फोटो गैलरी

अगला लेख

अगली खबर पढ़ने के लिए यहाँ टैप करें

Hindi News ओपिनियन संपादकीयअरब क्षेत्र की चिंता 

अरब क्षेत्र की चिंता 

इजरायल की आक्रामकता का नया सिलसिला फिर चर्चा में है और इसके साथ ही पश्चिम एशिया के देशों में चिंता की नई लहर दौड़ गई है। पहले लेबनान के बेरूत में आतंकी संगठन हिजबुल्लाह के कमांडर फउद का अंत कर दिया...

अरब क्षेत्र की चिंता 
Pankaj Tomarहिन्दुस्तानWed, 31 Jul 2024 10:37 PM
ऐप पर पढ़ें

इजरायल की आक्रामकता का नया सिलसिला फिर चर्चा में है और इसके साथ ही पश्चिम एशिया के देशों में चिंता की नई लहर दौड़ गई है। पहले लेबनान के बेरूत में आतंकी संगठन हिजबुल्लाह के कमांडर फउद का अंत कर दिया गया और उसके बाद ईरान के तेहरान में आतंकी संगठन हमास के नेता इस्माइल हनियेह की हत्या कर दी गई। बुधवार शाम तक एक ही हत्या की जिम्मेदारी इजरायल की ओर से ली गई। ईरान में हुई सनसनीखेज हत्या विश्व राजनय के लिए ज्यादा गंभीर मामला है। इसमें कोई दोराय नहीं कि इजरायल घोषित रूप से हमास और अन्य आतंकी संगठनों को समाप्त कर देना चाहता है, पर उसके तरीके को लेकर विवाद बढ़ सकता है। हिजबुल्लाह के कमांडर का तो इजरायल ने सीधे अपराध भी गिना दिया है। उसे इजरायल में 12 बच्चों की हत्या के लिए दोषी ठहराया गया है। फिलहाल, खासकर इस्माइल हनियेह की हत्या इसलिए ज्यादा मायने रखती है, क्योंकि वह युद्धविराम की बातचीत में शामिल थे। गाजा को लेकर पहले ही भयंकर विवाद चल रहा है और पिछले कुछ दिनों से इजरायल व लेबनान में संघर्ष की स्थिति बढ़ गई है। ऐसे में, लेबनान में इजरायल द्वारा की गई कार्रवाई से जंगी माहौल को ही बल मिलेगा।
गौर करने वाली बात है कि हमास भले ही एक आतंकी संगठन हो, पर पश्चिम एशिया के देशों में उसे अलग नजरिये से देखने वाले बहुत हैं। तभी तो हमास ने अपने नेता की मौत पर शोक व्यक्त करते हुए उनको शहीद बताया है। इस्माइल चूंकि नए ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियान के शपथ समारोह में भाग लेने गए थे, इसलिए ईरान में भी बहुत नाराजगी है। पश्चिम एशिया में आज एक बड़ा सवाल है कि क्या ईरान इजरायल पर हमलावर हो सकता है? वैसे तो इजरायल के प्रति पश्चिम एशिया के देशों में बहुत हद तक नफरत का भाव है, पर इजरायल अपने दुश्मनों पर इक्कीस साबित होता रहा है। पश्चिम एशिया के देश रह-रहकर अपना गुस्सा प्रकट करते हैं, पर सीधे इजरायल से लड़ना उनके लिए आसान नहीं है। इजरायल ने यह एहसास उन सभी देशों को करा दिया है कि खुली जंग किसी के लिए भी खतरे से खाली नहीं है। आज जिस तरह की स्थिति पश्चिम एशिया में है, साफ तौर पर यह कहना मुश्किल है कि कौन पूरी तरह सही है और कौन पूरी तरह गलत। इजरायल अपने दुश्मनों के प्रति जरूरत से ज्यादा आक्रामक है, तो इसके पीछे शायद उसके अपने पुराने अनुभव हैं। दूसरी ओर, अनेक देश हैं, जो आतंकियों को पूरा सहयोग देते हैं, अपनी जमीन पर पनपने-रहने देते हैं, हथियार देते हैं, ऐसे देशों का खुलकर कैसे पक्ष लिया जाए? 
पश्चिम एशिया में प्रतिशोध एक बहुत त्रासद शब्द है, उसके बारे में सोचकर सिवाय दुख के कुछ भी हासिल नहीं होता। अगर तेहरान में मारे गए इस्माइल की ही बात करें, तो पूर्व में उनके परिवार के करीब 14 लोग मारे जा चुके हैं। ये सभी 14 लोग कतई आतंकी नहीं थे। प्रतिशोध के नाम पर मासूम बच्चों को भी नहीं छोड़ा जाता, न इजरायल छोड़ता है और न हिजबुल्लाह या हमास, तो फिर भलमनसाहत या इंसानियत का अतिरिक्त लाभ किसे दिया जाए? बदला लेने का यह बर्बर तरीका किस मजहबी किताब से सीखा गया है? मजहब के नाम पर हैवानियत भरी जंग की जितनी निंदा की जाए, कम होगी। कम से कम आधा दर्जन पश्चिम एशियाई देशों का रवैया सिर्फ निराश ही नहीं करता है, बल्कि पूरी दुनिया को चिंता में डाल देता है। 

अगला लेख पढ़ें