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पूर्व प्रत्याशी का अनुभव

पांच साल पहले लगभग इसी समय मैंने पहला चुनाव लड़ा। जीवन बदल देने वाला था वह अनुभव। मैं दोबारा अतीत में जाना चाहूंगी और इसे दोहराना चाहूंगी...।  एक और बात जो मैं जान सकी, वह यह कि अपने विरोधी पर...

पूर्व प्रत्याशी का अनुभव
द क्विंट में गुल पनागWed, 17 Apr 2019 01:11 AM
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पांच साल पहले लगभग इसी समय मैंने पहला चुनाव लड़ा। जीवन बदल देने वाला था वह अनुभव। मैं दोबारा अतीत में जाना चाहूंगी और इसे दोहराना चाहूंगी...।  एक और बात जो मैं जान सकी, वह यह कि अपने विरोधी पर व्यक्तिगत आक्षेपों के बिना भी प्रभावी चुनाव अभियान संभव है। चंडीगढ़ में राजनीतिक अभियानों का जो स्तर था, वह राष्ट्रीय स्तर पर जो कुछ हो रहा था, उसके ठीक उलट था। पवन बंसल, किरण खेर और मैं अक्सर एक-दूसरे से मिलते और कई बार तो एक ही प्लेटफॉर्म पर ऐसा होता। उनकी राजनीतिक प्रतिबद्धताएं अलग थीं, मगर व्यक्तिगत तौर पर दोनों के लिए मेरे मन में बहुत सम्मान है।

चंडीगढ़ में हमेशा उस उम्मीदवार को वोट दिया जाता है, जो सरकार बनाने वाली पार्टी से जुड़ा होता है और अंदाजा है, इस बार भी ऐसा होगा। इस दौड़ से बाहर रहना आसान फैसला है, क्योंकि मेरा बेटा बमुश्किल एक साल का है। हालांकि, मैं अपनी पसंद के उम्मीदवार के लिए अभियान चलाने के बारे में सोचूंगी। चूंकि हमारी ताकत जन-प्रतिनिधियों में होती है, इसलिए हमें ऐसे व्यक्ति को चुनना चाहिए, जो जरूरत पर उपलब्ध भी हो और हमारे प्रति जिम्मेदार भी। कौन सी पार्टी सरकार बनाती है, इससे ऊपर उठकर उम्मीद है कि हम ऐसे उम्मीदवार को चुनेंगे, जो अपने निर्वाचन क्षेत्र के लिए जिम्मेदार रहेगा।

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