राष्ट्रीय राजधानी में कड़ाके की ठंड और घने कोहरे ने नए साल का स्वागत किया है। दिल्ली में कहीं-कहीं पारा 1.1 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया। कोहरे की वजह से जनजीवन और यातायात प्रभावित हो गया। इससे पहले 8 जनवरी, 2006 को दिल्ली का न्यूनतम तापमान 0.2 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया था। पिछले साल जनवरी में इतनी ठंड नहीं थी। पिछली जनवरी में सबसे कम तापमान 2.4 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया था, लेकिन इस बार पहली ही जनवरी को सफदरजंग, दिल्ली में तापमान 1.1 डिग्री सेल्सियस पर रिकॉर्ड होते ही भारतीय मौसम विभाग ने बता दिया कि यह पिछले 15 वर्ष में नववर्ष का सबसे ठंडा पहला दिन है। हमें सावधान रहना चाहिए। आने वाले दिनों में न केवल सर्दी बढ़ने वाली है, बल्कि कोहरे का भी प्रकोप बना रह सकता है। साल के पहले दिन कोहरा इतना घना था कि दृश्यता पचास मीटर से भी कम हो गई थी। पहाड़ी प्रदेशों में बर्फीला आलम है, तो उत्तर प्रदेश और बिहार में भी शीत लहर की स्थिति है। इसके साथ ही जुड़ी एक महत्वपूर्ण सूचना है कि उत्तर भारत में आगामी तीन से पांच जनवरी तक बारिश की आशंका है।
यह नई बात नहीं है, भारत में मौसम बड़ा दिलचस्प विषय है। लेह, श्रीनगर में तापमान माइनस में चला जा रहा है। मिसाल के लिए, दिल्ली में जहां अधिकतम तापमान 16 डिग्री के आसपास चल रहा है, वहीं मुंबई में न्यूनतम तापमान 22 डिग्री और चेन्नई में 21 डिग्री दर्ज किया गया है। कोलकाता में भी ठंड है, जहां न्यूनतम तापमान 13 डिग्री सेल्सियस है। मुंबई, चेन्नई और कोलकाता को समुद्र के पास होने के कारण राहत है, जबकि दिल्ली में पहाड़ों से ठंड बहती आ रही है। बाकी तीन महानगरों में जहां तापमान अपेक्षाकृत संतुलित रहता है, वहीं दिल्ली का हाल न केवल सर्दियों में बुरा रहता है, बल्कि गरमियां भी यहां कहर ढाती हैं। पिछली गरमियों में लॉकडाउन के दौरान दिल्ली में पारा 45 डिग्री सेल्सियस के पार चला गया था। मौसम का यह उतार-चढ़ाव दरअसल दिल्ली का अपना दर्द या दस्तूर है। क्या दिल्ली को ऐसी भयानक ठंड और गरमी से बचाया जा सकता है? हां, दिल्ली के समाज में खुशहाली और संसाधनों की कमोबेश समानता लाकर मौसम के कहर से निपटा जा सकता है, पर इसका असली दर्द है प्रदूषण। यहां इन दिनों की हवा सांस लेने लायक नहीं है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने गुरुवार को दिल्ली और एनसीआर के प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को वायु प्रदूषण रोकने के लिए तत्काल व प्रभावी कदम उठाने को कहा है।
दिल्ली के बारे में वाकई सोचने की जरूरत है। ठंड, कोहरा, शीतलहर, गरमी, लू इत्यादि पर हमारा जोर नहीं है, लेकिन प्रदूषण के मोर्चे पर तो हम जरूर काम कर सकते हैं। पर क्या हम दिल्ली में प्रदूषण को लेकर पर्याप्त गंभीर हैं? अभी आंदोलित किसानों को मनाने के लिए केंद्र सरकार जिस तरह से पराली जलाने संबंधी कुछ रियायत देने को तैयार हुई है, उससे भी यही लगता है कि हम एक अच्छा-कड़ा कदम बढ़ाने के बाद उसे आधा पीछे खींचने से पहले दिल्ली के जानलेवा मौसम के बारे में नहीं सोचते हैं। आज ठिठुरती दिल्ली परेशान है, अगर वह अलाव भी जलाएगी, तो इससे प्रदूषण बढ़ेगा। बेशक, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली को इस मजबूरी से निकालना चाहिए, ताकि वह देश के लिए एक मिसाल बने।
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