फोटो गैलरी

इमरान की सफाई

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कुछ नया नहीं कहा। वही सब कहा, जिसकी उनसे उम्मीद थी। सौ चूहे खाने के बाद बिल्ली अचानक हज को चली जाएगी, यह नई दिल्ली को भी अच्छी तरह से पता था। यह लगभग तय था कि...

इमरान की सफाई
हिन्दुस्तानTue, 19 Feb 2019 10:06 PM
ऐप पर पढ़ें

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कुछ नया नहीं कहा। वही सब कहा, जिसकी उनसे उम्मीद थी। सौ चूहे खाने के बाद बिल्ली अचानक हज को चली जाएगी, यह नई दिल्ली को भी अच्छी तरह से पता था। यह लगभग तय था कि पाकिस्तान जब भी पुलवामा के आतंकी हमले पर बोलेगा, अपनी बेगुनाही के सुबूत ही पेश करेगा। वह भारत से सुबूत मांगेगा और यही कहेगा कि हमें सुबूत दो, हम कार्रवाई करेंगे। यह बात अलग है कि जब सुबूत वाकई पेश किए जाएंगे, तो वह उन्हें मानने से इनकार कर देगा। यह भी तय था कि वह किसी भी तरह की कार्रवाई के खिलाफ भारत को ऐसी ‘चेतावनी’ भी देगा, जिसमें उसका डर ही ज्यादा प्रकट होगा। पहले यह खबर आई थी कि पुलवामा हमले के मामले में इमरान खान एक पत्रकार सम्मेलन को संबोधित करेंगे, लेकिन पत्रकार सम्मेलन तो नहीं दिखा, हां एक पहले से रिकॉर्ड किया गया उनका बयान जरूर सामने आया, जिसे दुनिया भर के टीवी मीडिया को भेजा गया। हालांकि इसमें कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन इससे यह तो पता चलता ही है कि इमरान पुलवामा हमले के मामले में सवालों का सामना करने के लिए तैयार नहीं हैं।

वैसे खुद इमरान भी समझते होंगे कि सुबूत की बात कितनी निरर्थक है। उन्हें कम से कम अमेरिका में हुए 11 सितंबर के हमले की कहानी अच्छी तरह मालूम होगी। एक बार जब यह साफ हो गया कि वह हमला अल कायदा ने करवाया था, तो अमेरिका ने किसी को कोई सुबूत नहीं दिया, वह सीधे अल कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन के पीछे पड़ गया। भारत भी लगभग वही बात कह रहा है। उरी और पठानकोट के बाद अब पुलवामा, एक के बाद एक भारत पर इस तरह के आतंकवादी हमले लगातार जैश-ए-मोहम्मद कर रहा है। और इस संगठन का सरगना पाकिस्तान में बैठा हुआ है, जिसे पाकिस्तान ने न सिर्फ शरण दी है, बल्कि लगातार शह और हर तरह की मदद भी देता रहता है। वैसे बात अकेले मसूद अजहर की नहीं है। ऐसे कई आतंकी संगठन हैं, जो पाकिस्तान में पल रहे हैं और जिनका काम भारत में आतंक फैलाना है। ऐसे ही अन्य नाम हाफिज सईद, जकीउर रहमान लखवी हैं। दुनिया भर के रक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि इन सबका इस्तेमाल पाकिस्तानी सेना और सरकार अपने हथियार के रूप में करती है। संयोग से ओसामा बिन लादेन को भी जब अमेरिका के नेवी सील कमांडो ने सर्जिकल ऑपरेशन करके मार गिराया, तो वह पाकिस्तान के एबटाबाद में ही शरण लिए हुए था। वैसे अगर पाकिस्तान खुद ही इन आतंकी सरगनाओं के खिलाफ कार्रवाई करे और उनकी गतिविधियों को रोके, तो शायद भारत को कुछ करने की जरूरत ही न पडे़।

इससे ठीक पहले पाकिस्तान सरकार ने संयुक्त राष्ट्र से संपर्क साधा और अनुरोध किया कि वह दोनों देशों के बीच मध्यस्थता करे। जबकि पाकिस्तान जानता है कि ऐसी कोशिश शिमला समझौते का उल्लंघन है, जो यह कहता है कि भारत और पाकिस्तान अपने मसले बिना किसी तीसरे पक्ष को शामिल किए आपस में सुलझाएंगे। खुद इमरान खान ने भी अपने बयान में भारत से वार्ता करने की बात कही है। हालांकि वह यह अच्छी तरह जानते हैं कि भारत का यह पुराना स्टैंड रहा है कि जब तक पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद खत्म नहीं होता बातचीत नहीं होगी। पुलवामा की ताजा वारदात के बाद तो इसकी कोई संभावना नहीं है। 

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें
अगला लेख पढ़ें