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हमारी आलोचना

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत की जो आलोचना की है, वह न सिर्फ दुखद, बल्कि शुद्ध रूप से राजनीति प्रेरित भी है। उन्होंने कहा है, ‘चीन को देखो, कितना गंदा है। रूस को देखो,...

हमारी आलोचना
हिन्दुस्तान Fri, 23 Oct 2020 11:14 PM
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत की जो आलोचना की है, वह न सिर्फ दुखद, बल्कि शुद्ध रूप से राजनीति प्रेरित भी है। उन्होंने कहा है, ‘चीन को देखो, कितना गंदा है। रूस को देखो, भारत को देखो, ये बहुत गंदे हैं, हवा गंदी है’। बेशक, इसमें भारत के साथ रूस और चीन को भी उन्होंने रखा है, लेकिन उनका भारत पर विशेष रूप से जोर देना बहुत लोगों को नागवार गुजरा है, तो कोई आश्चर्य नहीं। इसके पहले ट्रंप भारत को टैरिफ किंग भी बता चुके हैं। ट्रंप का ऐसा कहना, वहां की राजनीति में उनके विरुद्ध भी जा सकता है। अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए होने वाली सीधी बहस का यह आखिरी दौर था और इसमें भारत का नाम लेकर आलोचना करना और पर्यावरण संबंधी अपनी नीतियों का बेशर्म बचाव करने की कोशिश करना अनुचित ही नहीं, शर्मनाक भी है।

अव्वल तो एकाधिक मौकों पर ट्रंप भारत और भारतीयों को अपना मित्र या सहयोगी बता चुके हैं। वह यह मानकर चल रहे हैं कि अमेरिका में उन्हें भारतीय मूल के अमेरिकियों के ज्यादा वोट मिलेंगे, लेकिन तब भी क्या उन्हें प्रदूषण या पर्यावरण के मामले में भारत की निंदा करनी चाहिए थी? क्या यह आलोचना का उचित अवसर था? क्या ट्रंप को इस बात का एहसास हो गया है कि भारतीय मूल के ज्यादातर अमेरिकी मतदाता डेमोक्रेट उम्मीदवार जो बिडेन के पक्ष में मतदान करने वाले हैं? खैर, ट्रंप को अपने देश में ही तत्काल आलोचना का सामना करना पड़ा है। उनके बयान को भ्रामक करार दिया गया है, भारत भले ही प्रदूषित देशों में शुमार है, लेकिन जब जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार देशों की बात आती है, तो ट्रंप की टिप्पणी खरी नहीं उतरती। वस्तुस्थिति तो यह है कि जलवायु परिवर्तन के लिए अमेरिका बहुत हद तक जिम्मेदार है, लेकिन वह ट्रंप के नेतृत्व में अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़कर दूसरों को दोष दे रहा है। ट्रंप के मुंह से रूस और चीन की आलोचना तो समझ में आती है, लेकिन भारत को भी साथ रखना कूटनीतिक और व्यावहारिक रूप से भी गलत है। ट्रंप ने शायद अपना नुकसान कर लिया है। उन्हें यह परवाह नहीं है कि उनका देश भारत के साथ रणनीतिक भागीदारी बढ़ाने की दिशा में आगे बढ़ चुका है और ऐसे में, भारत को आलोचना का निशाना बनाना हर प्रकार से अनुचित है।  

जाहिर है, ट्रंप द्वारा किए गए प्रहार के बाद अब डेमोक्रेट पूरी तरह से भारत के पक्ष में खडे़ दिख रहे हैं, उन्होंने कहा है कि ट्रंप हमारे दक्षिण एशियाई समुदाय की जीवंतता, सुंदरता और विविधता का सम्मान नहीं करेंगे। अमेरिका में बड़ी संख्या में ऐसे भारतीय मूल के नागरिक होंगे, जो ट्रंप से दूर चले जाएंगे। भारत को आधिकारिक रूप से अमेरिकी राजनीति में नहीं पड़ना चाहिए, लेकिन भारतीय विशेषज्ञों को यह बात जोर देकर बतानी चाहिए कि जलवायु परिवर्तन में भारत या किस देश का कितना योगदान है। साथ ही, यह सही समय है, जब भारत अपनी कोशिशों पर गौर करें और ज्यादा व्यावहारिक बने। दुनिया के प्रदूषित देशों में हमारी गिनती ज्यादा समय तक नहीं होनी चाहिए। अपने तेज विकास के लिए युद्ध स्तर पर प्रदूषण का उपचार करना जरूरी हो गया है। पराली की गंदगी से घिरी राष्ट्रीय राजधानी की हमें सबसे पहले चिंता करनी चाहिए। हम दुनिया को आलोचना का मौका कब तक देते रहेंगे?

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