फोटो गैलरी

Hindi News ओपिनियन संपादकीयइमरान की नई मुश्किल

इमरान की नई मुश्किल

इस बार उन पर जो संकट आया है, वह राजनीतिक है। यूं भी कह सकते हैं कि सत्ता संभालने के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान पहली बार किसी बडे़ राजनीतिक संकट से मुकाबिल हैं। वह भी उस समय, जब आर्थिक...

इमरान की नई मुश्किल
हिन्दुस्तानFri, 01 Nov 2019 02:06 AM
ऐप पर पढ़ें

इस बार उन पर जो संकट आया है, वह राजनीतिक है। यूं भी कह सकते हैं कि सत्ता संभालने के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान पहली बार किसी बडे़ राजनीतिक संकट से मुकाबिल हैं। वह भी उस समय, जब आर्थिक संकट तो उनकी जान के पीछे पड़ा ही है, विदेश नीति के मोर्चे पर भी वे लगातार मुंह की खा रहे हैं। मुल्क की राजनीति उनके लिए बड़ा सिरदर्द खड़ा कर सकती है, यह आशंका इमरान खान को शुरू से ही थी, इसलिए उन्होंने नवाज शरीफ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग को ध्वस्त करने के तमाम हथकंडे अपनाए। भ्रष्टाचार के आरोप में नवाज शरीफ और उनकी बेटी को जेल में भी डाल दिया। इस काम में सेना ने भी उनका पूरा साथ दिया। लेकिन अब लगता है कि वह अपनी मुख्य प्रतिद्वंद्वी पार्टी को कमजोर करके भी राजनीतिक संकट से खुद को बचा न पाए। 

संकट खड़ा किया है जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम के नेता मौलाना फजलुर रहमान ने। वह लाखों प्रदर्शनकारियों का कारवां लेकर पाकिस्तान के कई बडे़ शहरों का चक्कर काटते हुए अब राजधानी इस्लामाबाद पहुंच चुके हैं। उन्होंने अपने इस अभियान को आजादी मार्च का नाम दिया है और वह इमरान खान सरकार को उखाड़ फेंकने तक जमे रहने की बात कर रहे हैं। उम्मीद थी कि महीने की आखिरी तारीख को वह अपने आगे के कार्यक्रम की घोषणा करेंगे, मगर पाकिस्तान की एक ट्रेन में हुए भीषण अग्निकांड के बाद उन्होंने इस कार्यक्रम को स्थगित कर दिया, अब नजर शुक्रवार के उनके भाषण पर रहेगी। संकट इसलिए बड़ा है कि देश के दो प्रमुख विपक्षी दल नवाज शरीफ की मुस्लिम लीग और आसिफ अली जरदारी की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी मौलाना के साथ आ खडे़ हुए हैं। यह भी खबर है कि शुक्रवार के कार्यक्रम में मुख्य वक्ता नवाज शरीफ के भाई शहबाज शरीफ होंगे। 

वैसे मौलाना फजलुर रहमान और इमरान खान में शुरू से ही छत्तीस का नाता रहा है। इमरान जहां उन्हें मौलाना डीजल कहते हैं, तो अपनी सभाओं में फजलुर रहमान इमरान खान को यहूदी बताते हैं। मौलाना फजलुर रहमान अपने धरना-प्रदर्शनों से सरकारों के लिए सिरदर्द खड़ा करने के मामले में मशहूर रहे हैं। उनका राजनीतिक दल भले ही बड़ा न रहा हो, लेकिन नारंगी रंग की छींटदार पगड़ी बांधने वाले फजलुर रहमान का प्रभाव क्षेत्र काफी मजबूत है। पाकिस्तान में यह भी कहा जाता है कि उनका संगठन वहां बड़ी संख्या में उच्च शिक्षा देने वाले मदरसे चलाता है। ऐसे प्रदर्शनों में इन मदरसों के छात्र पूरे उत्साह के साथ पहुंच जाते हैं। मगर पाकिस्तान की राजनीति में उनकी उपस्थिति हमेशा ही काफी धमाकेदार रही है।

यह आंदोलन तब शुरू हुआ है, जब पाकिस्तान में यह कहा जाने लगा है कि सेना अब इमरान से पिंड छुड़ाना चाहती है। हालांकि अपने पूरे आंदोलन में फजलुर रहमान इमरान खान को सेना की कठपुतली ही बताते रहे हैं। दूसरा, इस समय पाकिस्तान का व्यापारी समुदाय बढे़ हुए करों से काफी परेशान है और वह चक्का जाम की तैयारी कर रहा था। एक साथ दोनों आंदोलन के सामने आने पर पाकिस्तान ने व्यापारियों से समझौता करके एक समस्या से जरूर खुद को बचा लिया। पर ज्यादा बड़ी समस्या अभी मौजूद है। इस्लामाबाद पहुंचने के बाद वह आगे क्या करेंगे, इस पर फजलुर रहमान ने अपने पत्ते अभी नहीं खोले हैं।


 

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें