फोटो गैलरी

इस दौर की दुनिया

फेसबुक मुझे दो तरह के विज्ञापन अक्सर दिखाता है ‘कोडिंग सीखें’ या ‘गिटार सीखें’, जबकि मैं होशियारी सीखना चाहता हूं। हर कोई करोड़पति और तंदुरुस्त बनना चाहता है, और हर कोई...

इस दौर की दुनिया
सुशांत झा की फेसबुक वॉल सेFri, 24 Sep 2021 10:15 PM

इस खबर को सुनें

0:00
/
ऐप पर पढ़ें

फेसबुक मुझे दो तरह के विज्ञापन अक्सर दिखाता है ‘कोडिंग सीखें’ या ‘गिटार सीखें’, जबकि मैं होशियारी सीखना चाहता हूं। हर कोई करोड़पति और तंदुरुस्त बनना चाहता है, और हर कोई योग-अध्यात्म पर प्रवचन दे देता है। हर किसी के पास ‘सफल कैसे बनें’ के चार नुस्खे हैं और हर कोई दो-तीन विदेशी राइटर का नाम ठेल देता है।  
यह अद्भुत समय है, जिसमें हर तीसरा आदमी पूछता है कि आपको कार चलानी नहीं आती? गंभीर से गंभीर व्यक्ति लोकप्रिय होना चाहता है। सिक्स फिगर फॉलोअर्स वाले नए कामयाब हैं। कोई बुक सेल्फ की तस्वीरें लगा देता है, तो कोई विंडो ग्लास से दिखती हिमालय की खूबसूरत वादियों की। कभी-कभार शेरो-शायरी की बातें करना ठीक-ठाक प्रमोशन मान लिया गया है। फिल्मों और जीवन से संगीत गायब होता जा रहा है, लेकिन यूट्यूब पर स्टैंडअप कॉमेडियन बढ़ते ही जा रहे हैं। एक अरसा हुआ कि पड़ोस से नगीना  या दिल तो पागल है  का गीत कोई सुना दे, लेकिन मजाल है कि लोग कपिल शर्मा को छोड़कर उनको लगाएं! हाल यह है कि अब बुजुर्गवार भी कपिल में रस लेने लगे हैं। मुझे क्रिकेट समझ में नहीं आता, लेकिन कई लोग एक ही साथ क्रिकेट, मोदी, सदगुरु, नेटफ्लिक्स, सब देख लेते हैं। यह दुनिया अब ऐसी हुई है या पहले भी ऐसी थी?
 

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें