झुक गया आसमान
अमेरिका द्वारा बोइंग 737 मैक्स की उड़ानों पर पाबंदी लगा देने के बाद पूरा परिदृश्य अचानक ही बदल गया है। अमेरिका में भी पाबंदी लग जाने का एक प्रतीकात्मक महत्व है, जिसका संदेश भारत, चीन, कनाडा...
अमेरिका द्वारा बोइंग 737 मैक्स की उड़ानों पर पाबंदी लगा देने के बाद पूरा परिदृश्य अचानक ही बदल गया है। अमेरिका में भी पाबंदी लग जाने का एक प्रतीकात्मक महत्व है, जिसका संदेश भारत, चीन, कनाडा या इथियोपिया में लगी पाबंदी से कहीं ज्यादा बड़ा है। रविवार को जब इथियोपियन एयरलाइंस के विमान की भीषण दुर्घटना के बाद सबसे पहले चीन ने आगे बढ़कर बोइंग 737 मैक्स की उड़ानों पर पाबंदी की घोषणा की, तो पश्चिमी दुनिया ने इसमें तमाम तरह के अर्थ देखने शुरू कर दिए थे। यह कहा गया कि अमेरिका के डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन और चीन के बीच जो व्यापार युुद्ध चल रहा है, उसकी यह अगली कड़ी है। दुर्घटना के बाद जो बहस इस यात्री विमान की सुरक्षा व्यवस्था और उस पर उठ रही आशंकाओं को लेकर होनी चाहिए थी, इन आरोपों ने उस बहस को कुछ ही समय के लिए सही, गलत दिशा में मोड़ने की कोशिश की। लेकिन आशंकाए इतनी गहरी थीं कि धीरे-धीरे कई देशों ने इस पर पाबंदी लगाने में ही भलाई समझी। बोइंग ऐसी कंपनी है, जिसे लंबे समय से अमेरिकी महारत के झंडाबरदारों में गिना जाता रहा है। अक्सर यह तर्क दिया जाता रहा है कि जापान, कोरिया और चीन जैसे देशों ने चाहे जितनी तरक्की क्यों न कर ली हो, वे बोइंग जैसी एक कंपनी नहीं खड़ी कर सके हैं। यूरोप की विमानन कंपनी एयरबस उसके मुकाबले में लगभग बराबर जरूर ठहरती है, मगर दुनिया की नई अर्थव्यवस्थाएं वैसा कमाल भी नहीं कर सकीं। ऐसे में, अमेरिका बोइंग के किसी विमान पर पाबंदी लगाता है, तो साफ है कि उसने समस्या को पूरी तरह से समझ लिया है। इस पाबंदी के बाद खुद बोइंग ने कहा है कि इस विमान की उड़ानों को फिलहाल रोक दिया जाए।
यह सिर्फ आशंका का मामला नहीं है। इससे जुड़े सच धीरे-धीरे सामने आने लगे हैं। पिछले साल अक्तूबर में जब लॉयन एयर के बोइंग 737 मैक्स की दुर्घटना हुई थी, तब पायलट ने शिकायत की थी कि विमान उसके नियंत्रण से बाहर हो गया है। इस बार इथियोपियन एयरलाइंस के विमान से भी कंट्रोल रूम को पायलट का लगभग ऐसा ही संदेश मिला था। खुद बोइंग ने स्वीकार कर लिया है कि ऐसा सॉफ्टवेयर की खामी की वजह से हो रहा है। बोइंग कंपनी ने दावा किया है कि उसने इस खामी का सुराग पा लिया है, इसे ठीक किया जा रहा है और जल्द ही दुनिया भर के बोइंग 737 मैक्स विमानों के सिस्टम को इससे अपडेट कर दिया जाएगा। उसके इस दावे पर यकीन न करने का कोई कारण नहीं है, लेकिन इस सबसे चर्चित विमान की साख को बट्टा लग चुका है और इससे उबरना कंपनी के लिए इतना आसान नहीं होगा।
यह एक गंभीर मामला है और इसे सिर्फ एक सॉफ्टवेयर अपडेट भर से खत्म नहीं किया जा सकता, बावजूद इसके कि अपडेट किए जाने के बाद हो सकता है कि इस विमान की समस्या हमेशा के लिए खत्म हो जाए। यह पूरा मामला बताता है कि विमानों की सुरक्षा के प्रामाणीकरण में कई खामियां हैं। यह व्यवस्था सॉफ्टवेयर के स्तर की खामी को पकड़ने में नाकाम रही, इसे आसानी से नजरंदाज नहीं किया जाना चाहिए। कम से कम यात्री विमानन ऐसा क्षेत्र नहीं है, जिसमें उपयोग के दौरान खामियों को पकड़ने और फिर उन्हें दुरुस्त करने का जोखिम लिया जाए। विमानों की सुरक्षा के प्रामाणीकरण की उस पूरी व्यवस्था को बदलने का वक्त आ गया है, जिस पर भरोसा करके विमान खरीदे जाते हैं।