प्रधानमंत्री और तलाशी
इसे सोशल मीडिया और खबरिया चैनलों के जमाने का एकदिवसीय हंगामा भी कहा जा सकता है, लेकिन पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहिद अब्बासी की न्यूयॉर्क हवाई अड्डे पर तलाशी या शायद जामा-तलाशी ली गई, वह मामला काफी...
इसे सोशल मीडिया और खबरिया चैनलों के जमाने का एकदिवसीय हंगामा भी कहा जा सकता है, लेकिन पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहिद अब्बासी की न्यूयॉर्क हवाई अड्डे पर तलाशी या शायद जामा-तलाशी ली गई, वह मामला काफी गंभीर है। यह ठीक है कि इस खबर में वे सारे मसाले थे, जिससे टीवी दर्शकों को बांधकर रखा जा सकता था और वेबसाइट के हिट बढ़ाए जा सकते थे। सोशल मीडिया पर दिन भर इसे पाकिस्तान की अगली-पिछली तमाम करतूतों से जोड़कर भी देखा जा रहा था। न जाने कैसे इस घटना से जुड़ा वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और खबर की सनसनी को बढ़ाने में उसका भी काफी योगदान रहा। लेकिन अगर इसे इन सब चटखारों से अलग करके देखें, तो यह सीधे तौर पर एक संप्रभु देश के प्रधानमंत्री से दुव्र्यवहार का मामला है। यह ठीक है कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री की यह यात्रा सरकारी नहीं थी। वह वहां इलाज करा रहीं अपनी बहन को देखने के लिए गए थे। इस वजह से यह तर्क दिया जा सकता है कि उनकी इस यात्रा पर प्रोटोकॉल लागू नहीं होता और इसलिए उनसे वही व्यवहार किया गया, जो आम यात्रियों से होता है। फिर भी यह आपत्तिजनक है। क्या खुद अमेरिका स्वीकार करेगा कि उसके राष्ट्रपति किसी देश की यात्रा पर जाएं और वहां उनकी तलाशी हो?
निजी यात्रा के तर्क में इसलिए भी दम नहीं है कि कई नेताओं की आधिकारिक यात्रा के दौरान भी ऐसा हुआ है। जॉर्ज फर्नांडिस जब भारतीय रक्षा मंत्री के तौर पर अमेरिका की यात्रा पर गए थे, तो हवाई अड्डे पर उनकी जामा तलाशी हुई थी। वापस लौटकर उन्होंने इसकी शिकायत तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से की थी। बात वहीं दबा दी गई थी, लेकिन बाद में जब अमेरिका के एक पूर्व राजनयिक ने अपनी किताब में इसका जिक्र किया, तो यह जगजाहिर हो गई। तभी यह भी पता लगा था कि लालकृष्ण आडवाणी जब गृह मंत्री के तौर पर अमेरिका गए थे, तो तलाशी के दौरान उनके जूते-मोजे तक उतरवा लिए गए थे। इसके अलावा एपीजे अब्दुल कलाम जब राष्ट्रपति पद से रिटायर हो चुके थे, तो एक अमेरिकी यात्री हवाई जहाज पर चढ़ने के दौरान उनकी तलाशी ली गई थी, बावजूद इसके कि उनकी सुरक्षा में लगे जवानों ने उनका परिचय दिया था। ऐसा देश के कई मंत्रियों और अधिकारियों के साथ हो चुका है। प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता शाहरुख खान को भी जांच के नाम पर कई घंटे तक हवाई अड्डे पर बिठाकर रखा गया था। इन खास लोगों को छोड़ दें, तो अमेरिका जाने वाले आम लोगों को तो इस प्रक्रिया में रोज ही खासा परेशान होना पड़ता है।
यह भी कहा जाता है कि किसी देश के मन में आतंकवाद को लेकर दहशत कितनी ज्यादा है, इसे अमेरिकी हवाई अड्डों पर होने वाली तलाशी प्रक्रिया के पागलपन से समझा जा सकता है। पिछले कुछ साल में तकरीबन सभी देशों में यह तलाशी प्रक्रिया काफी कड़ी हुई है, लेकिन अमेरिका में यह सख्ती एक दूसरी अति तक जा पहुंची है। ऐसे आरोप अक्सर सामने आते हैं कि वहां लोगों की चमड़ी का रंग और उनका नाम देखकर तलाशी का स्तर तय किया जाता है। समय जिस तरह बदल रहा है, उसमें अमेरिका या किसी भी देश की ऐसी मजबूरियों को समझा जा सकता है। लेकिन किसी देश के प्रधानमंत्री या मंत्री के साथ बर्ताव की तमीज तो अमेरिका को सीखनी ही होगी।