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हवा और सावधानी

कोरोना हवा के जरिए कहीं भी फैल सकता है, यह बात अब न सिर्फ तय हो गई है, बल्कि इसे लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन नए दिशा-निर्देश भी जारी करने वाला है। मार्च में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा था कि हवा के...

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हिन्दुस्तान Wed, 08 Jul 2020 09:20 PM
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कोरोना हवा के जरिए कहीं भी फैल सकता है, यह बात अब न सिर्फ तय हो गई है, बल्कि इसे लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन नए दिशा-निर्देश भी जारी करने वाला है। मार्च में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा था कि हवा के जरिए कोरोना के फैलने की गुंजाइश ज्यादा नहीं है। हवा के जरिए फैलने का खतरा वहीं ज्यादा है, जहां कोई कोरोना मरीज है। ऐसे में, केवल कोरोना मरीजों की सेवा में लगे चिकित्साकर्मियों को ही सावधान किया गया था। लेकिन अब पहली बार विश्व स्वास्थ्य संगठन ऐसे सुबूतों को मानने की प्रक्रिया में है, जिनसे साबित होता है कि कोरोना संक्रमण हवा के जरिए हो सकता है और हो रहा है। संगठन से इस पर विचार की मांग पहले भी हो रही थी। चीन में मार्च महीने में ही 75,465 कोरोना मरीजों की विवेचना के बाद बताया गया था कि कोरोना हवा के जरिए नहीं फैलता। कोरोना के विषाणु ज्यादा समय तक हवा में नहीं रह सकते, उड़कर ज्यादा दूर नहीं जा सकते, लेकिन ताजा अध्ययन से पता चलता है कि मार्च में बनी वह धारणा सही नहीं थी। कोरोना विषाणु काफी देर तक हवा में रह सकते हैं और जरूरी नहीं कि पास कोई कोरोना मरीज हो, तभी संक्रमण हो। यह एक ऐसा खुलासा है, जिसकी पड़ताल आने वाले दिनों में विश्व स्वास्थ्य संगठन बहुत गहराई से करेगा और उसके बाद ही वह किसी ठोस नतीजे पर पहुंचेगा। ठोस नतीजे पर पहुंचना जरूरी है, क्योंकि अगर वाकई हवा के जरिए कोरोना फैल रहा है, तो फिर मास्क लगाने, बार-बार हाथ धोने और शारीरिक दूरी बरतने के बुनियादी उपायों के आगे भी हमें सोचना होगा। 
विश्व स्वास्थ्य संगठन को इस खतरे से आगाह करने के लिए 239 वैज्ञानिकों को उसे खुला पत्र लिखना पड़ा है। उन सभी वैज्ञानिकों का आभार, जिन्होंने कुछ देर से ही सही, लेकिन यह जरूरी रहस्योद्घाटन खुद आगे बढ़कर किया है। वैज्ञानिकों से ऐसी ही जरूरी दूसरी कोशिशों की उम्मीद है। आज दुनिया में संक्रमितों की संख्या 1.20 करोड़ के करीब पहुंच चुकी है और जान गंवाने वालों की संख्या 5.50 लाख पार करने वाली है। ऐसे निर्णायक समय में कोरोना से जुड़ी छोटी से छोटी जानकारी भी लोगों के लिए बहुत कारगर हो सकती है। हवा से सावधान रहने की जरूरत है। भीड़भाड़, बंद, कम हवादार जगहों पर खतरा ज्यादा है। ऐसी खबरें लगातार आ रही हैं कि लोग घर से बाहर निकलने के बावजूद मास्क नहीं लगा रहे हैं। शारीरिक दूरी रखने की अनिवार्यता के पालन में कोताही बरत रहे हैं। 
भारत में कोरोना के दिनोंदिन बढ़ते आंकड़े गवाह हैं कि सावधानी में कमी हुई है। लोेग अभी भी यही सोच रहे हैं कि मुझे नहीं होगा। इसी सोच की वजह से सात लाख से ज्यादा लोगों को कोरोना हो चुका है। बड़ी संख्या में लोग मर रहे हैं। हवा के रुख और हवा में खतरे की मौजूदगी महसूसते हुए सोच को बदलना होगा। बचाव के दिशा-निर्देशों और सजग वैज्ञानिकों की सलाह पर सौ फीसदी कान देना होगा। सार्वजनिक और बंद जगहों पर ऐसे हवा शोधक यंत्रों की जरूरत अब पहले की तुलना में बहुत बढ़ गई है, जो विषाणुओं को अपनी ओर खींचकर खत्म करते हैं। साफ-सफाई रखने और वायु प्रदूषण कम से कम रखने में ही भविष्य है। सावधान, खतरा बढ़ रहा है, तो सावधानियों की व्यापकता और गुणवत्ता, दोनों ही बढ़ना तय है।

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