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आईआईटी प्रवेश

कोरोना के समय में एक महत्वपूर्ण प्रवेश परीक्षा के परिणामों की घोषणा बहुत सुखद और उत्साहजनक है। सोमवार को जेईई एडवांस्ड परीक्षा का रिजल्ट जारी कर दिया गया, जिसमें पूरे देश से कुल 43,204 छात्रों ने...

आईआईटी प्रवेश
हिन्दुस्तानMon, 05 Oct 2020 09:32 PM
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कोरोना के समय में एक महत्वपूर्ण प्रवेश परीक्षा के परिणामों की घोषणा बहुत सुखद और उत्साहजनक है। सोमवार को जेईई एडवांस्ड परीक्षा का रिजल्ट जारी कर दिया गया, जिसमें पूरे देश से कुल 43,204 छात्रों ने इंजीनिर्यंरग की पढ़ाई के लिए योग्यता हासिल कर ली। कुल 1,50,838 छात्र इस परीक्षा में बैठे थे। इस बार सफल होने वालों में लड़कियों की संख्या 6,707 है। अर्थात इंजीनिर्यंरग का क्षेत्र अभी भी लड़कियों के लिए चुनौतीपूर्ण बना हुआ है। मोटे तौर पर आईआईटी में यदि सात लड़के पढ़ते हैं, तो महज एक लड़की। यह अनुपात नि:संदेह सुधरना चाहिए। बहरहाल, ये नतीजे इसलिए भी ज्यादा खुशी दे रहे हैं, क्योंकि इस सत्र में पढ़ाई पहले ही दो महीने से ज्यादा पिछड़ चुकी है। कोरोना ने पढ़ाई व शिक्षण सत्र का बड़ा नुकसान किया है। आईआईटी में प्रवेश के लिए देश भर के योग्यतम छात्र-छात्राएं सपना देखते हैं, खूब मेहनत करते हैं, लेकिन पिछले दिनों हुई देरी से छात्रों, अभिभावकों और यहां तक कि शिक्षण संस्थानों में भी चिंता की लहर थी। अब जैसे ही नए सत्र की शुरुआत होगी, तो भारत के टॉप शिक्षण संस्थानों में रौनक लौट आएगी। देश के विकास और शिक्षण-प्रशिक्षण में रफ्तार के लिए आईआईटी जैसे अग्रणी संस्थानों में नए सत्र का शुरू होना इस वक्त की एक बड़ी जरूरत है। 
आईआईटी प्रवेश के लिए आए परिणाम साफ संकेत करते हैं कि भारत में होनहार विद्यार्थियों की कोई कमी नहीं है। आईआईटी बॉम्बे जोन के चिराग फालोर जेईई एडवांस्ड 2020 में कॉमन रैंक लिस्ट में टॉपर रहे हैं। उन्होंने 396 में से 352 अंक प्राप्त किए हैं। रुड़की जोन की कनिष्का मित्तल लड़कियों में टॉपर रही हैं। उन्हें 17वीं रैंक हासिल हुई है और उनके 396 में से 315 अंक हैं। खास बात यह है कि चूंकि कोरोना की वजह से स्कूलों में इस बार परीक्षाएं ढंग से नहीं हो सकी थीं, इसलिए परिणाम तैयार करते समय कक्षा 12 के अंकों पर विचार नहीं किया गया है। नतीजे नए नियम के तहत आए हैं। पहले जेईई एडवांस्ड में हिस्सा लेने के लिए छात्रों के लिए 12वीं बोर्ड परीक्षा में 75 प्रतिशत अंक हासिल करना जरूरी था। 
एक और बात ध्यान देने की है कि दक्षिण भारत में इंजीनिर्यंरग की ओर ज्यादा झुकाव है। टॉप 500 छात्रों में मद्रास जोन के 140 छात्र और दिल्ली के 110 छात्र और बॉम्बे जोन के 104 छात्र हैं, जबकि पूर्वोत्तर भारत और कानपुर जोन में इंजीनिर्यंरग के प्रति आकर्षण बढ़ाने की ज्यादा जरूरत है। भारत के विकास के लिए सभी क्षेत्रों में समान रूप से इंजीनिर्यंरग के प्रति लगाव को बढ़ाने के प्रयास होने चाहिए। स्वयं आईआईटी के जरिए भी अपने-अपने जोन में स्कूली छात्रों को प्रेरित करने के उपाय किए जाने चाहिए। इस परिणाम से जुड़ा एक और पहलू है, जो इंजीनिर्यंरग संस्थानों और हमें सोचने के लिए विवश कर रहा है। भारत में इंजीनिर्यंरग की टॉप परीक्षा में टॉप करने वाला विद्यार्थी पहले ही विदेशी इंजीनिर्यंरग कॉलेज में प्रवेश ले चुका है। जब लोग अपने टॉपर चिराग को बधाई दे रहे हैं, तब वह लोगों की बधाई स्वीकार करते हुए यह सूचना दे रहे हैं कि अब उनके लिए इस परीक्षा का खास अर्थ नहीं है। यह महज संयोग नहीं, बल्कि भारत में शिक्षा पर अनायास या सहज ही हुई एक प्रतिकूल प्रतिक्रिया है। बेशक, ऐसे नतीजे गहरा इशारा भी होते हैं कि हमें आगे कहां समाधान खोजना है।

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