फोटो गैलरी

Hindi News ओपिनियन साइबर संसारकिसे याद हैं बेगम

किसे याद हैं बेगम

वह कल ही का तो दिन था, जब अवध की शान, ताकत, हौसला और उम्मीद मोहम्मदी खानम यानी बेगम हजरत महल दुनिया को छोड़ गई थीं। अवध की वही बेगम, जिन्होंने लपककर 1857 की क्रांति की आग थामी थी; जिन्होंने लखनऊ में...

किसे याद हैं बेगम
हफीज किदवई की फेसबुक वॉल सेWed, 07 Apr 2021 11:16 PM
ऐप पर पढ़ें

वह कल ही का तो दिन था, जब अवध की शान, ताकत, हौसला और उम्मीद मोहम्मदी खानम यानी बेगम हजरत महल दुनिया को छोड़ गई थीं। अवध की वही बेगम, जिन्होंने लपककर 1857 की क्रांति की आग थामी थी; जिन्होंने लखनऊ में अंगरेजों के झंडे को दुनिया में सबसे पहले जमींदोज किया था। नवाबों की खूब बातें होती रही हैं, मगर उनकी नाजों में पली-बढ़ीं जिन बेगम ने क्रांति की सख्त तपिश सही, उनका जिक्र बहुत कम होता है। बेगम ने हर ओर मोर्चा लिया। सल्तनत की खूबसूरत ठंडी हवाओं को सख्त लू के थपेड़ों में बदलते देखा। अपनी नाक के नीचे खडे़ प्यादों को बदलते देखा। जब जमीन की वफादारी की बात आई, तो पल-पल लखनऊ से नेपाल तक वफादारों को बालिश्त-बालिश्त भर की जागीरों के लिए बिकते हुए देखा। अवध के नफीस तख्त से काठमांडू की तंग गलियों में जिंदगी से लड़ने वाली मजबूत, संवेदनशील, सहनशील और जुझारू बेगम का जिक्र कम से कम आज तो हम कर ही लें। हमें याद है, हमारी मांग पर तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बेगम हजरत महल यूनिवर्सिटी बनाने का वादा किया था। यकीनन, वह यूनिवर्सिटी बेगम की यादों को सहेजने का एक बेहतर जरिया बनती। खैर, हमलोग अपनी हैसियत भर ही सही, उस महान स्वतंत्रता सेनानी को याद तो करें।
 

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें