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एक फंदा है अतीत 

हरेक पुरानी पीढ़ी नई पीढ़ी को कुछ धारणाएं, कुछ मान्यताएं, कुछ विश्वास और कुछ परंपराएं देती है। ज्यादातर लोग पुरानी धारणाओं, मान्यताओं, विश्वास और परंपराओं को आंख मूंदकर स्वीकार कर लेते हैं और पूरी...

एक फंदा है अतीत 
हिमांशु कुमार की फेसबुक वॉल सेMon, 09 Sep 2019 12:16 AM
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हरेक पुरानी पीढ़ी नई पीढ़ी को कुछ धारणाएं, कुछ मान्यताएं, कुछ विश्वास और कुछ परंपराएं देती है। ज्यादातर लोग पुरानी धारणाओं, मान्यताओं, विश्वास और परंपराओं को आंख मूंदकर स्वीकार कर लेते हैं और पूरी जिंदगी उन पर चलकर मर जाते हैं। लेकिन कुछ लोग इन्हें तर्क, समझ और विज्ञान की कसौटी पर परखते हैं, इनसे विद्रोह करते हैं, इन्हें छोड़ते हैं और आगे बढ़ते हैं। मनुष्य पहले गुफाओं में रहता था। आज वह जहां पहुंचा है, वह पुराने को छोड़ते और नए को खोजते हुए पहुंचा है।

मनुष्य को अतीत बड़ा सुरक्षित और प्यारा लगता है, क्योंकि अतीत सिर्फ उसकी स्मृतियों में होता है, और वह उनमें जैसे चाहे, कल्पना के रंग भर सकता है। लेकिन कल्पना की दुनिया से निकलने के बाद वह खुद को जिंदगी की चुनौतियों से घिरा हुआ पाता है। जिंदगी की हकीकत की चुनौतियों से बचकर भागने के लिए वह अतीत की ताकत से भरी कहानियों के नशे में डूबे रहना चाहता है। इसलिए आप देखेंगे कि मानव समाज को गुलाम बनाकर उसका शोषण करने वाले सत्ताधारी, उन्हें अतीत की कहानियों से बहलाने की कोशिश करते हैं। जब तक मनुष्य अतीत की कल्पनाओं से निकलकर, वर्तमान को खुली आंखों से देख उसे बदलने के लिए काम नहीं करेगा, तब तक समाज तकलीफ में डूबा रहेगा।

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