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युद्ध और विज्ञान

इजरायल, गाजा और वेस्ट बैंक में लोग जब खतरे के साये में जी रहे हैं, तब वहां पढ़ाई-लिखाई से लेकर वैज्ञानिक शोध तक, सब कुछ बाधित हो गया है। संयुक्त राष्ट्र और संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी यूनिसेफ के...

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Pankaj Tomarहिन्दुस्तानMon, 20 Nov 2023 12:12 AM
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इजरायल, गाजा और वेस्ट बैंक में लोग जब खतरे के साये में जी रहे हैं, तब वहां पढ़ाई-लिखाई से लेकर वैज्ञानिक शोध तक, सब कुछ बाधित हो गया है। संयुक्त राष्ट्र और संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी यूनिसेफ के अनुसार, 15 नवंबर तक गाजा पर इजरायल की बमबारी और उसके बाद के जमीनी लड़ाई में मरने वालों की संख्या 11,000 से अधिक हो गई है, जिसमें 4,500 से अधिक बच्चे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि 16 लाख से अधिक लोग बेघर हो गए हैं। सबसे दुखद और अमानवीय बात यह है कि गाजा के 36 में से 22 अस्पतालों में सेवाएं बंद हो गई हैं। बचे हुए अस्पताल, उनके डॉक्टर और अन्य चिकित्साकर्मी भी मौत के साये में जीने को मजबूर हैं। स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे के साथ ही तमाम तरह के शोधकर्ता और वैज्ञानिक काम छोड़कर बैठ गए हैं। वेस्ट बैंक ही नहीं, इजरायल में भी प्रयोगशालाएं खाली पड़ी हैं और अधिकांश शैक्षणिक कार्य थम गए हैं या धीमे हो गए हैं। कई वैज्ञानिकों को सेना में सेवा के लिए बुला लिया गया है। नेचर  पत्रिका के अनुसार, गाजा के छह मुख्य विश्वविद्यालयों में से पांच की इमारतें क्षतिग्रस्त हो गई हैं। 
बेन-गुरियन यूनिवर्सिटी में छात्रों, संकाय सदस्यों और उनके रिश्तेदारों सहित 84 लोगों की मौत हो चुकी है। पांच अन्य का अपहरण कर लिया गया और नौ घायल हुए हैं। उधर, यूक्रेन में युद्ध का असर है, तो वहां से इजरायल आए भौतिक विज्ञानी सर्गेई ग्रेडेस्कुल और उनकी पत्नी विक्टोरिया भी मारे गए लोगों में शामिल हैं। एक महान भौतिक विज्ञानी होने के अलावा सर्गेई एक संगीतकार, कहानीकार और फिजिक्स के इतिहासकार भी थे। इनके निधन से वैज्ञानिक जगत में दुख से ज्यादा चिंता है। एक वैज्ञानिक जब अपने शोध के बीच में ही मार दिया जाता है, तो इससे दुर्भाग्यपूर्ण कुछ हो नहीं सकता। हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि दुनिया में ज्यादातर आधुनिक चीजों के आविष्कार में यहूदियों का हाथ रहा है और यहूदियों को उनकी वैज्ञानिक प्रतिभा के लिए पहचाना जाता है। ऐसे में, अस्पतालों, शिक्षा संस्थानों व प्रयोगशालाओं का युद्ध या हमले की चपेट में आना रुला देता है। बड़ी संख्या में होनहार वैज्ञानिकों का जीवन थम गया है या हमेशा के लिए प्रभावित हो गया है।  
बार-इलान विश्वविद्यालय के अध्यक्ष एरी जबान का कहना है कि परिसर खाली हो चुका है, क्योंकि शैक्षणिक वर्ष की शुरुआत स्थगित कर दी गई है और कई पीएचडी छात्रों, शोधकर्ताओं को सेना में शामिल कर लिया गया है। वैज्ञानिक समाज बुरी तरह से हिल चुका है, इसका एहसास इजरायल सरकार को भी है, तो अनेक जगह विद्वानों की भावनात्मक मदद के लिए हेल्पलाइन की शुरुआत की गई है। यह सुखद बात है कि इजरायली विश्वविद्यालय भी अरब छात्रों को लेकर संवेदनशील हैं। ज्यादातर विश्वविद्यालय कोशिश में लगे हैं कि कम से कम शिक्षा बिरादरी के बीच नफरत न फैले। हालांकि, जो इजरायल अपने यहां छात्रों को लेकर चिंतित है, उसे गाजा के छात्रों की ज्यादा परवाह नहीं है। गाजा में तमाम परिसर बंद पड़े हैं, क्योंकि ये सभी उन इलाकों में स्थित हैं, जिसे खाली करने का आदेश इजरायल ने सुनाया है। गाजा की चिंताओं पर इजरायल अभी कोई चर्चा नहीं करना चाहता। हालांकि, इजरायल का सामान्य वैज्ञानिक विकास भी गाजा में शांति पर ही निर्भर करता है। क्या ऐसे युद्ध से हो रहे नुकसान का इजरायल जायजा लेगा और जल्द से जल्द युद्ध खत्म करेगा?  

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