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मंगल पर फिर नासा

मंगल पर इंसानों की कामयाबी का सिलसिला जिस तरह से आगे बढ़ रहा है, वह सुखद और उत्साहजनक है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का रोवर शुक्रवार को मंगल अर्थात लाल ग्रह की सतह पर सुरक्षित उतर गया और धरती पर...

मंगल पर फिर नासा
हिन्दुस्तानMon, 22 Feb 2021 12:45 AM
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मंगल पर इंसानों की कामयाबी का सिलसिला जिस तरह से आगे बढ़ रहा है, वह सुखद और उत्साहजनक है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का रोवर शुक्रवार को मंगल अर्थात लाल ग्रह की सतह पर सुरक्षित उतर गया और धरती पर अनमोल वीडियो भेजने शुरू कर दिए। रोवर द्वारा बनाए गए उच्च गुणवत्ता के वीडियो से कुछ तस्वीरें निकाली गई हैं, जिनमें मंगल की सतह दिखाई पड़ रही है। वैज्ञानिकों ने सतह का अध्ययन शुरू कर दिया है। यह जानने की कोशिश होगी कि क्या मंगल पर कभी जीवन था। यह खोज दिलचस्प ही नहीं, बल्कि इंसानों के लिए उपयोगी भी है। मंगल को सही प्रकार से जानने के बाद ही अगले ग्रहों की खोज में ज्यादा तेजी आएगी। नासा के ताजा अभियान की शुरुआत 30 जुलाई को हुई थी। अमेरिका के फ्लोरिडा में केप केनावेरल अंतरिक्ष सेंटर से मंगल की ओर यात्रा करते हुए यान ने 47.2 करोड़ किलोमीटर की दूरी तय की है। उसके रोवर का मंगल की सतह पर सही ढंग से उतरना यकीनन एक बहुत बड़ी वैज्ञानिक कामयाबी है। यह मंगल पर भेजा गया अब तक का सबसे बड़ा रोवर है और इसकी तकनीकी क्षमता-दक्षता भी बहुत ज्यादा है। यह अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी का नौवां मंगल अभियान है, जिसकी शुरुआती सफलता से वैज्ञानिक बहुत उत्साहित हैं। नासा की यह सफलता भारत के लिए भी एक बड़ी खुशखबरी है, क्योंकि नासा पर रोवर उतारने में सबसे प्रमुख भूमिका भारतीय मूल की अमेरिकी वैज्ञानिक स्वाति मोहन की है। वह एक साल की उम्र में ही अमेरिका चली गई थीं और यह उनकी प्रतिभा का ही प्रमाण है कि नासा जैसे अंतरिक्ष विज्ञान संस्थान ने उन्हें रोवर की कमान सौंपी है। नासा में काम करने वाले भारतीय मूल के वैज्ञानिकों का प्रतिशत अभी भले एक प्रतिशत के आसपास हो, पर उनकी हैसियत अच्छी है। स्वाति मोहन अमेरिका ही नहीं, भारत के लिए भी प्रेरणास्रोत हैं। इस अभियान के तहत मंगल से छोटी चट्टान या मिट्टी लाने की कोशिश होगी। यदि यह अभियान पूर्ण सफल होता है, तो भारतीयों के गौरव में भी वृद्धि होगी और इससे भारत के मंगल अभियान को भी बल मिलेगा। वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर कभी मंगल ग्रह पर जीवन रहा भी था, तो तीन से चार अरब साल पहले रहा होगा। शायद तब इस लाल ग्रह पर पानी बहता था। मंगल की सतह और मिट्टी के अध्ययन से असली रहस्य खुलेगा। यह अभियान अमेरिका की वर्षों की मेहनत का नतीजा है। मंगल हम मनुष्यों का एक पुराना सपना है, वहां पहुंचने या उसे जानने के लिए करीब 50 अभियान चले हैं या चल रहे हैं। अमेरिका के अलावा, रूस, भारत, चीन, यूरोपीय यूनियन, संयुक्त अरब अमीरात, ब्रिटेन और जापान भी मंगल के लिए प्रयासरत रहे हैं। बेशक, मंगल की परिक्रमा करने वाले यानों की तुलना में मंगल पर उतरने वाले रोवर से ज्यादा उम्मीद है। भारत को इस दिशा में अभी लंबा सफर तय करना है। भारत ने मंगल की परिक्रमा के लिए मंगलयान नवंबर 2013 में प्रक्षेपित किया था, जो सितंबर 2014 में मंगल की कक्षा में प्रवेश कर गया था। वह अभियान पूरी तरह से सफल रहा था और दुनिया का सबसे सस्ता एशिया का सबसे पहला मंगल अभियान था। इसरो ने स्पष्ट कर दिया है कि मंगलयान-2 पर काम चल रहा है, लेकिन चंद्रयान-3 के प्रक्षेपण वर्ष 2022 के बाद ही उसकी योजना साकार होगी। 

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