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Hindi News ओपिनियन संपादकीयएक युद्ध की आशंका

एक युद्ध की आशंका

पश्चिम एशिया में एक बडे़ युद्ध का तनाव इतना बढ़ गया है कि उसकी आंच भारत तक पहुंचने लगी है। यह गौर करने की बात है कि इजरायल-ईरान के बीच बढ़ते तनाव के चलते एअर इंडिया ने शुक्रवार को इजरायल के तेल अवीव...

एक युद्ध की आशंका
Pankaj Tomarहिन्दुस्तानFri, 02 Aug 2024 09:51 PM
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पश्चिम एशिया में एक बडे़ युद्ध का तनाव इतना बढ़ गया है कि उसकी आंच भारत तक पहुंचने लगी है। यह गौर करने की बात है कि इजरायल-ईरान के बीच बढ़ते तनाव के चलते एअर इंडिया ने शुक्रवार को इजरायल के तेल अवीव से आने और जाने वाली अपनी सभी उड़ानों को 8 अगस्त तक के लिए तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। क्या भारत सरकार को कोई खुफिया सूचना मिली है? क्या ईरान या इजरायल से चेतावनी आई है? एक हद तक इन दोनों ही देशों से भारत के ठीकठाक कामकाजी संबंध हैं, अत: भारत के पास अगर युद्ध की पूर्व सूचना आई हो, तो आश्चर्य नहीं। अगर युद्ध की आशंका न हो, तो एअर इंडिया के ताजा कदम को कैसे समझा जाए? ध्यान देने की बात है, फलस्तीन के नाम पर संघर्ष कर रहे आतंकी संगठन हमास के राजनीतिक प्रमुख इस्माइल हनियेह की 31 जुलाई को ईरान में हत्या कर दी गई थी, जिसका आरोप सीधे इजरायल पर लगाया गया था। यह बात भी गौर करने की है कि ईरान ने हनियेह के खून का बदला लेने की कसम खाई है। ईरान की नाराजगी को इस बात से समझा जा सकता है कि ईरान में इजरायल की यह कोई पहली हिंसक कार्रवाई नहीं है। 
वास्तव में, इजरायल ने अपने लोगों की हत्या का बदला लेने के लिए अभियान छेड़ रखा है। गुरुवार 1 अगस्त को ही इजरायली रक्षा बलों ने हमास के सैन्य प्रमुख मोहम्मद दैफ की मौत की पुष्टि की है, जिसे इजरायल 7 अक्तूबर के हमले का मास्टरमाइंड मानता है। आशंका है कि गाजा में ताजा जंग को हमास के इस सैन्य प्रमुख ने ही अंजाम दिया था। खबर आई है कि उसे गाजा में ही 13 जुलाई को मार दिया गया था। लगातार बदले से केवल ईरान ही नहीं, अन्य इस्लामी देशों में भी आक्रोश का आलम है। अरब देशों के अलावा चीन और पाकिस्तान ने भी प्रमुखता से इजरायल की निंदा की है। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह खामेनेई जिस तरह से आक्रामक बयान दे रहे हैं, उससे भी युद्ध की आशंका को बल मिल रहा है। उन्होंने साफ कर दिया है कि हत्या का बदला लेना हमारा कर्तव्य है। इस वक्त न ईरान को कोई समझा पा रहा है और न इजरायल किसी की सुन रहा है। 
यह भी माना जा रहा है कि ईरान कोई बड़ा हमला न करे, पर अपनी साख को बचाने के लिए सांकेतिक व सीमित हमले की कार्रवाई कर सकता है। अब यह कोई नहीं जानता कि ईरान कहां पहले वार करेगा। हालांकि, इजरायल भी तैयार है। युद्ध न भड़के, इसकी कामना सहज ही की जा सकती है, पर यह इस दौर की बड़ी त्रासदी है कि अब संयुक्त राष्ट्र की भी कोई नहीं सुन रहा है। क्या भारत जैसे देश अपना बचाव करने के साथ ही इस युद्ध रोकने के लिए कुछ कर सकते हैं? दरअसल, पश्चिम एशिया में शांति के लिए एक बड़े सम्मेलन की जरूरत है। अरब दुनिया जिस तरह से बंटी हुई है, उसमें उनके अपने स्तर पर सम्मेलन की उम्मीद नहीं की जा सकती, पर हां, संयुक्त राष्ट्र अपने प्रयासों से एक खास सम्मेलन बुला सकता है। सुधार और समझाइश की जरूरत इजरायल में भी है और ईरान में भी। सऊदी अरब अगर युद्ध नहीं चाहता, तो पश्चिम एशिया में व्यापक शांति-वार्ता की पहल वह भी कर सकता है। इन देशों ने लगभग सदी भर से आपस में लड़ते हुए भारी कीमत चुकाई है। पता नहीं, कितनी जंगों के बाद ये अमन-चैन की राह चलेंगे?  

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