फोटो गैलरी

Hindi News ओपिनियन संपादकीयपुलवामा हमले का जवाब

पुलवामा हमले का जवाब

  पुलवामा के आतंकवादी हमले ने एक नहीं, एक साथ कई बड़ी चुनौतियां पेश कर दी हैं। कश्मीर में जिस तरह का पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद चल रहा है, उसका जवाब देना कभी आसान नहीं रहा। हर मोर्चे पर एक...

पुलवामा हमले का जवाब
हिन्दुस्तानFri, 15 Feb 2019 11:55 PM
ऐप पर पढ़ें

 

पुलवामा के आतंकवादी हमले ने एक नहीं, एक साथ कई बड़ी चुनौतियां पेश कर दी हैं। कश्मीर में जिस तरह का पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद चल रहा है, उसका जवाब देना कभी आसान नहीं रहा। हर मोर्चे पर एक अलग चुनौती है। सबसे बड़ी चुनौती हमेशा से यह रही है कि आतंकवादियों को उन्हीं की भाषा में जवाब दिया जाए, पर कश्मीर के लोगों को इस लड़ाई में बचाया भी जाए। सेना और सुरक्षा बल हमेशा ही यह कोशिश करते रहे हैं कि आतंकवादियों को तो निशाना बनाया जाए, लेकिन कुछ इस तरह से कि स्थानीय जनजीवन पर इसका ज्यादा असर न पड़े। इसके लिए उसे ढेर सारी सावधानियां बरतनी होती हैं, आतंकी अक्सर इन्हीं सावधानियों का फायदा उठाते हैं। पुलवामा हमले का जो ब्योरा अब तक सामने आया है, वह यही बताता है कि इसमें जनजीवन को सामान्य बनाए रखने के लिए दी गई छूट का फायदा उठाया गया। लेकिन इसका यह अर्थ भी नहीं है कि जनजीवन को सामान्य बनाए रखने के लिए दी गई राहतों को खत्म कर दिया जाए। दरअसल, यह मामला राहत को बनाए रखते हुए सतर्कता को लगातार बढ़ाने का है। इससे भी बड़ा सवाल यह है कि इस हमले का जवाब कैसे दिया जाए, जिससे षड्यंत्रकारी दोबारा ऐसी जुर्रत न कर सकें?
जब उरी का आतंकवादी हमला हुआ था, तब भारतीय सेना ने जवाब में सर्जिकल स्ट्राइक की थी। उस जवाबी कार्रवाई का सैनिक महत्व भले ही ज्यादा न रहा हो, लेकिन उससे यह संदेश भेजा गया कि भारत पाकिस्तान की तरफ से आने वाले आतंकवाद के सामने हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठेगा। पर अब कहीं ज्यादा बड़े आतंकवादी हमले ने बता दिया है कि पाकिस्तान ने उस सर्जिकल स्ट्राइक से भी कुछ नहीं सीखा है। जाहिर है कि अब हमें इस स्तर से आगे बढ़कर कुछ सोचना होगा। इस बीच एक यह बयान भी सुनने में आया है कि पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग किया जाएगा। यह तर्क बहुत समय से दिया जाता रहा है और आतंकवाद से पाकिस्तान का जो रिश्ता है, उसे तकरीबन पूरी दुनिया भी जानती है। इसलिए यह उम्मीद व्यर्थ है कि पुलवामा के आतंकवादी हमले के बाद दुनिया का नजरिया बदल जाएगा। अफगानिस्तान का पड़ोसी होने के कारण और वहां की स्थितियों को लगातार भड़काते रहने के कारण फिलहाल जो स्थिति है, उसमें पश्चिमी देशों कोे पाकिस्तान की जरूरत है। ऐसे में, उसे अलग-थलग करना आसान नहीं होगा। ये दो स्थितियां हैं, जिनके बीच में भारत को अपना जवाब तय करना होगा। यह लगभग तय है कि सेना और रक्षा विशेषज्ञों ने जवाबी कार्रवाई की रूपरेखा बनानी शुरू कर दी होगी। अच्छी बात यह है कि इस मामले पर विपक्ष भी सरकार के साथ खड़ा दिखाई दे रहा है। ऐसे मौके पर यह भी जरूरी है कि सोशल मीडिया या टीवी की बहसों से सरकार पर किसी खास तरह की कार्रवाई का दबाव न बनाया जाए, फैसले को उस पर छोड़ा जाए।
पुलवामा हमले में सबसे परेशान करने वाली चीज यह है कि पहली बार एक कश्मीरी नौजवान का इस्तेमाल बहुत बडे़ आत्मघाती हमले में किया गया। यह बताता है कि पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन किस तरह से स्थानीय नौजवानों के दिमाग को दूषित कर रहे हैं। हमारी सबसे बड़ी चुनौती इस तरह के प्रदूषण को रोकने की है, अलगाववाद की भावना को खत्म करने के लिए यह सबसे जरूरी है।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें
अगला लेख पढ़ें