मौसम से सावधान
कश्मीर से कन्याकुमारी तक मौसम की मार साफ तौर पर प्रकट होने लगी है। मौसम जनित त्रासदियों का भी दुखद दौर तेज चल रहा है और देश पूरी मजबूती से प्रतिकूल स्थितियों का सामना कर रहा है। जगह-जगह जलभराव है...
कश्मीर से कन्याकुमारी तक मौसम की मार साफ तौर पर प्रकट होने लगी है। मौसम जनित त्रासदियों का भी दुखद दौर तेज चल रहा है और देश पूरी मजबूती से प्रतिकूल स्थितियों का सामना कर रहा है। जगह-जगह जलभराव है और गंदगी का भी साम्राज्य है, तो सबसे बड़ी चिंता बढ़ती बीमारियों की है। जहां बारिश ज्यादा हुई है, वहां भी और जहां बारिश कम हुई है, वहां भी नाना प्रकार की बीमारियों का प्रकोप बढ़ने लगा है। राज्य सरकारें भी चिंतित हैं और केंद्र सरकार भी। सरकार ने भी यह मान लिया है कि इस वर्ष भारत में डेंगू के मामलों में वृद्धि हुई है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने पुष्टि की है कि देश भर में अब तक 32,091 डेंगू मामले सामने आए हैं, जो पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में बहुत अधिक हैं। वैसे तो डेंगू के मामले आम तौर पर अक्तूबर में चरम पर होते हैं, लेकिन इस साल के रुझान से पता चलता है कि 31 जुलाई, 2024 तक मामलों की संख्या पिछले साल के इसी समय की तुलना में लगभग 50 प्रतिशत अधिक है। चिंता यह हो रही है कि क्या आने वाले दिनों में डेंगू के मामले बहुत बढ़ जाएंगे?
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने नेशनल सेंटर फॉर वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया है कि इस साल जून में ही डेंगू का प्रकोप बढ़ गया था। डेंगू के कारण देश भर में 32 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है, जिनमें सबसे ज्यादा 22 मौतें केरल में हुई हैं। कर्नाटक, तमिलनाडु, गुजरात, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में भी मौतें हुई हैं। देश में डेंगू के प्रकोप की स्थिति की नियमित समीक्षा और निगरानी शुरू हो गई है। यह जरूरी है कि स्थिति का आकलन, तैयारी, तकनीकी मार्गदर्शन पर ध्यान दिया जाए और राज्यों को सचेत किया जाए। अस्पतालों में भी मरीजों की संख्या बढ़ी है। दूसरी तरह के वायरल बुखार का भी प्रकोप बढ़ा है। अस्पतालों को अपने स्तर पर चाक-चौबंद रहने के साथ ही आम लोगों को भी सचेत रहना होगा। आसपास सफाई रखना और अपने स्वास्थ्य की सुरक्षा का ध्यान रखना जरूरी है। यह बड़ा सवाल है कि बीमारियां क्यों बढ़ रही हैं? वैसे, जलवायु परिवर्तन ने भी दुनिया में बीमारियों को बढ़ावा दिया है। अगर हम केवल डेंगू की ही बात करें, तो दुनिया के अनेक देशों में यह फैल रहा है और उन देशों में कीटों-मच्छरों से लड़ाई भी तेज हो रही है। रोचक है कि एक स्पेनिश प्रयोगशाला डेंगू बुखार और अन्य बीमारियों से लड़ने के लिए हजारों टाइगर मच्छरों का प्रजनन और बंध्याकरण कर रही है। जलवायु परिवर्तन की वजह से कई प्रकार के आक्रामक कीटों को यूरोप में बढ़ावा मिला है। शायद भारत को भी ऐसी बीमारियों के खिलाफ बड़ी योजना बनाकर काम करना चाहिए।
बहरहाल, भारत में एक चिंता जीका वायरस को लेकर भी है। संसद में भी यह बताया गया है कि सरकार ने जीका वायरस रोग के प्रबंधन के लिए एक कार्य योजना तैयार की है और देश में 22 जुलाई तक जीका वायरस से ग्रस्त मरीजों की संख्या 537 तक पहुंच गई थी। यह वायरस क्यों बड़ी चिंता की वजह बन रहा है? क्या इसके खिलाफ लड़ाई में हम कमजोर पड़ रहे हैं? जीका वायरस का प्रकोप महाराष्ट्र में ज्यादा है और इसे बाकी राज्यों में फैलने से रोकने के प्रबंध करने चाहिए। सरकार को जो कदम उठाना है, वह जरूर उठाए और साथ ही, लोगों को भी युद्ध स्तर पर जागरूक करना होगा। ऐसे विपरीत मौसम में, खानपान में सतर्कता और स्वच्छता का ध्यान रखना सबसे जरूरी है और यह पुरानी सलाह हमेशा ध्यान में रहनी चाहिए।