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कैशलेस से दूर

दुनिया भी यही कर रही है और हम भी जी-जान लगाए हुए हैं। लेकिन यह सच है कि कैशलेस लेन-देन और कारोबार में हम अभी दुनिया से बहुत पीछे हैं। इसे ऐसे भी देख सकते हैं कि स्वीडन के बाजारों में इस समय महज 13...

कैशलेस से दूर
लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSun, 02 Feb 2020 11:26 PM
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दुनिया भी यही कर रही है और हम भी जी-जान लगाए हुए हैं। लेकिन यह सच है कि कैशलेस लेन-देन और कारोबार में हम अभी दुनिया से बहुत पीछे हैं। इसे ऐसे भी देख सकते हैं कि स्वीडन के बाजारों में इस समय महज 13 फीसदी खरीदारी नगद धन से होती है, बाकी की सारी व्यवस्था बिना नगदी के चलती है। जबकि हमारे यहां अभी कैशलेस, यानी बिना नगदी के होने वाली खरीदारी पांच फीसदी तक भी ठीक से नहीं पहुंची। यह ठीक है कि आज कैशलेस कारोबार के मामले में भारत काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है। शायद दुनिया में सबसे ज्यादा तेजी से। 

2016 में हुई नोटबंदी ने इसके लिए पहली बार दबाव बनाया था, लेकिन उसके बाद से यह घटने की बजाय लगातार बढ़ रहा है। आज आपको छोटी-छोटी दुकानों और परंपरागत मंडियों में दुकानदार कैशलेस की सुविधा देते दिख जाएंगे। इससे बंधी उम्मीद के बाद बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि भारत भी जल्द ही कैशलेस के मामले में पूरी दुनिया से कदम मिलाने लगेगा। लेकिन पूरी दुनिया में कैशलेस मामला एक अन्य ही दिशा पकड़ रहा है। पिछले दिनों न्यूयॉर्क के प्रशासन ने एक आदेश जारी करके कहा कि अब वहां दुकानों और अन्य व्यापारिक प्रतिष्ठानों को नगदी देकर खरीदारी करने का विकल्प भी देना होगा। यह आदेश इसलिए देना पड़ा, क्योंकि अमेरिका में लगातार ऐसे व्यापारिक प्रतिष्ठान खुल रहे हैं, जहां भुगतान का एक ही विकल्प होता है- कैशलेस। इतना ही नहीं, केवल कैशलेस दुकानों पर जुर्माना लगाने का प्रावधान भी कर दिया गया है। न्यूयॉर्क से पहले ऐसा ही आदेश अमेरिका के कुछ अन्य राज्यों में जारी हो चुका है।

कैशलेस के फायदे सब जानते हैं, फिर आखिर इसमें ऐसी दिक्कत क्या है? दुकानों के लिए तो यह बहुत अच्छा विकल्प है, इससे कम से कम उन्हें नगदी संभालने की झंझट से तो मुक्ति मिलती है। इसके चलते वे ग्राहकों को कई तरह की रियायतें और प्रलोभन दे सकते हैं। लेकिन अमेरिका समेत कई देशों में यह महसूस किया गया है कि केवल कैशलेस वाली दुकानें उन लोगों के साथ भेदभाव है, जो अभी बैंकिंग व्यवस्था से नहीं जुड़ सके हैं। कैशलेस व्यवस्था न सिर्फ ज्यादा फायदेमंद है, बल्कि अर्थव्यवस्था को कई तरह की व्याधियों से भी मुक्त रखती है, लेकिन आज की दुनिया का एक सच यह भी है कि आज भी कई लोग बैंकिंग व्यवस्था से नहीं जुडे़ हैं। आंकडे़ बताते हैं कि इस समय दुनिया में 17 अरब लोग ऐसे हैं, जो किसी न किसी कारण से बैंकिंग व्यवस्था का हिस्सा नहीं हैं। निश्चित तौर पर इनमें एक बड़ी संख्या भारत के लोगों की भी होगी। यह हाल तब है, जब सरकार ने जनधन खातों जैसी बड़ी योजना पर काफी मेहतन की थी। 

कई समाजशास्त्री मानते हैं कि कैशलेस जरूरी है और शायद यही भविष्य भी है, पर अभी जो हाल है, उसमें कैशलेस भी एक वंचित समूह पैदा करता है, जो इस तक पहुंचने की स्थिति में नहीं है। भारत में जिन लोगों ने मोबाइल फोन जैसे आधुनिक संचार साधनों तक पहुंच बना ली है, उनमें से भी बहुत से लोग कैशलेस की सुविधाओं से अभी दूर हैं। ये लोग कौन हैं? जाहिर है, गरीबी-रेखा से नीचे रहने वाले और सुदूर ग्रामीण व वन्य क्षेत्रों के निवासी। कैशलेस ने हमारे सामने एक नई चुनौती पेश की है, ऐसे लोगों के आर्थिक सशक्तीकरण की।   

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