इंटरनेट की आजादी
सालाना ‘फ्रीडम ऑन द नेट’ रिपोर्ट में कहा गया है कि म्यांमार और बेलारूस में इंटरनेट शटडाउन निचले स्तरों पर किया गया है और लगातार 11वें साल वैश्विक स्तर पर ऑनलाइन अधिकारों में गिरावट आई है।...
इस खबर को सुनें
सालाना ‘फ्रीडम ऑन द नेट’ रिपोर्ट में कहा गया है कि म्यांमार और बेलारूस में इंटरनेट शटडाउन निचले स्तरों पर किया गया है और लगातार 11वें साल वैश्विक स्तर पर ऑनलाइन अधिकारों में गिरावट आई है। अमेरिकी थिंकटैंक ‘फ्रीडम हाउस’ द्वारा संकलित यह सर्वे नागरिकों को मिली इंटरनेट की आजादी के स्तर के लिए देशों की रैंकिंग करता है। रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल यूजर्स को 41 देशों में अपनी ऑनलाइन गतिविधियों के कारण शारीरिक हमलों का सामना करना पड़ा। 11 साल पूर्व ट्रैकिंग शुरू होने के बाद से यह ‘रिकॉर्ड स्तर’ पर है। रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि 70 में से 56 देशों में लोगों को उनकी ऑनलाइन गतिविधियों के लिए गिरफ्तार किया गया या उन्हें दोषी ठहराया गया। इसमें जून में जेल में बंद किए गए मिस्र के दो सोशल मीडिया कार्यकर्ता शामिल हैं, जिन्होंने महिलाओं को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर करियर बनाने को प्रोत्साहित किया था। इंटरनेट आजादी के मामले में आइसलैंड की रैंकिंग सबसे ऊपर है। उसके बाद एस्टोनिया और कोस्टारिका हैं, जिन्होंने इंटरनेट पहुंच को मानवाधिकार घोषित किया है। चीन को इंटरनेट स्वतंत्रता के मामले में सबसे खराब देशों में रखा गया है, जिसने ऑनलाइन असहमति के लिए भी भारी जेल की सजा दी।