सुनिए सरकार
बहुत जल्दी सरकार आपसे रेलवे टिकट पर मिलने वाली सब्सिडी छोड़ने के लिए कहेगी। सरकार ने रेलवे रिजर्वेशन टिकट पर लिखवाना शुरू कर दिया है कि ‘आपकी इस यात्रा का 43 फीसदी खर्च आम जनता वहन कर रही...
बहुत जल्दी सरकार आपसे रेलवे टिकट पर मिलने वाली सब्सिडी छोड़ने के लिए कहेगी। सरकार ने रेलवे रिजर्वेशन टिकट पर लिखवाना शुरू कर दिया है कि ‘आपकी इस यात्रा का 43 फीसदी खर्च आम जनता वहन कर रही है।’ जब आप ट्रेन के डिब्बे में किसी तरह अपना पैर सिकोड़कर बैठे होंगे, उसी समय सरकार आपको यह एहसास भी दिला रही होगी कि दरअसल आप आम जनता के शोषक हैं। यह सरकार जनता को शर्मिंदा करने का कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। सरकार ने जनता को बांटने की जो तरकीब ईजाद की है, उस पर गौर कीजिए। आम जनता इनकम टैक्स, कॉरपोरेट टैक्स, सेवा कर, बिक्री कर आदि देती है, जिससे सरकार रेलवे जैसे संस्थानों को सब्सिडी दे पाती है। जीएसटी लागू होने के बाद गरीब जनता जब बीमार पड़ेगी, तो जीवन रक्षक दवाइयों के लिए पांच प्रतिशत टैक्स देगी और जब यही जनता रेडीमेड कपड़े खरीदेगी, तो उस पर 12 फीसदी टैक्स देगी। अब आप सोचिए कि दवाई व रेडीमेड कपड़े पर कर देने वाली जनता क्या रेल में सफर करने वाली जनता से अलग है? आखिर हम टैक्स क्यों देते हैं? सुनिए सरकार, ये जो तमाम कंपनियां सरकारी बैंकों की लाखों करोड़ दबाए बैठी हैं, उसे जब आप वसूल करके ले आएंगे, तब हम रेलवे पर मिलने वाली सब्सिडी छोड़ने पर विचार करेंगे।