सोच बदलें, प्रदेश बदलेगा
एक नई सड़क, नई सभ्यता को जन्म देती है। एक सड़क से फर्क क्या पड़ता है, कभी गंभीरता से सोचिए। आगरा एक्सप्रेस वे, लखनऊ एक्सप्रेस वे जिन-जिन इलाकों से गुजरे हैं, उनके पहले और बाद के हालात का बारीकी से...
एक नई सड़क, नई सभ्यता को जन्म देती है। एक सड़क से फर्क क्या पड़ता है, कभी गंभीरता से सोचिए। आगरा एक्सप्रेस वे, लखनऊ एक्सप्रेस वे जिन-जिन इलाकों से गुजरे हैं, उनके पहले और बाद के हालात का बारीकी से अध्ययन कीजिए, आपको चौंकाने वाले फर्क मिलेंगे।
बिहार में सड़क रोको अभियान रहा है। एक तो यहां सीमित हाइवे बन रहे हैं, उस पर भी अधिकांश सड़कों के काम को हमने बाधित कर दिया है, छोटे-छोटे निजी हितों के कारण। जो बन गए हैं, उन पर भी हम किसी तरीके से कब्जा कर लेना चाहते हैं। बिहार का सामाजिक ढांचा ध्वस्त हो चुका है। सार्वजनिक हित की समझ उससे तिरोहित होती जा रही है। अब ऐसी सामाजिक हस्तियां नहीं मिलतीं, जो विरोध पर उतारू व्यक्तियों या समूहों को समझा सकें, और जिनकी बातों को लोग समझें, मान जाएं।
मुजफ्फरपुर से हाजीपुर रोड का गजट वर्ष 2005 में ही निकला था, पर आज भी बाईपास सड़क नहीं निकल पाई। बीच-बीच में कई जगहों पर विविध मांगों के कारण यह अवरुद्ध है। ऐसे ही हालात मुजफ्फरपुर-सीतामढ़ी मार्ग के हैं। लोग भूमि अधिग्रहण ही नहीं होने दे रहे। उन्हें कौन समझाए कि बेहतर सड़क होगी, तो कारोबार के अवसर बढ़ेंगे। सरकार किसी की भी बने, अगर हमलोगों ने अपनी सोच नहीं बदली, तो हालत जस की तस रहेगी।