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यादगार दौरा

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का भारत दौरा अनेक अर्थों में सफल और ऐतिहासिक ही ठहराया जाएगा, लेकिन यह दौरा भविष्य में भारत के लिए कितना प्रभावी साबित होगा, यह कहना कठिन है। जहां तक यात्रा से...

यादगार दौरा
हिन्दुस्तानTue, 25 Feb 2020 11:44 PM
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का भारत दौरा अनेक अर्थों में सफल और ऐतिहासिक ही ठहराया जाएगा, लेकिन यह दौरा भविष्य में भारत के लिए कितना प्रभावी साबित होगा, यह कहना कठिन है। जहां तक यात्रा से उम्मीदों का सवाल है, तो कुछ निराशाएं भारत के लिए छोड़कर कुछ कसक के साथ ट्रंप भी स्वदेश लौटेंगे। भारत की सबसे बड़ी उम्मीद अमेरिका से फिर विशेष व्यापार दर्जा वापस पाने की थी, तो अमेरिका की सबसे बड़ी उम्मीद थी कि भारत अमेरिकी उत्पादों पर लगने वाले शुल्क में कमी करेगा। भारत-अमेरिका संयुक्त वक्तव्य से भी यही लगता है कि व्यापार समझौते को भविष्य के लिए टाल दिया गया है। संभव है कि यह समझौता तभी हो, जब इसी वर्ष नवंबर के बाद ट्रंप दोबारा राष्ट्रपति चुने जाएं। हालांकि अपने अलग वक्तव्य में ट्रंप ने इशारा किया है कि अमेरिका आर्थिक बाधाओं को धीरे-धीरे हटाएगा। ट्रंप खुश हैं कि भारत के लिए होने वाले अमेरिकी निर्यात में 60 प्रतिशत की बढ़त हासिल हुई है। दोनों देश आशान्वित हैं, निस्संदेह परस्पर व्यवसाय बढे़गा, लेकिन किसी बड़े सौदे या समझौते के लिए अमेरिकी चुनाव का इंतजार करना पड़ेगा। 

ट्रंप भारत से यह कामयाबी लेकर लौटे हैं कि भारत के साथ तीन अरब डॉलर का रक्षा उपकरण सौदा हो गया। हालांकि अमेरिका में इस सौदे पर डेमोक्रेट पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद के सबसे मजबूत उम्मीदवार ने असंतोष जता दिया है। दोनों देशों के बीच 5-जी टेक्नोलॉजी की चर्चा हुई है, जाहिर है, इसका ज्यादा आर्थिक लाभ अमेरिका की टेलीकॉम कंपनियों को ही होना है। ट्रंप ने भारतीय उद्यमियों से भी मुलाकात की है, लेकिन इसका हासिल यह रहा कि उनकी एक मंशा सामने आ गई। उन्होंने कॉरपोरेट को रिझाने के लिए साफ कहा कि वह फिर राष्ट्रपति चुनाव जीते, तो बाजार में उछाल आ जाएगा। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं कि ट्रंप के दिमाग में दौरे के समय भी अमेरिकी चुनाव की चिंता मंडराती रही और एक हद तक यह उनका भारतीय चुनावी दौरा था। उन्होंने भारतीय जमीन से न केवल अपनी जीत का दावा कर दिया, बल्कि प्रमुख विपक्षी डेमोक्रेट पार्टी पर राजनीतिक हमला भी बोला। याद रहेगा, भारतीय जमीन पर अमेरिकी राजनीति का यह नया अध्याय है। यह भविष्य के लिए संकेत है- अमेरिका की आला कंपनियों में भारतीयों की अहमियत जैसे-जैसे बढ़ रही है, वैसे-वैसे भारत भी अमेरिकी राजनीति की एक अहम जमीन बनता जाएगा। अमेरिका में रहने वाले कुल भारतीयों में से महज 16 प्रतिशत ने ही पिछली बार ट्रंप को वोट किया था। ‘हाउडी मोदी’ और ‘नमस्ते ट्रंप’ के बाद इस बार रिपब्लिकन ही नहीं, डेमोक्रेट को भी लग रहा है कि बड़ी संख्या में भारतीय मूल के लोग ट्रंप की ओर झुकेंगे। इस राजनीतिक सच से ट्रंप के दौरे को अलग करके नहीं देखा जा सकता। 

अब रही आतंकवाद की बात, तो इस मोर्चे पर भारत को कुछ भी नया हासिल नहीं हुआ है। न तो इस्लामी आतंकवाद के खिलाफ ट्रंप के बयान नए हैं और न पाकिस्तान को दी गई हल्की नसीहत नई है। ध्यान रहे, दोनों देशों में प्रगाढ़ता बढ़ी है, लेकिन भारत अभी भी अमेरिका का वैसा दोस्त नहीं हुआ है कि इजरायल जैसी सैन्य कार्रवाई करने लगे। बहरहाल, अच्छी बात है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है, ‘दोनों देशों के संबंधों के केंद्र में लोग हैं’। वाकई देश भी यही चाहता है। 
 

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