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अंडमान से जुड़ाव

अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के साथ भारत की मुख्य भूमि का साइबर जुड़ाव मजबूत होना आवश्यक और स्वागतयोग्य है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल चेन्नई व पोर्ट ब्लेयर को जोड़ने वाले 2,312 किलोमीटर लंबे ऑप्टिकल...

अंडमान से जुड़ाव
हिन्दुस्तान Mon, 10 Aug 2020 10:28 PM
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अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के साथ भारत की मुख्य भूमि का साइबर जुड़ाव मजबूत होना आवश्यक और स्वागतयोग्य है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल चेन्नई व पोर्ट ब्लेयर को जोड़ने वाले 2,312 किलोमीटर लंबे ऑप्टिकल फाइबर केबल (ओएफसी) तंत्र का उद्घाटन किया है। इस केबल तंत्र में कई तरह की मशीनें शामिल हैं, जिनसे भारत का साइबर ढांचा बहुत मजबूत हो गया है। इससे पूरे अंडमान-निकोबार में मोबाइल, इंटरनेट की सेवा गुणवत्ता में बहुत बढ़ोतरी हो जाएगी। उच्च गति की ऐसी ब्रॉडबैंड सेवा भी नसीब होगी, जिससे देश का यह हिस्सा अभी तक वंचित था। अव्वल तो इंटरनेट की न्यूनतम गति के कारण अंडमान-निकोबार में किसी का ठहरना आसान नहीं था, क्योंकि बिना इंटरनेट के आजकल पर्यटक कहीं नहीं रुकते। अब वहां पर्यटक तो रुक पाएंगे ही, कारोबारियों को भी वहां रुककर विकास परियोजनाओं को साकार करने में मदद मिलेगी। वहां रोजगार सृजन में तेजी आएगी। 

लगभग 1,224 करोड़ रुपये की लागत से यह केबल तंत्र स्थापित किया गया है, लेकिन समय और जरूरत को देखते हुए यह खर्च ज्यादा नहीं है। जिस गति से भारत के आसपास नौसैनिक हलचल बढ़ी है, जिस तरह से चीन हमें घेरने की कोशिश में है, हमें अपने तमाम द्वीपों को सुरक्षित करना ही होगा। अंडमान-निकोबार में कुल 572 द्वीप हैं, जिनमें से 37 द्वीपों पर ही मानव बस्ती है। इनमें से कुछ द्वीपों पर दुर्लभ नस्ल के आदिवासियों की बसावट बताई जाती है, जहां शोधकर्ताओं के अतिरिक्त किसी को जाने की इजाजत नहीं है। पर तब भी अंडमान-निकोबार में करीब 12-15 द्वीप ऐसे हैं, जहां मानव आबादी ठीकठाक तादाद में है और वहां इंटरनेट सेवा विस्तार से कायाकल्प की संभावना है। केबल बिछाना सुरक्षा और विकास, दोनों ही दृष्टि से जरूरी था और यह काम पहले ही हो जाना चाहिए था। जिन द्वीपों पर बड़े उद्योग स्थापित नहीं हो सकते, वहां आईटी सेवाओं का विकास ज्यादा जरूरी है, ताकि पर्यावरण को ज्यादा नुकसान पहुंचाए बिना वहां आथर््िाक गतिविधियां तेज हो सकें। युवाओं को समय के हिसाब से प्रशिक्षण व रोजगार मिल सकें। खास यह भी कि केबल बिछाने की परियोजना को भारत संचार निगम लिमिटेड ने अंजाम दिया है। केबल बिछाने से न केवल हमारा द्वीप समूह, बल्कि हम स्वयं पहले से अधिक सशक्त व सुरक्षित हुए हैं। 

जिस तरह से अंडमान-निकोबार में इंटरनेट की स्पीड बढ़ाने की कोशिश हुई है, ठीक इसी तरह की कोशिश पूरे देश में करने की जरूरत है। भारत को भले ही सूचना प्रौद्योगिकी के लिए जाना जाता हो, पर यहां इंटरनेट स्पीड बहुत कम है। विज्ञान में अग्रणी देश भारत इंटरनेट स्पीड के मामले में दुनिया के टॉप 100 देशों में भी शामिल नहीं है। हमारे यहां 4जी की स्पीड पाकिस्तान, म्यांमार और श्रीलंका से भी कम है। 66 करोड़ उपभोक्ताओं के आधार के बावजूद भारत में 4जी डाटा स्पीड 6.9 से 9.5 एमबी प्रति सेकंड है, जबकि विश्व में डाटा स्पीड का औसत 34 से 35 एमबी प्रति सेकंड है। चीन में 4जी डाटा डाउनलोड स्पीड 103 से 105 एमबी प्रति सेकंड है। अत: इंटरनेट स्पीड में भारत को लंबा रास्ता तय करना है। हमारे यहां स्पेक्ट्रम महंगे हैं और निजी कंपनियां आर्थिक तंगी की वजह से मशीनरी पर खर्च कम कर रही हैं। बेशक, इस दिशा में सरकार को युद्ध स्तर पर पहल करनी चाहिए।

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