खोखले रिश्तों में परवाह
रिश्ते, दोस्ती, संबंध... दुनिया के सबसे खोखले शोध हैं। समंदर भर प्यार लुटाकर बस बूंद भर अंकुश लगा दीजिए, कभी बस उंगली उठा दीजिए, कभी इशारा भर कर दीजिए कि यहां पर आप गलत दिशा मेंं चले गए हो, पल भर में...
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रिश्ते, दोस्ती, संबंध... दुनिया के सबसे खोखले शोध हैं। समंदर भर प्यार लुटाकर बस बूंद भर अंकुश लगा दीजिए, कभी बस उंगली उठा दीजिए, कभी इशारा भर कर दीजिए कि यहां पर आप गलत दिशा मेंं चले गए हो, पल भर में प्यार भरा समंदर न सूख जाए, तो मुझे कहना। फेसबुक जैसी ‘फेक’ जगह पर लाइक तक आना बंद हो जाएगा, वाट्सएप पर आप अनसीन रह जाओगे।
दरअसल, ऐसे ही खोखले रिश्तों को उम्र भर घुट-घुटकर ढोने की मायावी कहानी है जिंदगी। यहां हम ताउम्र ऐसे ही खोखलेपन का दम भरते हुए जी लेते हैं, क्योंकि हम सबको लगता है कि इसे उजागर कर दें, तो दुनिया क्या सोचेगी? लोग क्या कहेंगे? अरे! वही दुनिया, जिसमें सच्चाई का इतना भी साहस नहीं कि समंदर से गहरे रिश्ते का मान रख सके, वहां कौन सोचने की फुरसत रखता होगा कि आपके भीतर उसके लिए था क्या?
यहां भी ऐसे लोग भरे पड़े हैं जीवन में, घर-परिवार में,... कदम-कदम पर। वे मानते होंगे कि हमने एक-दूसरे के लिए प्यार के खूब दम भरे थे, बड़े-बडे़ वादे किए थे, कसमें खाई थीं...बस, ‘हमने उसको ऐसा कैसे कह दिया’ का ‘ईगो’ अब हरगिज उसे हमें अच्छा नहीं बोलने दे रहा। तथ्य यही है कि यह बोझ हम सब अपने सिर पर क्यों रखें और कब तक?