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काश, वह भी होता

मेरे मन में यह कसक रह गई कि क्रिकेट विश्व कप के सेमीफाइनल की सूची में भारत के अलावा मेरी दूसरी प्रिय टीम अफगानिस्तान का नाम नहीं है। इस उम्मीद का कोई मतलब तो नहीं था, मगर सीधे-सादे, मेहनतकश, जज्बाती...

काश, वह भी होता
ध्रुव गुप्त की फेसबुक वॉल सेMon, 08 Jul 2019 10:02 PM
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मेरे मन में यह कसक रह गई कि क्रिकेट विश्व कप के सेमीफाइनल की सूची में भारत के अलावा मेरी दूसरी प्रिय टीम अफगानिस्तान का नाम नहीं है। इस उम्मीद का कोई मतलब तो नहीं था, मगर सीधे-सादे, मेहनतकश, जज्बाती और जुनून से भरे लोगों का यह देश मुझे बहुत पसंद है। दशकों से इस देश ने खुशी का कोई लम्हा नहीं देखा है। पहले रूस और अमेरिका की स्वार्थगत प्रतिद्वंद्विता ने इसे बुरी तरह बर्बाद किया, फिर पाकिस्तान और तालिबान ने इसे नरक बनाकर रख दिया। ऐसा कोई दिन नहीं गुजरता, जब वहां से तालिबान के हाथों निर्दोष लोगों के मारे जाने की खबरें न आती हों।

आतंक के साये में जवान हुई उस देश की एक पूरी पीढ़ी हर तरफ से निराश हो, अब क्रिकेट में आनंद के कुछ पल तलाश रही है। यह आनंद एक-दो बड़ी टीमों को हराकर भी उन्हें प्राप्त हो सकता था। वे ऐसा करने में सक्षम भी थे, पर अनुभवहीनता उनके आड़े आ गई। अफगान टीम आईसीसी की अनदेखी की भी शिकार हुई है। इसे अगर बड़े क्रिकेटिंग देशों के साथ नियमित रूप से द्विपक्षीय सीरीज खेलने के मौके दिए जाएं, तो अगले दो-तीन साल में ही यह दुनिया की श्रेष्ठतम टीमों में शुमार हो सकती है। अफगानी टीम के सभी योद्धाओं को शुभकामनाएं! वल्र्ड कप कोई जीते, हमारा दिल आपने जीता है।

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