के नजरिये से उत्तर कोरिया के रवैये का अंदाज लगाया जाता था। चीन और उत्तर कोरिया के संबंध खत्म हो जाने के बाद यह खिड़की भी बंद हो गई है। अभी हमारी जो जानकारी है, वह बहुत कुछ अमेरिकी प्रचार तंत्र के जरिये मिली खबरों पर ही आधारित है। और इनके हिसाब से उत्तर कोरिया की लगाम किम जोंग-उन के हाथों में है, जो अपनी सनक और युद्धोन्माद के चलते अमेरिका से टकरा रहे हैं। हमें नहीं पता कि सच क्या है, लेकिन जिस तरह का तनाव चल रहा है, उसमें सनक की बात को सीधे खारिज भी नहीं किया जा सकता। अमेरिका और उत्तर कोरिया दो अलग ध्रुव हैं, जिनके आपसी हित सीधे तौर पर कहीं टकराते भी नहीं हैं। उत्तर कोरिया का जो झगड़ा है, वह या तो दक्षिण कोरिया से है या फिर जापान जैसे देशों से। अमेरिका से उसके टकराव की बात सिर्फ इतनी ही हो सकती है कि ये देश अमेरिकी लॉबी के माने जाते हैं। कुछ भी हो, तलवारें तो खिंच ही गई हैं।
लेकिन तनाव जिस तरह से बढ़ता जा रहा है, उसमें अमेरिका की प्रतिष्ठा और उसका धैर्य, दोनों ही दांव पर लग गए हैं। वह भी उस समय, जब अमेरिका की बागडोर डोनाल्ड ट्रंप जैसे उस शख्स के पास है, जिसे इतिहास का सबसे अधीर अमेरिकी राष्ट्रपति माना जाता है। इस समय अगर अमेरिका धैर्य धारण करने की नीति पर चलता है, तो उसकी प्रतिष्ठा पर आंच आ सकती है और अगर वह अपनी प्रतिष्ठा के लिए धैर्य का त्याग करता है, तो कई दूसरी तरह की समस्याएं सामने आ सकती हैं। पर यह भी सच है कि खतरे को अमेरिका ने सूंघना शुरू कर दिया है। एक लंबे समय के बाद अमेरिका ने जिस तरह से हवाई द्वीप पर परमाणु सायरन का परीक्षण किया, वह भी काफी कुछ कहता है।