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स्मार्टफोन पर फिजूलखर्ची

कहा जाता है कि हर दौर अपनी नौजवान पीढ़ी को लानत भेजने के बहाने खोज लेता है। आज की नौजवान पीढ़ी के लिए भी, जिसे अक्सर स्मार्टफोन जेनरेशन भी कहा जाता है, पिछले आधे दशक में काफी कुछ कहा और सुना गया है।...

स्मार्टफोन पर फिजूलखर्ची
हिन्दुस्तानSun, 20 Aug 2017 10:09 PM
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कहा जाता है कि हर दौर अपनी नौजवान पीढ़ी को लानत भेजने के बहाने खोज लेता है। आज की नौजवान पीढ़ी के लिए भी, जिसे अक्सर स्मार्टफोन जेनरेशन भी कहा जाता है, पिछले आधे दशक में काफी कुछ कहा और सुना गया है। ऐसी बातों में एक दुहाई तो ज्यादातर जगहों पर यही दी जाती है कि यह पीढ़ी बहुत गैर-जिम्मेदार है और बिना सोचे-समझे भारी खर्च कर डालती है। वैसे बच्चों के ज्यादा खर्च करने पर ऐसी आलोचना लगभग हर दौर में होती रही है, लेकिन इन दिनों वह कुछ ज्यादा ही बढ़ गई है। शायद इसलिए कि खर्च करने के विकल्प भी इन दिनों कुछ ज्यादा ही बढ़ गए हैं। बड़े स्टोर और मॉल तो हैं ही, जिनमें खरीदारी या खर्च करना एक अलग किस्म का ही आनंद देता है, साथ ही आप कंप्यूटर पर भी खरीदारी कर सकते हैं और अपने स्मार्टफोन पर भी। पिछले काफी समय से आंकड़े यही बता रहे हैं कि स्मार्टफोन पर खरीदारी का चलन लगातार बढ़ रहा है। इसे भविष्य का बाजार माना जा रहा है, इसीलिए ज्यादातर बड़े खुदरा विक्रेताओं ने अपने एप्लिकेशन लांच कर दिए हैं। लेकिन अब पता चल रहा है कि स्मार्टफोन पर खरीदारी का और खासकर महंगी खरीदारी का चलन जो बढ़ रहा है, उसका कारण युवा पीढ़ी की मानसिकता नहीं है, बल्कि कारण इस तकनीक में ही है।

पिछले दिनों यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया के यंग झू ने उपभोक्ताओं के व्यवहार का अध्ययन किया, तो वह इस नतीजे पर पहुंचे कि यह व्यवहार टचस्क्रीन पर पहुंंचते ही बदल जाता है। उन्होंने पाया कि जो लोग अपने कंप्यूटर पर ऑनलाइन खरीदारी करते हैं, उनके मुकाबले टचस्क्रीन यानी स्मार्टफोन और टैबलेट वगैरह पर खरीदारी करने वाले ज्यादा अनाप-शनाप खर्च करते हैं। हो सकता है कि टचस्क्रीन तकनीक में इसका कोई कारण न छिपा हो, लेकिन टचस्क्रीन उपभोक्ताओं का व्यवहार बदल देता है। वैसे उनके शोध का विषय यह था कि क्या ऑनलाइन खरीदारी का माध्यम बदल जाने से लोगों की खरीदारी की मानसिकता भी बदल जाती है? और वह इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि यह बदलाव सचमुच बहुत बड़ा होता है। झू का कहना है कि स्मार्टफोन पर खरीदारी एक तरह का खेल या एक तरह का मजेदार अनुभव होता है और इस अनुभव को लेते समय अक्सर लोग अपनी तर्कशक्ति का इस्तेमाल बंद कर देते हैं। इसका अर्थ होता है, बिना सोचे-समझे आकर्षक चीजों की खरीदारी। शायद यह भी इस बाजार के तेजी से बढ़ने का एक राज है। माना जाता है कि इस समय दुनिया में दो अरब से ज्यादा स्मार्टफोन हैं और अनुमान है कि एक साल के भीतर ऑनलाइन खरीदारी में आधे से अधिक की हिस्सेदारी स्मार्टफोन के जरिये खरीद की होगी। 

वैसे लंबे शोध के बाद झू जिस नतीजे पर पहुंचे हैं, उसकी जानकारी दुनिया भर के व्यपारियों को शायद सदियों से थी। ताजा उदाहरण देखें, तो मनोरंजन से जोड़कर खरीदारी को कैसे बढ़ाया जा सकता है, इसे हम बडे़ रिटेल स्टोर और मॉल वगैरह में हर जगह देख सकते हैं। और गहराई में जाकर देखें, तो हमारे देश में जगह-जगह लगने वाले मेले इसका सबसे अच्छा उदाहरण हैं। दिलचस्प बात है कि मॉल और ऑनलाइन खरीदारी के इस युग में इस तरह के मेलों की आभा और उनका कारोबार अभी तक बरकरार है। हमारे रंग-बिरंगे बाजार बच्चों, बूढ़ों व जवानों, सभी को हमेशा से आकर्षित करते रहे हैं। झू के अध्ययन के बाद यह जरूर होगा कि अभी तक जो लोग नई पीढ़ी को दोषी ठहराते थे, वे नई तकनीक को दोषी ठहराने लगेंगे। हालांकि सच यह है कि हर नई तकनीक बाजार को एक नया विस्तार देती रही है और उपभोक्ता के व्यवहार को भी बदलती रही है।

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