कायल हूं इस हीरो का
क्रिकेट की दुनिया में धौनी ने तब उभरना शुरू किया था, जब मैं यूनाइटेड नेशन्स में था और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट बहुत अधिक नहीं देखता था। मैंने उन्हें तब खेलते देखा, जब उन्होंने 2005 में जयपुर में...
क्रिकेट की दुनिया में धौनी ने तब उभरना शुरू किया था, जब मैं यूनाइटेड नेशन्स में था और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट बहुत अधिक नहीं देखता था। मैंने उन्हें तब खेलते देखा, जब उन्होंने 2005 में जयपुर में श्रीलंका के खिलाफ तीसरे एकदिवसीय मैच में नाबाद 183 रन बनाए थे। वह चकित कर देने वाला प्रदर्शन था। श्रीलंका ने पांच विकेट पर 298 रनों की शानदार पारी खेली थी और संगकारा ने नाबाद 138 रन बनाए थे। जवाब में तेंदुलकर पहले ओवर में दो रन बनाकर आउट हो गए थे। इसके बाद धौनी मैदान में उतरे। उनका बल्ला मानो युद्ध के मैदान का हथियार बन गया। उनकी लाजवाब पारी के चलते भारत ने 46.1 ओवर में ही श्रीलंका के छक्के छुड़ा दिए। इसके बाद मैं यूनाइटेड नेशन्स लौट गया, पर मुझे इस बात का यकीन था कि मैं हमेशा इस शख्स का कायल रहूंगा।
झारखंड का एक विनम्र लड़का, जिसने क्रिकेट के लिए रेलवे में टिकट कलेक्टर की नौकरी भी की। धौनी की खासियत यह थी कि उन्होंने क्रिकेट जैसे एलीट खेल को लोकतांत्रिक बनाया। आज अगर देश के छोटे शहरों, पिछडे़ इलाकों के लड़के राष्ट्रीय स्तर पर क्रिकेट में अपनी पहचान बना रहे हैं, तो इसकी एक वजह यह है कि धौनी ने उन्हें रास्ता दिखाया है। उन्होंने भारत पर हमारा भरोसा जगाया है, क्योंकि उन्हें हमेशा खुद पर भरोसा रहा है।