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जान जोखिम में

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि दुनिया भर में हर दिन करीब 3,000 ऐसे किशोरों और युवाओं की मौत हो जाती है, जिन्हें थोड़ी-सी चौकसी बरतकर बचाया जा सकता है। इन 3,000 में से दो-तिहाई मौतें कम व मध्यम आय...

जान जोखिम में
हिन्दुस्तान टीमMon, 29 May 2017 12:06 AM
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विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि दुनिया भर में हर दिन करीब 3,000 ऐसे किशोरों और युवाओं की मौत हो जाती है, जिन्हें थोड़ी-सी चौकसी बरतकर बचाया जा सकता है। इन 3,000 में से दो-तिहाई मौतें कम व मध्यम आय वाले देशों में होती हैं; खासकर अफ्रीकी व दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों में। संगठन का कहना है कि दुनिया भर में हर साल करीब 12 लाख किशोर और युवा अपनी या किसी अन्य व्यक्ति की लापरवाही की वजह से जान गंवाते हैं।

जाहिर है, बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं, बेहतर शिक्षा सेवाएं और बेहतर सामाजिक-सहायता मुहैया कराकर इनमें से ज्यादातर की जिंदगी बचाई जा सकती है। यानी अगर स्वास्थ्य-शिक्षा और सामाजिक सहायता योजनाओं में निवेश किया जाए, तो इन किशोरों और युवाओं की जान बचाई जा सकती है। साल 2015 में मारे गए सबसे ज्यादा ऐसे लड़के थे, जिनकी उम्र 15 से 19 साल के बीच थी और उनकी मौत का कारण सड़क दुर्घटनाएं थीं।

उल्लेखनीय है कि लड़कों की मौत का सबसे बड़ा कारण सड़क दुर्घटनाएं हैं, जबकि 10 से 14 साल की उम्र वाली लड़कियों की मौत की सबसे बड़ी वजह उनमें न्यूमोनिया जैसे श्वांस संबंधी संक्रमण का होना पाया गया। किशोरों व युवाओं में आत्महत्या की प्रवृत्ति भी उनकी मौत की बड़ी वजह रही, जिससे साल 2015 में 67 हजार मौतें हुईं। 
 संयुक्त राष्ट्र रेडियो में महबूब खान

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