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नए का स्वागत

कोई भी नया वक्त, नया साल या नया दशक एक स्वाभाविक खुशी और उम्मीद के साथ अवतरित होता है। खुशी यह होती है कि हम पुराने से नए की ओर जा रहे हैं और उम्मीद यह कि जो होगा, पहले से बेहतर होगा। यह खुशी और...

नए का स्वागत
हिन्दुस्तान Thu, 31 Dec 2020 09:36 PM
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कोई भी नया वक्त, नया साल या नया दशक एक स्वाभाविक खुशी और उम्मीद के साथ अवतरित होता है। खुशी यह होती है कि हम पुराने से नए की ओर जा रहे हैं और उम्मीद यह कि जो होगा, पहले से बेहतर होगा। यह खुशी और उम्मीद इस बार कुछ ज्यादा ही है, क्योंकि जो बीता है, वह शायद कुछ ज्यादा ही बुरा था। उस बुरे को छोड़कर हमें नए साल में आगे बढ़ना है और बहुत कुछ ऐसा अच्छा रचना है, जो हमारी उम्मीदें पूरी करके हमें खुशियों से सराबोर कर दे। यकीन मानिए, जो बीत गया, उसमें भी बहुत कुछ अच्छा था, जिसे साथ लिए चलना होगा। जैसे, महामारी के दौर में हम जिस तरह मिलकर लड़े, जिस तरह से हमने एक-दूसरे की चिंता की, वह काबिले तारीफ है। पीएम फंड में पलक झपकते अरबों रुपये जमा हो गए थे। लॉकडाउन में मजबूर होकर पैदल घर लौटते लोगों की सेवा करने वालों को, उन्हें भोजन कराने वालों को हम कैसे भूल सकते हैं? ध्यान रहे, ज्यादातर आम लोग ही जरूरतमंदों की मदद के लिए आगे आए और कुछ बड़ी हस्तियां भी, जिनके नाम इतिहास में दर्ज हो गए हैं। हम मरीजों की सेवा करने वालों को कैसे भूल सकते हैं और उन डॉक्टरों को तो कभी नहीं, जो महामारी से लड़ते शहीद हुए हैं। आज अगर हम खड़े हैं, तो उन तमाम सज्जनों की शहादत, समर्पण, सेवा का कोटि-कोटि आभार जताना भी अपने सभ्य समाज को सशक्त करने की कवायद का जरूरी हिस्सा है। 
ध्यान रहे, 2020 दुनिया में विज्ञान, वैज्ञानिकों, डॉक्टरों, सेवाभावी लोगों को विशेष रूप से एकजुट कर गया है। शुद्ध खान-पान, साफ-सफाई का जरूरी पाठ पढ़ा गया है। 2020 दुनिया की तमाम सरकारों की लोक-कल्याणकारी योजनाओं को भी नया जीवन दे गया है। 2020 तमाम लोगों को अपने जीवन और जीविका में किसी भी बदलाव के लिए तैयार रहने, अपना कौशल बढ़ाने और बहुमुखी प्रतिभा से संपन्न होने का संदेश हमेशा के लिए दे गया है। लगे हाथ 2020 हमें चेतावनी भी दे गया है कि दुनिया में ऐसी सत्ताएं या ऐसे समूह भी हैं, जिन्होंने मुसीबत के समय भी दुनिया में लोगों को तड़पाया-रुलाया है। काम अभी खत्म नहीं हुआ है। अशांति फैलाने वाले, दूसरों को तरह-तरह से छलने वाले अभी भी सक्रिय हैं। ऐसे में, सजगता और आत्मनिर्भरता की कसौटी पर सभी को खरा उतरना होगा, कोई इंसान हो या मुल्क। महामारी के समय आतंकवाद की या सीमा पर आक्रामकता की कतई जरूरत नहीं थी, लेकिन वर्ष 2020 ने बहुत हद तक हमें यह एहसास करा दिया कि 2021 में हमारी चुनौतियां क्या होंगी। कुल मिलाकर, बीता हुआ वर्ष भले दुखद रहा हो, लेकिन एक ऐसा यादगार सबक रहा है, जिसे हम भूल न पाएंगे। 
आज से एक ऐसे दशक की शुरुआत हो रही है, जो भारत के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। यह युवा भारत का आखिरी संपूर्ण दशक है। इसके अगले दशक के मध्य अर्थात 2035 में हमारा देश बूढे़ लोगों के मुल्कों में गिना जाने लगेगा। अत: आज से शुरू हो रहे दशक में हमें जीवन, जीविका, अर्थव्यवस्था और विश्व के मंच पर लंबी छलांग लगा लेनी चाहिए। इस दशक का एक-एक वर्ष महत्वपूर्ण होने वाला है। चिंताएं साथ रहेंगी, लेकिन समाधान का हौसला हमें साथ लिए चलना होगा। अपने खुद के कर्मों से हमें एक बेहतर समाज गढ़ना होगा, जो मुसीबत के समय हमारे काम आए।

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