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लोकतंत्रों की दोस्ती

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की दो दिवसीय विशेष भारत यात्रा न सिर्फ भारत और भारतीयों की बढ़ती ताकत का संकेत है, बल्कि यह दुनिया के लिए एक सुखद प्रेरणा भी है। सबसे बड़े लोकतंत्र की जमीन पर सबसे...

लोकतंत्रों की दोस्ती
हिन्दुस्तानMon, 24 Feb 2020 11:11 PM
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की दो दिवसीय विशेष भारत यात्रा न सिर्फ भारत और भारतीयों की बढ़ती ताकत का संकेत है, बल्कि यह दुनिया के लिए एक सुखद प्रेरणा भी है। सबसे बड़े लोकतंत्र की जमीन पर सबसे पुराने लोकतंत्र के राष्ट्राध्यक्ष की यह यात्रा स्वागत, भाषण और सत्कार के कीर्तिमान बनाती दिख रही है, तो कोई आश्चर्य नहीं। मात्र लोकतंत्र के नजरिए से भी देखें, तो दोनों देशों के बीच दिखती प्रगाढ़ता का स्वतंत्र महत्व है। आज भी कई देश हैं, जहां लोकतंत्र मांगने वालों पर गोलियां चलती हैं। उन देशों तक यह संदेश जरूर पहुंचा होगा कि लोकतांत्रिक देशों में परस्पर समझ सहज ही विकसित हो सकती है। भारत की बहुलता और एकता की जिस तरह से ट्रंप ने तारीफ की है, उसकी गूंज दक्षिण एशिया में आने वाले समय तक बनी रह सकती है। इधर, भारत में जो लोग किन्हीं निहित उद्देश्यों से बहुलता छोड़ने की वकालत करते हैं, उन्हें भी जरूर सीखना चाहिए कि भारत की सच्ची मजबूती और प्रशंसा सभी आस्थाओं का आदर करने में है। 

अहमदाबाद के मोटेरा स्टेडियम में आयोजित स्वागत समारोह ‘नमस्ते ट्रंप’ की एक खासियत यह भी रही कि भारत की ऐसी प्रशंसा वर्षों बाद सुनाई पड़ी। भूलना नहीं चाहिए, अमेरिकी राष्ट्रपतियों की कुछ यात्राएं तो केवल यह कोशिश रही हैं कि भारत को उसके एक पड़ोसी देश के समकक्ष रखा जाए। ट्रंप की यात्रा भारत को पारंपरिक कूटनीति या पूर्वाग्रह से परे देखती लग रही है। एक ओर, भारतीय प्रधानमंत्री की तारीफ करना और दूसरी ओर, उन्हें कठिन वार्ताकार करार देने का भी अपना महत्व है। यह शायद संकेत है कि अमेरिका अनेक बड़े फायदेमंद सौदों पर बात कर रहा है और भारत अपने हित साधने के लिए अड़ रहा है। बेशक, विकासशील भारत अपने किसानों, मजदूरों, उत्पादकों के हित की अनदेखी नहीं कर सकता। 

बाजार को खोलते हुए अपने हित ऊपर रखने के लिए अगर भारतीय प्रधानमंत्री को कठिन वार्ताकार कहा जा रहा हो, तो यह सुखद ही है। एक विशाल आबादी वाले भारत को केवल बाजार समझने की भूल जो लोग कर रहे हैं, उनकी किसी भी एकतरफा मांग पर सावधानी आज समय व देश की मांग है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने बिल्कुल सही संकेत दिया है कि पिछले दो दशक में भारत ने उल्लेखनीय विकास किया है, पर अभी भी भारत की मंजिल दूर है। डोनाल्ड ट्रंप भी इस बात को जरूर जानते होंगे और भारतीय प्रधानमंत्री ने भी यह स्पष्ट कर दिया कि विकसित भारत अमेरिका के लिए वरदान है। यह बहुत हद तक सच भी है, भारत के कुशलतम युवाओं की पहली पसंद में अमेरिका भी शामिल है। आज अमेरिका में बड़ी-बड़ी अनेक कंपनियों की कमान भारतीयों के हाथों में है। अब समय आ गया है, अपनी कुशलता और सूचना प्रौद्योगिकी में अपनी महारत का पूरा लाभ भारत को मिले। ट्रंप की यह विशेष यात्रा इस मायने में कारगर सिद्ध हो सकती है। 

हम यह नहीं भूल सकते कि भारत और अमेरिका के बीच कारोबार तेजी से बढ़ रहा है। ताजा आंकड़े बताते हैं, अमेरिका का आर्थिक लाभ लेने में भारत अब चीन से आगे निकलने लगा है। भारत की यह बढ़त आगे भी कायम रहे, यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी हमारी सरकार पर है। दुनिया देख रही है, दोनों लोकतंत्रों का मिलन तभी सार्थक और आदर्श माना जाएगा, जब दोनों देश समान रूप से तरक्की करेंगे।

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