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औरतों के हक में

वैसे तो सदियों से महिला सशक्तीकरण हमारी संस्कृति का हिस्सा रही है। हमने ‘नारी तू नारायणी’ से ्त्रिरयों को मर्यादित किया है। लेकिन समकालीन संदर्भों में इसका आशय सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक...

औरतों के हक में
प्रशांत कुमार सिंह की फेसबुक वॉल सेSat, 21 Mar 2020 12:27 AM
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वैसे तो सदियों से महिला सशक्तीकरण हमारी संस्कृति का हिस्सा रही है। हमने ‘नारी तू नारायणी’ से ्त्रिरयों को मर्यादित किया है। लेकिन समकालीन संदर्भों में इसका आशय सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और सुरक्षा प्रतिष्ठानों में उनकी स्थिति में सुधार से है। यह आवश्यक है कि महिलाओं के लिए नए अवसर सृजित किए जाएं, ताकि वे समाज में और प्रभावी भूमिका निभा सकें।

उनके अनुकूल परिवेश बनाना हमारा साझा लक्ष्य होना चाहिए, जिससे वे किसी भी कामकाज में स्वयं को सुरक्षित महसूस करें। सुखद है कि सरकार ने महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए उनकी सुरक्षा के अनेक पहलुओं पर आधारित एक व्यापक मिशन तैयार किया है- मां एवं शिशु को स्वास्थ्य सुरक्षा। सामाजिक सुरक्षा।  वित्तीय सुरक्षा और विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए सुरक्षित भविष्य की गारंटी।

सुरक्षा और संरक्षा परंपरागत रूप से पुरुषों के दबदबे वाले क्षेत्र माने जाते रहे हैं, किंतु वर्तमान सरकार ने इस धारणा को बदलने का कार्य किया है। केंद्रीय पुलिस बल, अर्द्धसैनिक बलों और रक्षा मंत्रालय ने सैन्य प्रति-नियुक्तियों में महिलाओं की संख्या बढ़ाने का भरपूर प्रयास किया है। पर अभी भी हमें बहुत कुछ करना होगा। ‘स्त्री शक्ति’ राष्ट्र शक्ति का अभिन्न अंग है, उसे आगे बढ़ाए बिना राष्ट्र शक्तिशाली बन भी नहीं सकता।

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