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दाऊद पर शिकंजा

मुंबई हमले की साजिश रचने वाले इंटरनेशनल डॉन दाऊद इब्राहीम को बड़ा झटका लगा है। ब्रिटेन ने अपने यहां फैली उसकी हजारों करोड़ की संपत्ति जब्त कर ली है। खबर भले ही ब्रिटेन से आई हो, कूटनीतिक जीत यह भारत की...

दाऊद पर शिकंजा
हिन्दुस्तानWed, 13 Sep 2017 10:40 PM
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मुंबई हमले की साजिश रचने वाले इंटरनेशनल डॉन दाऊद इब्राहीम को बड़ा झटका लगा है। ब्रिटेन ने अपने यहां फैली उसकी हजारों करोड़ की संपत्ति जब्त कर ली है। खबर भले ही ब्रिटेन से आई हो, कूटनीतिक जीत यह भारत की है, जिसने 2015 में दाऊद की संपत्तियों पर विस्तृत डोजियर ब्रिटेन को सौंपा था। जनवरी में सऊदी अरब भी दाऊद की करीब 15 हजार करोड़ की संपत्ति जब्त कर चुका है। दाऊद के खिलाफ ताजा कार्रवाई ब्रिटेन का विकास-स्रोत माने जाने वाले इलाके मध्य ब्रिटेन स्थित उसके ठिकानों पर हुई है, जिसका आधार भारत की ईडी और कई अन्य जांच एजेंसियों के साक्ष्य बने। ये सारे साक्ष्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यूएई और लंदन की यात्रा के दौरान ब्रिटिश अधिकारियों को सौंपे गए थे, और उसी वक्त दाऊद के खिलाफ सख्ती का इरादा सामने आ गया था। ब्रिटेन ने दाऊद को आर्थिक पाबंदियों वाली अपनी सूची में शामिल करके इस इरादे को आगे बढ़ाने के संकेत दे दिए थे। अब दाऊद को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने की योजना पर काम पूरा होना बाकी है।

दाऊद मुंबई-विस्फोट जैसी भयानक घटना का ही नहीं, कई बड़े अपराधों में भी भारत का मुजरिम है। भारत को लंबे समय से उसकी तलाश है। पिछले महीने जब ब्रिटेन ने अपनी ओर से जारी सूची में उस पर आर्थिक पाबंदियां आयद की थीं, तभी लगने लगा था कि यह दाऊद पर शिकंजा कसने की शुरुआत है। सूची में इस माफिया डॉन के पाकिस्तान स्थित तीन ठिकानों की भी साफ तौर पर चर्चा हुई थी। दाऊद के 21 उपनामों की बात भी तभी सामने आई थी, जिनके सहारे वह दुनिया की आंखों में धूल झोंकता आया है। यह सूची उस सच की भी तस्दीक कर रही थी कि दाऊद के पाकिस्तान में होने और वहां आते-जाते रहने पर किसी को शक नहीं है। ब्रिटेन की ताजा कार्रवाई से उस पर दबाव बढ़ने के आसार बने हैं, और माना जाना चाहिए कि इस मामले में जल्द ही ग्लोबल अंडरस्टैंडिंग से निकली कोई कार्य-योजना सामने आएगी।

दाऊद इब्राहीम 1993 के मुंबई बम धमाकों में भारत का मुख्य वांछित अपराधी है। उन धमाकों में ढाई सौ से ज्यादा निरीह लोगों की जानें गई थीं। उस घटना के बाद से ही यह आतंकी भारत से फरार है और पाकिस्तान भले ही इनकार करता आया हो, यह उसी के संरक्षण में रहा और वहीं अपने ठिकाने बदलता रहा। उसके दुबई सहित कई अन्य देशों में भी होने की खबरें आती रही हैं। कोई शक नहीं कि दाऊद को पाकिस्तान व आईएसआई का संरक्षण हासिल है और उनके सहयोग से ही उसका पाकिस्तान के बाहर भी आना-जाना रहा है। वह आज भी उन्हीं की सरपरस्ती में ही वहीं कहीं होगा। जरूरत इसी तरह दबाव बढ़ाते हुए अंतरराष्ट्रीय सहयोग और इंटरपोल की मदद से उसे ढूंढ़ निकालने और गिरफ्तार करने की है।

भरोसा किया जाना चाहिए कि जिस तरह अबू सलेम को भारत लाने और सजा दिलवाने में कामयाबी मिली, वैसी ही सफलता दाऊद के मामले में भी जल्द मिलेगी।  ताजा घटनाक्रम पाकिस्तान और वहां बैठे दाऊद के आकाओं के लिए भी किसी झटके से कम नहीं है। पाकिस्तान वैसे भी पहले ब्रिटेन की आर्थिक पाबंदियों वाली सूची, फिर ब्रिक्स देशों के घोषणापत्र में खुद को इंगित किए जाने के साथ आतंकियों के पनाहगारों को किसी भी सूरत में बख्शे न जाने के संकल्प से सशंकित दिख रहा है। ताजा कार्रवाई उसकी धड़कन कुछ और बढ़ा गई होगी। कोलंबिया के ड्रग तस्कर पाब्लो एस्कोबार के बाद दुनिया के इस अमीर अपराधी पर लगाम कसने और इस मामले में अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ाने का यही सही समय है।

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