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बढ़ता मुकाबला

भारत में कोरोना संक्रमण ने एक ऐसे मुकाम को पार कर लिया, जिसकी शुरू में न कल्पना थी और न आशंका। विकासशील भारत की बात छोड़ दीजिए, विकसित अमेरिका ने भी यह नहीं सोचा था कि कोरोना प्रजाति का सबसे कमजोर...

बढ़ता मुकाबला
हिन्दुस्तानFri, 17 Jul 2020 10:38 PM
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भारत में कोरोना संक्रमण ने एक ऐसे मुकाम को पार कर लिया, जिसकी शुरू में न कल्पना थी और न आशंका। विकासशील भारत की बात छोड़ दीजिए, विकसित अमेरिका ने भी यह नहीं सोचा था कि कोरोना प्रजाति का सबसे कमजोर वायरस इतना कहर बरपाएगा। सार्स और मर्स, ज्यादा खतरनाक वायरस थे, अपना कहर बरपाकर शांत पड़ गए, लेकिन कोविड-19 नाम का यह कमजोर वायरस छह महीने से आतंक मचाए हुए है और खतरनाक बात यह कि निरंतर बढ़त पर है। आज भारत 10 लाख संक्रमण के पार पहुंच गया है, तो अमेरिका 37 लाख संक्रमण के साथ टॉप पर है। चिंता बढ़ रही है, क्योंकि अमेरिका में जहां प्रतिदिन 70 हजार से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं, वहीं भारत में अब रोज 30 हजार से अधिक मरीज मिल रहे हैं। बढ़त की जो दशा है, उससे लगता है, एक सीमा पर जाकर अमेरिका में संक्रमण की रफ्तार घटेगी, जबकि भारत में हमें इंतजार करना होगा। हमें ज्यादा सचेत इसलिए भी रहना चाहिए, क्योंकि हमारी आबादी अमेरिका से चार गुना ज्यादा है। 

हमें याद करना चाहिए, कोरोना की शुरुआत में भारत से बड़ी उम्मीद संबंधी बयान भी आए थे। कोरोना संक्रमण में तब हम करीब 50 देशों से पीछे थे, लेकिन अब हम तीसरे स्थान पर हैं और अपनी आबादी के बड़े आकार को देखते हुए कहां पहुंच सकते हैं, यह हमें ईमानदारी से सोचना चाहिए। आबादी जहां मजबूती होती है, वहीं वह कई खामियां और खतरे भी लाती है। आज हम एक ऐसे ही खतरे के रूबरू हैं और कोई शक नहीं, मुकाबला हम जीत सकते हैं। हमें अपना पूरा ध्यान बचाव पर लगाना होगा। पूरे देश को रक्षात्मक मुद्रा में आना होगा। अब इसमें कोई संदेह शेष नहीं कि हमारी लापरवाही और उदासीनता हमें यहां तक ले आई है। शुरू में संकट की गंभीरता को न समझना, पर्याप्त कोरोना जांच का न होना और अनेक मरीजों द्वारा संक्रमण छिपाना आज भारी पड़ रहा है। अब 25,000 ज्यादा देशवासियों की जान गंवाने के बाद हमें इस संकट की भयावहता को ठीक से समझ लेना चाहिए। जो लोग अभी भी इस खतरे को हल्के में ले रहे हैं, उन्हें कोरोना से लड़ाई में शहीद हुए डॉक्टरों के बारे में सोच लेना चाहिए। 100 से ज्यादा डॉक्टरों ने क्या खुद को बचाने में कोई कसर छोड़ रखी होगी? 

अब हर एक नागरिक को हर मौके पर देखना होगा कि वह कोरोना के सेतु को बढ़ा रहा है या फिर उसे तोड़ने के लिए चौकस है। मास्क नाक-मुंह पर कसी हुई है या नीचे सरक आई है? क्या वाकई हम परस्पर शारीरिक दूरी बनाए रख पा रहे हैं? जिन राज्यों ने कोरोना संबंधी बचाव के कड़े नियम बना रखे हैं, क्या वहां उनकी पालना पूरी मुस्तैदी से हो रही है? क्या प्रशासन ने कड़ाई करके यह संदेश जन-जन तक पहुंचा दिया है कि दिशा-निर्देशों की पालना न करने वालों की खैर नहीं? यह सुनिश्चित करना होगा कि देश में कहीं भी भीड़ की जरूरत न पडे़ और कामकाज भी सतत चलता रहे। ऐसे में, सरकारी और निजी कार्यालयों में कामकाज व सेवा सुधार को प्राथमिकता देने की जरूरत है, ताकि लोगों के काम एक बार में हो जाएं। क्या अस्पतालों में सेवा का स्तर सुधरा है? क्या सेवा पाने के लिए पहले की तरह ही जद्दोजहद जारी है? तय मानिए, अनुशासन, जीवन शैली और कामकाजी कौशल सुधर जाए, तो कोरोना से मुकाबला आसान हो जाएगा।

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